सुप्रीम कोर्ट ने रोकी बायजू की विदेशी संपत्ति की बिक्री! EY इंडिया प्रमुख और RP पर अवमानना के सवाल
Overview
बायजू की विदेशी सहायक कंपनियों, एपिक! क्रिएशन्स इंक. और टेंजिबल प्ले इंक. की बिक्री के प्रयास से संबंधित अवमानना के एक मामले में एर्न्स्ट एंड यंग इंडिया के चेयरमैन राजीव मेमनी और बायजू के रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल शैलेन्द्र अजमेरा को तलब करने वाले केरल हाई कोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत ने अवमानना कार्यवाही की वैधता पर सवाल उठाए, यह देखते हुए कि स्थगन आदेश केवल छह दिनों के लिए सक्रिय था।
सुप्रीम कोर्ट ने बायजू की संपत्ति बिक्री मामले में अवमानना कार्यवाही रोकी
भारत के सुप्रीम कोर्ट ने बायजू की विदेशी सहायक कंपनियों से जुड़े एक विवादास्पद कानूनी लड़ाई में हस्तक्षेप किया है, केरल हाई कोर्ट के एक आदेश पर रोक लगाकर। इस आदेश ने एर्न्स्ट एंड यंग इंडिया के चेयरमैन राजीव मेमनी और बायजू के रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल शैलेन्द्र अजमेरा को अवमानना के एक मामले में व्यक्तिगत रूप से हाई कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था। यह मामला बायजू की विदेशी संपत्तियों, विशेष रूप से एपिक! क्रिएशन्स इंक. और टेंजिबल प्ले इंक. की बिक्री के प्रयास से उत्पन्न हुआ था।
अवमानना के आधार पर सवाल
न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति अतुल एस. चंदूरकर की एक पीठ ने अवमानना कार्यवाही की वैधता पर महत्वपूर्ण सवाल उठाए। न्यायाधीशों ने बताया कि जिस निषेधाज्ञा आदेश का कथित तौर पर उल्लंघन किया गया था, वह केवल 21 मई से 27 मई के बीच छह दिनों की छोटी अवधि के लिए ही प्रभावी था, जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने स्वयं ही बदल दिया था। "फिर अवमानना का सवाल ही कहां उठता है?" पीठ ने टिप्पणी की, जिसका अर्थ था कि इस संकीर्ण अवधि के बाहर हुए उल्लंघनों से कोई अवमानना उत्पन्न नहीं हो सकती।
विवाद की पृष्ठभूमि
केरल हाई कोर्ट ने पहले अमेरिकी चैप्टर 11 ट्रस्टी, क्लॉडिया स्प्रिंगर को एपिक से संबंधित संपत्तियों को बेचने से रोकने के लिए एक निषेधाज्ञा जारी की थी। यह एक चल रहे वाणिज्यिक मुकदमे में Voizzit Technology द्वारा दायर निषेधाज्ञा याचिका के जवाब में था। हालांकि, स्प्रिंगर ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
स्प्रिंगर ने तर्क दिया कि केरल हाई कोर्ट का आदेश प्राकृतिक न्याय और न्यायिक सौहार्द के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है, और यह अदालत के पर्यवेक्षी अधिकार क्षेत्र से बाहर था। उन्हें संयुक्त राज्य अमेरिका के डेलावेयर दिवालियापन अदालत द्वारा एपिक, टेंजिबल प्ले इंक. और न्यूरॉन फ्यूल इंक. के लिए चैप्टर 11 ट्रस्टी नियुक्त किया गया था। अमेरिकी अदालत ने 20 मई, 2025 को ही एपिक की संपत्तियों की बिक्री Hy Ruby Limited को मंजूरी दे दी थी, इससे एक दिन पहले केरल हाई कोर्ट ने अपना प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया था।
अमेरिकी अदालत के आदेश और अंतर्राष्ट्रीय संघर्ष
यह स्थिति भारतीय और अमेरिकी कानूनी क्षेत्राधिकारों के बीच एक संघर्ष को उजागर करती है। डेलावेयर दिवालियापन अदालत ने पहले Voizzit और उसके प्रबंध निदेशक राजेंद्रन वेल्लापलाथ के खिलाफ कई प्रतिबंधात्मक और अवमानना आदेश जारी किए थे, जो अमेरिकी कानून के तहत स्वचालित स्थगन का उल्लंघन करते हुए समानांतर भारतीय कार्यवाही के माध्यम से संपत्तियों पर स्वामित्व का दावा करने का प्रयास कर रहे थे। स्प्रिंगर ने तर्क दिया कि केरल हाई कोर्ट के हस्तक्षेप ने प्रभावी रूप से अमेरिकी अदालत के आदेशों को अप्रवर्तनीय बना दिया और पुनर्गठन प्रक्रिया को खतरे में डाल दिया।
इसके बाद Voizzit Technology ने पहले के आदेशों के कथित उल्लंघन को लेकर केरल हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की, जिसके कारण मेमनी और अजमेरा को तलब किया गया। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष वर्तमान अपील इस विकास का परिणाम है, जिसमें शीर्ष अदालत ने अब हाई कोर्ट के निर्देश पर रोक लगा दी है।
प्रभाव
- सुप्रीम कोर्ट के इस स्थगन से एर्न्स्ट एंड यंग इंडिया के चेयरमैन और बायजू के रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल को अस्थायी राहत मिली है, जिससे तत्काल कानूनी दबाव कम हुआ है।
- यह बायजू की विदेशी सहायक कंपनियों, एपिक! और टेंजिबल प्ले की नियोजित बिक्री के लिए एक बाधा को संभावित रूप से दूर करता है, जो कंपनी के पुनर्गठन प्रयासों के लिए महत्वपूर्ण है।
- यह निर्णय क्रॉस-बॉर्डर दिवालियापन और संपत्ति की बिक्री की जटिलताओं को रेखांकित करता है, खासकर जब परस्पर विरोधी अदालती आदेश शामिल हों।
- यह वित्तीय संकट और जटिल कानूनी चुनौतियों का सामना कर रही भारतीय एडटेक कंपनियों और स्टार्टअप्स के प्रति निवेशक भावना को प्रभावित कर सकता है।
- प्रभाव रेटिंग: 7
कठिन शब्दों का अर्थ
- न्यायालय की अवमानना (Contempt of Court): अदालत के आदेश की अवज्ञा करना या अदालत के अधिकार का अनादर दिखाना।
- स्थगन आदेश (Stay Order): किसी कानूनी कार्यवाही या अदालत के फैसले को अस्थायी रूप से निलंबित या रोकने का आदेश।
- निषेधाज्ञा (Injunction): एक अदालत का आदेश जो किसी पक्ष को एक विशिष्ट कार्य करने से रोकता है।
- परिवर्तित (Varied): किसी उच्च प्राधिकारी द्वारा संशोधित या बदला गया।
- चैप्टर 11 दिवालियापन (Chapter 11 bankruptcy): अमेरिका में एक कानूनी प्रक्रिया जो किसी व्यवसाय को अपने ऋणों को पुनर्गठित करते हुए संचालन जारी रखने की अनुमति देती है।
- ऋणी-अपने-कब्जे में (Debtor-in-possession): चैप्टर 11 दिवालियापन की कार्यवाही के दौरान अदालत की देखरेख में अपने व्यवसाय को संचालित करने वाली कंपनी।
- संपत्तियों को हस्तांतरित करना (Alienating Assets): संपत्तियों को बेचना या स्वामित्व स्थानांतरित करना।
- प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत (Principles of Natural Justice): कानूनी कार्यवाही में निष्पक्षता के मूलभूत नियम, जैसे कि सुने जाने का अधिकार।
- न्यायिक सौहार्द (Judicial Comity): विभिन्न न्यायालयों की अदालतें एक-दूसरे के कानूनों और निर्णयों के प्रति जो आपसी सम्मान और शिष्टाचार दिखाती हैं, वह सिद्धांत।
- अनुच्छेद 227 (Article 227): भारतीय संविधान का एक प्रावधान जो उच्च न्यायालयों को सभी अधीनस्थ न्यायालयों और अधिकरणों पर पर्यवेक्षी अधिकार देता है।
- यूएस चैप्टर 11 ट्रस्टी (US Chapter 11 Trustee): अमेरिका की एक दिवालियापन अदालत द्वारा चैप्टर 11 कार्यवाही के दौरान किसी कंपनी की संपत्ति का प्रबंधन करने के लिए नियुक्त व्यक्ति।
- स्वचालित स्थगन (Automatic Stay): दिवालियापन याचिका दायर होने पर स्वचालित रूप से प्रभावी होने वाली एक कानूनी निषेधाज्ञा, जो लेनदारों को देनदार की संपत्तियों के खिलाफ आगे की कार्रवाई करने से रोकती है।
- पुनर्गठन प्रक्रिया (Restructuring Process): किसी कंपनी के वित्तीय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए उसके ऋणों, संचालन और प्रबंधन को पुनर्गठित करने की प्रक्रिया।
- अवमानना याचिका (Contempt Petition): अदालत के आदेश का पालन न करने के लिए किसी पक्ष को अवमानना में रखने का अनुरोध करते हुए अदालत में दायर एक औपचारिक कानूनी आवेदन।

