Transportation
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Updated on 16 Nov 2025, 02:48 pm
Reviewed By
Satyam Jha | Whalesbook News Team
सूरत में मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेलवे (MAHSR) कॉरिडोर के इंजीनियरों और श्रमिकों के साथ बातचीत के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तकनीकी और ज़मीनी अनुभवों के व्यवस्थित दस्तावेज़ीकरण के महत्वपूर्ण महत्व पर बल दिया। उन्होंने भारत की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए निर्णय लेने की प्रक्रिया का विवरण देने वाली एक "ब्लू बुक" बनाने का प्रस्ताव रखा। इसका लक्ष्य देश को आत्मविश्वास और कुशलता के साथ राष्ट्रव्यापी हाई-स्पीड रेल विकास को दोहराने (replicate) में सक्षम बनाना है, और अनावश्यक प्रयोगों से बचना है।
मोदी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि ऐसा व्यापक दस्तावेज़ीकरण न केवल बड़े पैमाने पर बुलेट ट्रेन कार्यान्वयन को गति देगा, बल्कि छात्रों के लिए मूल्यवान सामग्री के रूप में भी काम करेगा, जिससे राष्ट्र-निर्माण के प्रयासों को मजबूती मिलेगी। इंजीनियरों ने अपने अनुभव साझा किए, जिनमें से एक ने नवसारी में नॉइज़ बैरियर फ़ैक्टरी में रीबार केज (rebar cages) की वेल्डिंग के लिए रोबोटिक सिस्टम के उपयोग को उजागर किया और परियोजना को "ड्रीम प्रोजेक्ट" बताया। एक अन्य इंजीनियर, श्रुति, जो लीड इंजीनियरिंग मैनेजर हैं, ने त्रुटि-मुक्त निष्पादन सुनिश्चित करने वाली कठोर डिज़ाइन-समीक्षा (design-review) और इंजीनियरिंग-नियंत्रण (engineering-control) प्रक्रियाओं का विवरण दिया।
508-किमी MAHSR कॉरिडोर, जो गुजरात, दादरा और नगर हवेली, और महाराष्ट्र में फैला है, एक महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा उपक्रम है। लगभग 85% मार्ग (465 किमी) सुरक्षा और न्यूनतम भूमि व्यवधान के लिए ऊंचे वायडक्ट्स (viaducts) पर योजनाबद्ध है, और वायडक्ट्स और नदी पुलों पर पहले ही काफी प्रगति हो चुकी है। चालू होने के बाद, बुलेट ट्रेन से मुंबई और अहमदाबाद के बीच यात्रा के समय को घटाकर लगभग दो घंटे करने की उम्मीद है, जिसका लक्ष्य कॉरिडोर के किनारे व्यापार, पर्यटन और आर्थिक गतिविधि को बढ़ावा देना है।