Transportation
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Updated on 16 Nov 2025, 09:57 am
Reviewed By
Abhay Singh | Whalesbook News Team
भारत का लॉजिस्टिक्स उद्योग गति और तात्कालिकता की ओर एक महत्वपूर्ण बदलाव देख रहा है, जिसका मुख्य कारण ई-कॉमर्स क्षेत्र में उछाल है। अब सिर्फ डिलीवरी का समय ही मुख्य पैमाना नहीं रह गया है, बल्कि यह भी है कि सामान कितनी जल्दी उपभोक्ताओं तक पहुँच सकता है, जिससे तेज डिलीवरी नेटवर्क की दौड़ शुरू हो गई है।
प्रमुख खिलाड़ी तेजी से अनुकूलन कर रहे हैं। दिल्लीवेरी, देश की सबसे बड़ी लॉजिस्टिक्स प्रदाता, ने दिल्ली-एनसीआर और बेंगलुरु में ऑन-डिमांड इंट्रा-सिटी डिलीवरी के लिए 'दिल्लीवेरी डायरेक्ट' लॉन्च किया है, जिसमें 15 मिनट के भीतर पिकअप का वादा किया गया है। कंपनी ने अकेले अक्टूबर 2025 में 107 मिलियन से अधिक ई-कॉमर्स और फ्रेट शिपमेंट की प्रक्रिया की, जो इसके पैमाने को दर्शाता है। इसी तरह, डीटीडीसी ने 2-4 घंटे और उसी दिन डिलीवरी सेवाओं के साथ रैपिड कॉमर्स स्पेस में प्रवेश किया है, और प्रमुख शहरों में डार्क स्टोर संचालित कर रही है। उनका लक्ष्य विभिन्न उत्पाद श्रेणियों में उसी दिन डिलीवरी को व्यवहार्य बनाना है, खासकर टियर 2 और 3 शहरों में बढ़ती मांग के लिए।
अन्य कंपनियां जैसे बोर्जो (पूर्व में वीफास्ट) इंट्रा-सिटी लॉजिस्टिक्स पर ध्यान केंद्रित करती हैं, जो छोटे व्यवसायों के लिए सामर्थ्य और गति पर जोर देती हैं। इमिज़ा 12 शहरों में 24 फुलफिलमेंट सेंटरों का अपना नेटवर्क बढ़ा रही है, जिससे इन्वेंटरी उपभोक्ताओं के करीब रहे और तेजी से शिपमेंट हो सके। उबर कूरियर ने महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की है, डिलीवरी में साल-दर-साल 50% की वृद्धि हुई है, और 10 और शहरों में विस्तार की योजना है। रैपिडो ने भी त्योहारी सीजन के दौरान अपनी त्वरित-डिलीवरी सेवाओं की मांग दोगुनी होते देखी।
वृद्धि काफी महत्वपूर्ण है, भारत की पार्सल अर्थव्यवस्था 2030 तक प्रति माह 1 बिलियन पार्सल से अधिक होने का अनुमान है। यह मांग तेजी से स्थानीय विक्रेताओं और स्वतंत्र ब्रांडों से आ रही है जो तेज और सस्ती डिलीवरी पर निर्भर हैं।
प्रभाव इस खबर का भारतीय शेयर बाजार पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है, खासकर सूचीबद्ध लॉजिस्टिक्स और ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए। चल रहे निवेश, विस्तार और प्रतिस्पर्धी परिदृश्य कुशल खिलाड़ियों के लिए मजबूत विकास क्षमता का संकेत देते हैं और पूंजीगत व्यय में वृद्धि का कारण बन सकते हैं। निवेशक उन कंपनियों को अनुकूल रूप से देख सकते हैं जो इस तेजी से विकसित हो रहे क्षेत्र में फुर्ती और तकनीकी अपनाने की क्षमता प्रदर्शित करती हैं। भारतीय शेयर बाजार पर कुल प्रभाव 7/10 आंका गया है, क्योंकि यह एक प्रमुख आर्थिक क्षेत्र के लिए व्यापक निहितार्थ रखता है।