अमेरिकी वीज़ा में बड़ा बदलाव: H-1B और परिवार वालों के लिए सोशल मीडिया की जाँच अब ज़रूरी - क्या आपकी पोस्ट सुरक्षित हैं?
Overview
15 दिसंबर से, अमेरिकी विदेश विभाग H-1B वीज़ा आवेदकों और उनके आश्रितों, साथ ही F, M, और J वीज़ा चाहने वालों के लिए अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल सार्वजनिक करना अनिवार्य कर देगा। यह अनिवार्य ऑनलाइन उपस्थिति समीक्षा राष्ट्रीय सुरक्षा जाँच का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य संभावित खतरों की पहचान करना है। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे discretionary denials बढ़ सकते हैं और आवेदकों की गोपनीयता संबंधी चिंताएँ बढ़ सकती हैं।
अमेरिकी वीज़ा आवेदकों के लिए सोशल मीडिया जाँच को बढ़ाया जा रहा है। यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट (DoS) ने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा जाँच प्रक्रिया का विस्तार करने की घोषणा की है। 15 दिसंबर से, H-1B वीज़ा आवेदक और उनके आश्रित अनिवार्य ऑनलाइन उपस्थिति समीक्षा के दायरे में आएंगे। यह जाँच F, M, और J वीज़ा चाहने वालों पर भी लागू होगी, जिन्हें अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल सार्वजनिक करने होंगे। DoS का कहना है कि यह उपाय उन व्यक्तियों की पहचान करने के लिए महत्वपूर्ण है जो अमेरिका में प्रवेश के लिए अयोग्य (inadmissible) हो सकते हैं, विशेष रूप से वे जो राष्ट्रीय सुरक्षा या सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करते हैं। विभाग ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि वीज़ा निर्णय (adjudication) एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा निर्णय है और यह सुनिश्चित करने के लिए कठोर जाँच आवश्यक है कि आवेदक अमेरिकी हितों या नागरिकों को नुकसान पहुँचाने का इरादा न रखते हों। यह कदम प्रौद्योगिकी-संचालित वीज़ा स्क्रीनिंग में विकसित हो रहे रुझान को औपचारिक और व्यापक बनाता है। मुख्य विकासों में शामिल है कि 15 दिसंबर से सभी H-1B वीज़ा आवेदकों और उनके आश्रितों के लिए सोशल मीडिया प्रोफाइल का खुलासा अनिवार्य होगा। F, M, J वीज़ा चाहने वाले भी इसी तरह की ऑनलाइन उपस्थिति समीक्षा से गुजरेंगे। इसका उद्देश्य गहन राष्ट्रीय सुरक्षा जाँच करना और संभावित खतरों की पहचान करना है। DoS ने दोहराया कि अमेरिकी वीज़ा प्राप्त करना एक विशेषाधिकार है, अधिकार नहीं। विशेषज्ञों ने इस नीति को अमेरिका की गहरी, प्रौद्योगिकी-संचालित जाँच की इच्छा के रूप में देखा है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि वीज़ा अनुमोदन के मुख्य मानदंड (criteria) वही रहेंगे, लेकिन जाँच अधिक सूक्ष्म (granular) हो रही है। आवेदकों को अपने औपचारिक आवेदनों और सोशल मीडिया उपस्थिति के बीच संगति (consistency) सुनिश्चित करनी चाहिए, क्योंकि विसंगतियाँ अक्सर लाल झंडे (red flags) उठाती हैं। कुछ विशेषज्ञों ने संरचित निर्णय (structured adjudication) से discretionary judgment की ओर बदलाव पर चिंता जताई है, जिसमें कांसुलर अधिकारियों की भूमिका होगी। उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया पर आधारित इनकार (denials) गैर-अपील योग्य (non-appealable) होते हैं। यह बदलाव प्रतिभा अधिग्रहण (talent acquisition) के लिए अनिश्चितता पैदा कर सकता है, क्योंकि योग्य उम्मीदवारों को भी पिछले सोशल मीडिया पोस्ट के कारण मना किया जा सकता है। यह नीति परिवारों के लिए भी जोखिम रखती है, जहाँ मुख्य आवेदक और आश्रितों के लिए अलग-अलग निर्णय के परिणामस्वरूप एक को मंजूरी और दूसरे को इनकार मिल सकता है। जोखिमों और चिंताओं में यह भी शामिल है कि विस्तारित जाँच प्रक्रिया से वीज़ा निर्णय में देरी हो सकती है, खासकर H-1B कैप के वार्षिक समय जैसी चरम अवधि के दौरान। अधिकारियों के discretionary judgment पर अधिक निर्भरता से स्पष्ट निवारण (recourse) के बिना मनमाने इनकार हो सकते हैं। कंटेंट मॉडरेशन (content moderation) या फैक्ट-चेकिंग (fact-checking) जैसी भूमिकाओं में काम करने वाले लोग उच्च जोखिम में आ सकते हैं। कमजोर समूह जैसे LGBTQ+ व्यक्ति, या जो महिलाएँ सुरक्षा के लिए निजी खाते रखती हैं, उन्हें व्यक्तिगत जानकारी प्रकट करने के लिए मजबूर किया जा सकता है, जिससे उनकी सुरक्षा से समझौता हो सकता है। आलोचकों का कहना है कि यह नीति जबरदस्ती (coercive) है, गोपनीयता छोड़ने की मांग करती है और व्यक्तियों को डेटा के दुरुपयोग के खिलाफ उजागर करती है। इस नीति परिवर्तन का सीधा प्रभाव उन हजारों भारतीय पेशेवरों पर पड़ेगा जो संयुक्त राज्य अमेरिका में रोज़गार या शैक्षिक अवसर तलाश रहे हैं। भारत का IT और सेवा क्षेत्र, जो H-1B वीज़ा कार्यक्रम पर बहुत अधिक निर्भर है, प्रतिभाओं को तैनात करने (deploying talent) में चुनौतियों का सामना कर सकता है, जिससे व्यावसायिक संचालन और विकास प्रभावित हो सकता है। व्यक्तियों के लिए, यह एक महत्वपूर्ण बाधा है जिसमें उन्हें अपने ऑनलाइन पदचिह्न (online footprint) को सावधानीपूर्वक प्रबंधित करने की आवश्यकता है। इसका प्रभाव यह होगा कि यह नीति सीधे तौर पर सैकड़ों हजारों भारतीय पेशेवरों और उनके परिवारों को प्रभावित करेगी जो अमेरिकी वीज़ा के लिए आवेदन कर रहे हैं। भारतीय IT कंपनियों के लिए प्रतिभा तैनाती में अनिश्चितता और संभावित देरी हो सकती है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रमुख योगदानकर्ता हैं। गोपनीयता और डेटा के संभावित दुरुपयोग की चिंताएँ कुछ व्यक्तियों को अमेरिका में आवेदन करने या अवसर तलाशने से हतोत्साहित कर सकती हैं। जब discretionary judgment की ओर बदलाव हो रहा है, तो वीज़ा प्रक्रिया में निष्पक्षता और पारदर्शिता पर सवाल उठ सकते हैं। प्रभाव रेटिंग: 7/10। कठिन शब्दों की व्याख्या में H-1B वीज़ा, अयोग्य (Inadmissible), निर्णय (Adjudication), discretionary judgment, कंटेंट मॉडरेशन (Content moderation), फैक्ट-चेकिंग (Fact-checking) जैसे शब्द शामिल हैं।

