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दिल्ली हाई कोर्ट ने 17 साल पुराने एमटीएनएल बनाम मोटोरोला विवाद को फिर से खोला, नई सुनवाई का आदेश

Telecom

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Updated on 16th November 2025, 4:19 AM

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Author

Abhay Singh | Whalesbook News Team

Overview:

दिल्ली हाई कोर्ट ने महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) और मोटोरोला के बीच 17 साल पुराने कानूनी विवाद को फिर से खोल दिया है। एक डिवीजन बेंच ने पिछले उस आदेश को खारिज कर दिया था जिसने एमटीएनएल की एक मध्यस्थता पुरस्कार (arbitral award) को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें एमटीएनएल को मोटोरोला को $8.7 मिलियन से अधिक और ₹22.29 करोड़ का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था। अदालत ने पाया कि पिछले फैसले में एमटीएनएल की महत्वपूर्ण आपत्तियों पर विचार नहीं किया गया था।

दिल्ली हाई कोर्ट ने 17 साल पुराने एमटीएनएल बनाम मोटोरोला विवाद को फिर से खोला, नई सुनवाई का आदेश
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Mahanagar Telephone Nigam Limited

दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकारी कंपनी महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) और प्रौद्योगिकी फर्म मोटोरोला के बीच एक महत्वपूर्ण कानूनी लड़ाई को फिर से शुरू कर दिया है, जो मूल रूप से 1999 की एक निविदा (tender) से उत्पन्न हुई थी। यह घटनाक्रम 17 साल बाद आया है जब एक मध्यस्थता न्यायाधिकरण (arbitral tribunal) ने एमटीएनएल को मोटोरोला को $8,768,505 (लगभग ₹77.77 करोड़) और ₹22,29,17,746 का भुगतान करने का आदेश दिया था।

जस्टिस अनिल क्षेेत्रपाल और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की डिवीजन बेंच ने एक एकल न्यायाधीश के पिछले फैसले को पलट दिया, जिसने मध्यस्थता और सुलह अधिनियम (Arbitration and Conciliation Act) की धारा 34 के तहत दायर एमटीएनएल की चुनौती को खारिज कर दिया था। बेंच ने फैसला सुनाया कि 2017 का निर्णय टिकाऊ नहीं था क्योंकि इसने मध्यस्थता पुरस्कार के खिलाफ एमटीएनएल द्वारा उठाई गई महत्वपूर्ण आपत्तियों का ठीक से समाधान नहीं किया था।

एमटीएनएल द्वारा उठाई गई मुख्य आपत्तियां:

  • खरीद आदेश 2 (PO2) की मध्यस्थता-अयोग्यता (Non-Arbitrability): एमटीएनएल ने तर्क दिया कि PO2, PO1 और PO3 के विपरीत, इसमें मध्यस्थता खंड (arbitration clause) नहीं था, जिससे यह एक अलग, मध्यस्थता-अयोग्य अनुबंध (non-arbitrable contract) बन गया। अदालत ने पाया कि पुरस्कार में सभी खरीद आदेशों को एक एकल संयुक्त व्यवस्था (single composite arrangement) मानना ​​समस्याजनक था।
  • अत्यधिक ब्याज दर: एमटीएनएल ने विदेशी मुद्रा और रुपये दोनों घटकों पर लगाए गए 15% वार्षिक ब्याज को चुनौती दी, इसे अत्यधिक और व्यावसायिक वास्तविकताओं के विपरीत माना।
  • मौखिक साक्ष्य का उपचार (Treatment of Oral Evidence): मौखिक साक्ष्य को संभालने के संबंध में आपत्तियों का भी उल्लेख किया गया था।

डिवीजन बेंच ने इस बात पर जोर दिया कि अदालतें धारा 34 की कार्यवाही के सीमित दायरे में भी, प्रत्येक चुनौती पर अपना मन लगाने और तर्कसंगत निष्कर्ष प्रदान करने के लिए कर्तव्यबद्ध हैं।

यह विवाद एमटीएनएल की 1999 की सीडीएमए (CDMA) तकनीक नेटवर्क के लिए निविदा से उत्पन्न हुआ था। मोटोरोला सफल बोलीदाता थी, जिससे 2000 और 2002 के बीच कई खरीद आदेश हुए। बाद में स्वीकृति परीक्षण (acceptance testing), कवरेज और सिस्टम प्रदर्शन को लेकर विवाद उत्पन्न हुए, जिसमें एमटीएनएल ने विफलताओं का आरोप लगाया और मोटोरोला ने अनुपालन और एमटीएनएल द्वारा नेटवर्क के व्यावसायिक उपयोग का दावा किया।

मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने 2008 में मोटोरोला के पक्ष में फैसला सुनाया था, जिसमें भुगतान का निर्देश दिया गया था, और बाद में 2015 में बैंक गारंटी जारी करने का आदेश दिया था। एमटीएनएल की चुनौती को एकल न्यायाधीश ने 2017 में खारिज कर दिया था, जिससे वर्तमान अपीलें हुईं।

डिवीजन बेंच ने अब मामले को नए सिरे से विचार के लिए एक एकल न्यायाधीश को वापस भेज दिया है, जिसका अर्थ है कि एमटीएनएल की महत्वपूर्ण भुगतान बाध्यता अभी भी विवादित है।

प्रभाव

इस कानूनी विवाद के फिर से शुरू होने से एमटीएनएल के लिए अतिरिक्त कानूनी लागतें आ सकती हैं और संभावित वित्तीय देनदारियां हो सकती हैं यदि मध्यस्थता पुरस्कार को नई सुनवाई के बाद अंततः बरकरार रखा जाता है। यह सरकारी दूरसंचार कंपनी द्वारा सामना की जा रही वित्तीय और कानूनी चुनौतियों को उजागर करता है। शामिल महत्वपूर्ण राशि और एमटीएनएल के वित्तीय और निवेशक भावना पर इसके प्रभाव के कारण बाजार प्रभाव के लिए रेटिंग 6/10 है।

कठिन शब्दों की व्याख्या

  • मध्यस्थता (Arbitration): अदालतों के बाहर विवादों को हल करने की एक विधि, जहां पक्षकार एक या एक से अधिक तटस्थ मध्यस्थों द्वारा अपना मामला सुनने के लिए सहमत होते हैं जिनका निर्णय बाध्यकारी होता है।
  • मध्यस्थता न्यायाधिकरण (Arbitral Tribunal): मध्यस्थता में विवाद सुनने और तय करने के लिए नियुक्त मध्यस्थों का पैनल।
  • मध्यस्थता और सुलह अधिनियम की धारा 34 (Section 34 of the Arbitration and Conciliation Act): भारतीय कानून में एक प्रावधान जो पक्षों को विशिष्ट, सीमित आधारों पर अदालत में मध्यस्थता पुरस्कार को चुनौती देने की अनुमति देता है।
  • डिवीजन बेंच (Division Bench): हाई कोर्ट में दो या दो से अधिक न्यायाधीशों की एक बेंच जो अपील या महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई करती है।
  • एकल न्यायाधीश (Single Judge): हाई कोर्ट में अकेले बैठने वाला न्यायाधीश, जो अक्सर मूल क्षेत्राधिकार या निचली अदालतों से अपीलों से निपटता है।
  • इरादा पत्र (Letter of Intent - LOI): पार्टियों के बीच सिद्धांत रूप में एक समझौते की रूपरेखा तैयार करने वाला एक दस्तावेज, जो एक औपचारिक अनुबंध में प्रवेश करने के उनके इरादे को इंगित करता है।
  • खरीद आदेश (Purchase Order - PO): खरीदार द्वारा विक्रेता को जारी किया गया एक वाणिज्यिक दस्तावेज, जो उत्पादों या सेवाओं के प्रकार, मात्रा और सहमत मूल्य को इंगित करता है।
  • सीडीएमए (CDMA) टेक्नोलॉजी: कोड डिवीजन मल्टीपल एक्सेस, विभिन्न रेडियो संचार प्रौद्योगिकियों द्वारा उपयोग की जाने वाली एक चैनल एक्सेस विधि। यह एक पुराना मोबाइल फोन मानक था।
  • आरएफ (RF) कवरेज: रेडियो फ्रीक्वेंसी कवरेज, वायरलेस संचार नेटवर्क की सिग्नल शक्ति और पहुंच को संदर्भित करता है।
  • बेस ट्रांसीवर स्टेशन (Base Transceiver Station - BTS): मोबाइल फोन नेटवर्क में मोबाइल फोन से रेडियो सिग्नल प्रसारित और प्राप्त करने के लिए उपयोग किया जाने वाला उपकरण।

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