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बैंक ऑफ इंडिया ने घटाई लेंडिंग रेट: RBI ने किया 25 Bps का कटौती, कर्जदारों को मिली राहत!

Banking/Finance|5th December 2025, 12:52 PM
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AuthorSimar Singh | Whalesbook News Team

Overview

बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी रेपो आधारित लेंडिंग रेट (RBLR) को 25 बेसिस पॉइंट घटाकर 8.10% कर दिया है, जो 5 दिसंबर से प्रभावी है। यह रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) द्वारा बेंचमार्क रेपो रेट में कटौती के फैसले के बाद आया है। इस कदम से RBLR-लिंक्ड लोन वाले ग्राहकों के लिए उधार लेने की लागत कम होने की उम्मीद है।

बैंक ऑफ इंडिया ने घटाई लेंडिंग रेट: RBI ने किया 25 Bps का कटौती, कर्जदारों को मिली राहत!

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बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी रेपो आधारित लेंडिंग रेट (RBLR) में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की है, जिसे घटाकर 8.10% कर दिया गया है। यह समायोजन, जो 5 दिसंबर से प्रभावी है, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) द्वारा हाल ही में बेंचमार्क रेपो रेट में की गई कटौती के जवाब में आया है। सरकारी स्वामित्व वाले ऋणदाता ने एक नियामक फाइलिंग में कहा कि यह संशोधन RBI द्वारा रेपो रेट में की गई कमी से सीधे तौर पर जुड़ा है। इस रणनीतिक कदम का उद्देश्य ग्राहकों को कम नीतिगत दर का लाभ पहुंचाना है, जिससे उधारकर्ताओं पर वित्तीय बोझ कम हो सकता है। पृष्ठभूमि विवरण

  • रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी नवीनतम मौद्रिक नीति समीक्षा में, बेंचमार्क रेपो रेट को 5.50% से घटाकर 5.25% करने का निर्णय लिया। यह मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय बैंक द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला एक प्रमुख उपकरण है।
  • बैंक आम तौर पर रेपो रेट में होने वाले बदलावों पर अपनी लेंडिंग रेट्स को समायोजित करते हैं, विशेष रूप से उन दरों को जो रेपो रेट जैसे बाहरी बेंचमार्क से जुड़ी होती हैं। मुख्य आँकड़े या डेटा
  • पिछला RBLR: 8.35%
  • कमी: 25 बेसिस पॉइंट (0.25%)
  • नया RBLR: 8.10%
  • RBI रेपो रेट (पिछला): 5.50%
  • RBI रेपो रेट (नया): 5.25%
  • मार्कअप कंपोनेंट: 2.85% पर अपरिवर्तित है। घटना का महत्व
  • यह दर कटौती उन व्यक्तियों और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के लिए महत्वपूर्ण है जिनके ऋण सीधे रेपो आधारित लेंडिंग रेट से जुड़े हुए हैं।
  • इससे इन उधारकर्ताओं के लिए समान मासिक किश्तों (EMIs) में कमी आने की उम्मीद है, जिससे उनके समग्र ब्याज भुगतान में कमी आएगी।
  • कम उधार लेने की लागत से आगे उधार लेने और निवेश को प्रोत्साहन मिल सकता है, जिससे आर्थिक गतिविधि को बढ़ावा मिलने की संभावना है। बाजार प्रतिक्रिया
  • हालांकि पाठ में सीधे तौर पर उल्लेख नहीं किया गया है, ऐसी दर कटौती आम तौर पर उधारकर्ताओं के बीच सकारात्मक भावना पैदा करती है।
  • बैंकिंग क्षेत्र के लिए, यह नेट इंटरेस्ट मार्जिन में थोड़ी कमी का कारण बन सकती है यदि फंड की लागत उतनी कम न हो जितनी लेंडिंग रेट कम हुई है, लेकिन समग्र रूप से यह ऋण वृद्धि का समर्थन करती है। प्रबंधन टिप्पणी
  • बैंक ऑफ इंडिया ने कहा, "यह संशोधन RBI द्वारा आज मौद्रिक नीति में घोषित रेपो रेट में कमी के कारण है." यह प्रत्यक्ष पास-थ्रू तंत्र को उजागर करता है।
  • बैंक ने पुष्टि की कि RBLR का मार्कअप कंपोनेंट, जो बेंचमार्क रेट पर स्प्रेड है, अपरिवर्तित रहा है। प्रभाव
  • उधारकर्ताओं पर: RBLR से जुड़े ऋणों पर EMI राशि और समग्र ब्याज भुगतान कम होगा।
  • बैंकों पर: यदि फंड की लागत लेंडिंग रेट की कमी के अनुपात में कम नहीं होती है, तो नेट इंटरेस्ट मार्जिन (NIMs) में मामूली कमी की संभावना है, लेकिन समग्र रूप से प्रतिस्पर्धात्मकता और ऋण मांग में सुधार होगा।
  • अर्थव्यवस्था पर: कम उधार लेने की लागत से उपभोग और निवेश को बढ़ावा मिल सकता है, जिससे आर्थिक विकास को समर्थन मिलेगा।
  • प्रभाव रेटिंग: 6/10 कठिन शब्दों की व्याख्या
  • रेपो आधारित लेंडिंग रेट (RBLR): यह एक प्रकार की लेंडिंग रेट है जिसमें बैंकों द्वारा उधारकर्ताओं से लिया जाने वाला ब्याज दर सीधे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की रेपो रेट से जुड़ा होता है।
  • बेसिस पॉइंट (bps): वित्त में उपयोग की जाने वाली एक माप इकाई है जो किसी वित्तीय साधन में प्रतिशत परिवर्तन का वर्णन करती है। एक बेसिस पॉइंट 0.01% (1/100वां प्रतिशत) के बराबर होता है। इसलिए, 25 बेसिस पॉइंट 0.25% के बराबर हैं।
  • बेंचमार्क रेपो रेट: यह वह दर है जिस पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया वाणिज्यिक बैंकों को पैसा उधार देता है, आमतौर पर सरकारी प्रतिभूतियों के बदले। यह एक प्रमुख मौद्रिक नीति उपकरण है।
  • मौद्रिक नीति: यह वे कार्य हैं जो केंद्रीय बैंक आर्थिक गतिविधि को बढ़ावा देने या रोकने के लिए मुद्रा आपूर्ति और ऋण स्थितियों में हेरफेर करने के लिए करता है।
  • MSME: माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज। ये छोटे और मध्यम आकार के व्यवसाय हैं जो रोजगार और आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं।
  • नियामक फाइलिंग: यह एक दस्तावेज है जो किसी कंपनी द्वारा नियामक प्राधिकरण, जैसे स्टॉक एक्सचेंज या प्रतिभूति आयोग को महत्वपूर्ण जानकारी प्रकट करने के लिए प्रस्तुत किया जाता है।

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