क्या 2026 में भारतीय बाजार में बड़े बदलाव की तैयारी? फंड गुरु ने बताया - बड़ी ग्रोथ से पहले धैर्य रखना बेहद जरूरी!
Overview
ओल्ड ब्रिज म्यूचुअल फंड के सीआईओ केनेथ एंड्रेड को उम्मीद है कि भारतीय इक्विटी 2026 की शुरुआत तक 'टाइम करेक्शन' से गुजरेगी, और निवेशकों को धैर्य रखने की सलाह दी है। उन्हें 2026 के उत्तरार्ध और 2027 में कॉर्पोरेट विकास में रिकवरी की उम्मीद है। फंड मुद्रा, घरेलू खपत, वैश्विक फ्रेंचाइजी और केपेक्स-आधारित विकास जैसे विषयों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, और फार्मास्यूटिकल्स, ऑटोमोटिव और धातु जैसे क्षेत्रों को प्राथमिकता दे रहा है। रियल एस्टेट में कंसोलिडेशन देखा जा रहा है, जबकि डॉलर एक्सपोजर वाली कंपनियों को तरजीह दी जा रही है।
ओल्ड ब्रिज म्यूचुअल फंड के सीआईओ केनेथ एंड्रेड का अनुमान है कि भारतीय इक्विटी में 'टाइम करेक्शन' का मौजूदा चरण 2026 की शुरुआत तक जारी रहेगा। वह सलाह देते हैं कि निवेशक इस अवधि के दौरान धैर्य रखें, उन्हें उम्मीद है कि 2026 के उत्तरार्ध और 2027 में कॉर्पोरेट इंडिया की ग्रोथ में महत्वपूर्ण उछाल आएगा। फंड रणनीतिक रूप से मुद्रा, घरेलू खपत और वैश्विक फ्रेंचाइजी बनाने वाली कंपनियों से जुड़े विषयों की ओर उन्मुख है, जिसमें मूल्यांकन (valuation) और केपेक्स-आधारित विकास (capex-led growth) पर जोर दिया गया है।
बाजार का दृष्टिकोण: 2026 तक धैर्य की आवश्यकता
- केनेथ एंड्रेड, ओल्ड ब्रिज म्यूचुअल फंड (30 सितंबर 2025 तक ₹1,953 करोड़ का प्रबंधन) का नेतृत्व करते हुए, सुझाव देते हैं कि भारतीय इक्विटी में 'टाइम करेक्शन' का वर्तमान चरण संभवतः 2026 की शुरुआत तक जारी रहेगा।
- वह निवेशकों को धैर्य बनाए रखने की सलाह देते हैं, और कहते हैं, "आपको 2026 तक थोड़ा धैर्य रखना होगा।"
- हालांकि अगले साल की पहली तिमाही में बाजार की चौड़ाई (market breadth) कमजोर रह सकती है, एंड्रेड कॉर्पोरेट इंडिया की विकास संभावनाओं में मजबूत सुधार की उम्मीद करते हैं।
- "हम 2026 के उत्तरार्ध और 2027 में बहुत बेहतर स्थिति में होंगे," उन्होंने भविष्यवाणी की।
प्रमुख निवेश थीम्स
- ओल्ड ब्रिज म्यूचुअल फंड अपने पोर्टफोलियो को मुद्रा आंदोलनों, घरेलू उपभोग पैटर्न और सफलतापूर्वक वैश्विक फ्रेंचाइजी स्थापित करने वाली कंपनियों से निकटता से जुड़े विषयों के साथ संरेखित कर रहा है।
- एंड्रेड ने उनके वित्तीय दृष्टिकोण को निर्देशित करने वाले प्राथमिक विषयों के रूप में "मूल्यांकन" (valuations) और "केपेक्स-आधारित विकास" (capex-led growth) पर प्रकाश डाला।
क्षेत्रीय अवसर
- फंड उन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण क्षमता देखता है जहां पूंजीगत व्यय (capex) या तो पहले से ही चल रहा है या पूरा होने वाला है।
- फार्मास्यूटिकल्स और ऑटोमोटिव को प्रमुख क्षेत्र के रूप में पहचाना गया है जो इस प्रवृत्ति से लाभान्वित हो रहे हैं।
- मेटल्स से भी अगले एक से दो वर्षों में नई क्षमता वृद्धि और बढ़ते वॉल्यूम से अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद है।
रियल एस्टेट और कमोडिटीज
- एंड्रेड ने रियल एस्टेट बाजार में मूल्य वृद्धि से बिक्री वृद्धि पर ध्यान केंद्रित करने की ओर बदलाव देखा, और वर्तमान चरण को "कंसोलिडेशन" (consolidation) का दौर बताया।
- फंड के पास वर्तमान में कमोडिटीज क्षेत्र में लगभग 12% एक्सपोजर है, जिसमें फेरस और नॉन-फेरस दोनों खिलाड़ी शामिल हैं।
- यहां की रणनीति उन कंपनियों की पहचान करने में शामिल है जो बुद्धिमानी से पूंजी तैनात कर रही हैं, और नई क्षमताएं बढ़ने पर रिटर्न में सुधार की उम्मीद है।
कंज्यूमर-टेक और आईटी सर्विसेज
- कंज्यूमर-टेक और पेमेंट-टेक लिस्टिंग के प्रदर्शन को स्वीकार करते हुए, एंड्रेड ने कहा कि वे अभी तक फंड के मुख्य निवेश दृष्टिकोण के साथ संरेखित नहीं होते हैं, जो आंतरिक नकदी प्रवाह (internal cash flows) के माध्यम से विकास प्रदर्शित करने वाली कंपनियों को पसंद करता है।
- उनका मानना है कि इन व्यवसायों को अधिक आकर्षक बनाने के लिए मूल्यांकन में सुधार (correct) होना चाहिए, या आय (earnings) को तेजी से बढ़ना चाहिए।
- ओल्ड ब्रिज आईटी सर्विसेज में लगभग 10% निवेश जारी रखे हुए है, जो नकदी प्रवाह सृजन और ऑटोमेशन (automation) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) में प्रगति से समर्थन की उम्मीद कर रहा है।
- हालांकि, एंड्रेड ने चेतावनी दी कि केवल चुनिंदा आईटी कंपनियों को ही एआई (AI) प्रगति से लाभ होने की संभावना है, न कि पूरे क्षेत्र को।
वैश्विक एक्सपोजर को प्राथमिकता
- फंड महत्वपूर्ण विदेशी उपस्थिति वाली कंपनियों को प्राथमिकता देना जारी रखे हुए है।
- "कोई भी व्यवसाय जिसका उचित रूप से बड़ा डॉलर एक्सपोजर है... वही हमें पसंद है," एंड्रेड ने कहा।
- उन्होंने भारत की आर्थिक क्षमता को बढ़ाने और महत्वपूर्ण बाजार वृद्धि को बनाए रखने के लिए भारतीय कंपनियों द्वारा वैश्विक फ्रेंचाइजी बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
प्रभाव
- यह दृष्टिकोण बताता है कि निवेशकों को अल्पकालिक बाजार लाभ के लिए अपनी अपेक्षाओं को समायोजित करने की आवश्यकता हो सकती है, इसके बजाय दीर्घकालिक विकास क्षमता और धैर्य पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
- मजबूत केपेक्स पाइपलाइन, घरेलू मांग चालकों और वैश्विक पहुंच वाले क्षेत्रों को प्राथमिकता दिए जाने की संभावना है।
- डॉलर एक्सपोजर पर जोर अंतरराष्ट्रीय व्यापार या सेवाओं में शामिल कंपनियों को लाभ पहुंचा सकता है।
- प्रभाव रेटिंग: 7/10
कठिन शब्दों की व्याख्या
- टाइम करेक्शन (Time Correction): एक बाजार की स्थिति जहां संपत्ति की कीमतें एक विस्तारित अवधि के लिए पार्श्व या एक सीमा के भीतर समेकित (consolidate) होती हैं, न कि तेज गिरावट या उछाल का अनुभव करने के बजाय। यह अंतर्निहित बुनियादी सिद्धांतों को मूल्यांकन के साथ तालमेल बिठाने की अनुमति देता है।
- कंसोलिडेशन फेज (Consolidation Phase): बाजार में एक अवधि जहां कीमतें अपेक्षाकृत संकीर्ण दायरे में चलती हैं, जो खरीद और बिक्री के दबाव के बीच संतुलन का संकेत देती है, जो अक्सर एक महत्वपूर्ण मूल्य चाल से पहले होती है।
- ब्रेड्थ ऑफ द मार्केट (Breadth of the Market): बाजार में स्टॉक मूल्य में वृद्धि या गिरावट कितनी व्यापक रूप से फैली हुई है, इसे संदर्भित करता है। मजबूत चौड़ाई का मतलब है कि कई स्टॉक रैली में भाग ले रहे हैं; कमजोर चौड़ाई का मतलब है कि केवल कुछ बड़े स्टॉक बाजार चला रहे हैं।
- केपेक्स (Capex - Capital Expenditure): किसी कंपनी द्वारा संपत्ति, भवन, प्रौद्योगिकी या उपकरण जैसी भौतिक संपत्तियों को प्राप्त करने, अपग्रेड करने और बनाए रखने के लिए उपयोग किए जाने वाले धन।
- ग्लोबल फ्रेंचाइजी (Global Franchises): ऐसे व्यवसाय जिन्होंने कई देशों में एक मजबूत ब्रांड उपस्थिति, परिचालन मॉडल और ग्राहक आधार स्थापित किया है।
- आंतरिक नकदी प्रवाह (Internal Cash Flows): परिचालन व्यय को ध्यान में रखने के बाद कंपनी के सामान्य व्यावसायिक संचालन से उत्पन्न नकदी।
- ऑटोमेशन (Automation): मनुष्यों द्वारा पहले किए गए कार्यों को करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग।
- एआई (AI - Artificial Intelligence): मशीनों, विशेष रूप से कंप्यूटर सिस्टम द्वारा मानव बुद्धि प्रक्रियाओं का अनुकरण, जिसमें सीखना, समस्या-समाधान और निर्णय लेना शामिल है।

