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वैश्विक दिग्गज भारतीय रुपया बॉन्ड पर नजरें गड़ाए: भारतीय फर्में अरबों डॉलर क्यों शिफ्ट कर रही हैं!

Banking/Finance|4th December 2025, 2:32 AM
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AuthorSatyam Jha | Whalesbook News Team

Overview

स्टैंडर्ड चार्टर्ड और बारक्लेज जैसे विदेशी ऋणदाता भारत के रुपया बॉन्ड बाजार पर तेजी से ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। यह बदलाव अमेरिकी की ऊँची यील्ड (yields) और वैश्विक अनिश्चितताओं (global uncertainties) के कारण भारतीय कंपनियों द्वारा विदेशी-मुद्रा ऋण (foreign-currency debt) की मांग में गिरावट से प्रेरित है। जैसे-जैसे तरलता (liquidity) बढ़ रही है, भारतीय फर्मों को रुपया उधार लेना अधिक लागत प्रभावी लग रहा है। इस रुझान से रुपया बॉन्ड की बिक्री अपने सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच रही है, जबकि डॉलर का निर्गमन (dollar issuance) काफी गिर गया है।

वैश्विक दिग्गज भारतीय रुपया बॉन्ड पर नजरें गड़ाए: भारतीय फर्में अरबों डॉलर क्यों शिफ्ट कर रही हैं!

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HDFC Bank LimitedAxis Bank Limited

विदेशी वित्तीय संस्थान भारत के घरेलू रुपया बॉन्ड बाजार पर अपना ध्यान तेजी से बढ़ा रहे हैं, जो एक महत्वपूर्ण रणनीतिक बदलाव का संकेत है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि भारतीय निगमों (corporations) की ऑफशोर, विदेशी-मुद्रा ऋण (offshore, foreign-currency debt) में रुचि कम हो रही है, जो मौजूदा वैश्विक आर्थिक स्थितियों का परिणाम है।

बाजार बदलाव के कारण (Market Shift Drivers)

  • संयुक्त राज्य अमेरिका में उच्च बेंचमार्क यील्ड (benchmark yields), भू-राजनीतिक तनाव (geopolitical tensions) और टैरिफ अनिश्चितताओं (tariff uncertainties) ने मिलकर भारतीय कंपनियों के लिए डॉलर-आधारित ऋण (dollar-denominated debt) के आकर्षण को कम कर दिया है।
  • भारतीय कॉर्पोरेट्स घरेलू खर्च और उधार को बढ़ा रहे हैं, और लागत-प्रभावशीलता (cost-effectiveness) और पूर्वानुमान (predictability) के कारण ऑनशोर रुपया वित्तपोषण (onshore rupee financing) को अधिक आकर्षक पा रहे हैं।

मुख्य डेटा और आंकड़े (Key Data and Figures)

  • भारतीय फर्में रुपया बॉन्ड की बिक्री में सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंचने की राह पर हैं, जिसमें इस वर्ष अब तक ₹12.6 ट्रिलियन ($140 बिलियन) का निर्गमन हुआ है।
  • इसके विपरीत, डॉलर बॉन्ड के निर्गमन में भारी गिरावट देखी गई है, जो इस वर्ष अब तक केवल $9 बिलियन से अधिक है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 32% की कमी है।

विदेशी ऋणदाताओं की रणनीति (Foreign Lenders' Strategy)

  • स्टैंडर्ड चार्टर्ड पीएलसी (Standard Chartered Plc) और बारक्लेज पीएलसी (Barclays Plc) जैसे ऋणदाता, जो पारंपरिक रूप से डॉलर बॉन्ड के अंडरराइटिंग (underwriting) में मजबूत रहे हैं, अब भारत में अपने ऑनशोर ऑफ़रिंग (onshore offerings) का विस्तार कर रहे हैं।
  • उदाहरण के लिए, बारक्लेज के भारत आर्म ने 2021 से अपने स्थानीय बैलेंस शीट (balance sheet) को मजबूत करने और घरेलू उधारकर्ताओं के लिए उत्पाद श्रृंखला (product suite) का विस्तार करने में काफी निवेश किया है, जिसका लक्ष्य भारतीय संस्थाओं के लिए अधिक प्रासंगिक बनना है।
  • स्टैंडर्ड चार्टर्ड के प्रथमेय सहस्रबुद्धे (Prathamesh Sahasrabudhe) ने नोट किया कि रुपया ऋण के बढ़ते हिस्से का मुख्य कारण भारतीय उधारकर्ताओं के लिए इसकी लागत-प्रभावशीलता है, और जब तक वैश्विक अनिश्चितताएं कम नहीं होतीं, तब तक अवसरों के बढ़ने की उम्मीद है।

प्रतिस्पर्धी परिदृश्य (Competitive Landscape)

  • विदेशी बैंकों को एक्सिस बैंक लिमिटेड (Axis Bank Ltd.) और एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) जैसे स्थापित घरेलू ऋणदाताओं से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है, जो वर्तमान में रुपया बॉन्ड अंडरराइटिंग लीग टेबल (league tables) पर हावी हैं।
  • घरेलू बैंकों को बड़े जमा आधार (deposit bases), व्यापक शाखा नेटवर्क (branch networks), अंतर्निहित सरकारी समर्थन (implicit government backing) और प्राथमिकता वाले क्षेत्रों (priority sectors) का समर्थन करने के जनादेश से लाभ मिलता है, जिससे वे ऋण को अधिक प्रतिस्पर्धी ढंग से मूल्य (price) कर पाते हैं।
  • वर्तमान में, भारत में शीर्ष दस रुपया बॉन्ड अंडरराइटरों (underwriters) में कोई भी विदेशी बैंक शामिल नहीं है।

भविष्य का दृष्टिकोण (Future Outlook)

  • विदेशी बैंकों द्वारा रुपया बॉन्ड बाजार पर बढ़ता ध्यान भारत में एक बड़ा परिसंपत्ति आधार (asset base) बनाने की दीर्घकालिक रणनीति का संकेत देता है।
  • यह प्रतिस्पर्धा भारतीय कॉर्पोरेट्स के लिए अधिक अनुकूल वित्तपोषण स्थितियां (financing conditions) और वैश्विक वित्तीय प्रवाह (global financial flows) में भारत के ऋण बाजार के गहरे एकीकरण का कारण बन सकती है।

प्रभाव (Impact)

  • यह रुझान भारत में कॉर्पोरेट वित्तपोषण (corporate financing) में एक संरचनात्मक बदलाव (structural shift) का संकेत देता है, जिससे कंपनियों के लिए उधार की लागत कम हो सकती है और घरेलू ऋण बाजार में तरलता (liquidity) बढ़ सकती है।
  • यह वैश्विक आर्थिक headwinds के बावजूद भारत की बढ़ती वित्तीय स्वतंत्रता और निवेश गंतव्य (investment destination) के रूप में आकर्षण को उजागर करता है।
  • प्रभाव रेटिंग: 8/10

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