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भारत सरकार विदेशी AI के इस्तेमाल को लेकर चिंतित, घरेलू विकल्पों पर जोर

Tech

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Updated on 07 Nov 2025, 03:27 pm

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Reviewed By

Simar Singh | Whalesbook News Team

Short Description:

भारतीय सरकार डेटा गोपनीयता और संभावित अनुमान जोखिमों (inference risks) को लेकर चिंताओं के कारण अधिकारियों और जनता द्वारा विदेशी जनरेटिव AI प्लेटफार्मों के उपयोग की बढ़ती जांच कर रही है। वित्त मंत्रालय जैसे मंत्रालयों ने गोपनीयता के मुद्दों का हवाला देते हुए कर्मचारियों को आधिकारिक उपकरणों पर चैटजीपीटी जैसे टूल का उपयोग करने से प्रतिबंधित कर दिया है। सुरक्षा और डेटा संप्रभुता पर यह ध्यान भारत के स्वदेशी AI मॉडल विकसित करने और स्थानीय डिजिटल समाधानों को बढ़ावा देने के प्रयासों के साथ संरेखित है, खासकर जब विदेशी AI तक मुफ्त पहुंच लोकप्रिय दूरसंचार सेवाओं के साथ बंडल की जा रही है।
भारत सरकार विदेशी AI के इस्तेमाल को लेकर चिंतित, घरेलू विकल्पों पर जोर

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Detailed Coverage:

भारतीय सरकार विदेशी जनरेटिव AI (GenAI) प्लेटफार्मों को व्यापक रूप से अपनाने से जुड़े जोखिमों पर सक्रिय रूप से बहस कर रही है, विशेष रूप से सरकारी अधिकारियों द्वारा उनके उपयोग को लेकर। चिंताएं बुनियादी डेटा गोपनीयता से आगे बढ़कर 'अनुमान जोखिम' (inference risk) तक फैली हुई हैं - यह संभावना कि AI सिस्टम उपयोगकर्ता की क्वेरी, व्यवहार पैटर्न और रिश्तों से अप्रत्यक्ष रूप से संवेदनशील जानकारी का अनुमान लगा सकते हैं। अधिकारियों को चिंता है कि शीर्ष पदाधिकारियों द्वारा की गई क्वेरी सरकारी प्राथमिकताओं, समय-सीमाओं या कमजोरियों को उजागर कर सकती हैं, और गुमनाम बड़े पैमाने पर उपयोग डेटा वैश्विक फर्मों को लाभ पहुंचा सकता है। इन चिंताओं के जवाब में, वित्त मंत्रालय ने सरकारी डेटा और दस्तावेजों की गोपनीयता के जोखिमों का हवाला देते हुए, चैटजीपीटी और डीपसीक जैसे AI टूल का आधिकारिक कंप्यूटरों और उपकरणों पर उपयोग प्रतिबंधित करने का निर्देश जारी किया है। यह बहस भारत के 10,370 करोड़ रुपये के इंडिया AI मिशन के तहत अपने स्वदेशी लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLMs) विकसित करने के निवेश के साथ हो रही है, जिसमें कई स्थानीय मॉडल जल्द ही अपेक्षित हैं। सरकार 'स्वदेशी' (स्वदेशी) डिजिटल टूल के उपयोग पर भी जोर दे रही है, जो भू-राजनीतिक विचारों से और बढ़ गया है। प्रधानमंत्री से विभिन्न डिजिटल पारिस्थितिक तंत्रों में घरेलू प्लेटफार्मों के लिए एक धक्का देने की रिपोर्ट है। इसके अलावा, ओपनएआई और अल्फाबेट जैसी कंपनियों की विदेशी AI सेवाओं तक मुफ्त पहुंच प्रमुख दूरसंचार ऑपरेटर रिलायंस जियो और भारती एयरटेल के माध्यम से पेश की जा रही है, जो डेटा संप्रभुता पर सवाल उठा रही है। एक हालिया रिपोर्ट ने AI शासन के लिए भारत-विशिष्ट जोखिम मूल्यांकन ढांचे और 'संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण' (whole of government approach) की सिफारिश की है। प्रभाव: यह खबर भारतीय टेक परिदृश्य में एक संभावित बदलाव का संकेत देती है, जिससे विदेशी AI प्रदाताओं के लिए नियामक बाधाएं पैदा हो सकती हैं, जबकि घरेलू AI डेवलपर्स और स्थानीय समाधानों को बढ़ावा देने वाली टेक कंपनियों के लिए अवसर पैदा हो सकते हैं। निवेशक ठोस नीतिगत बदलावों पर नजर रखेंगे जो स्वदेशी नवाचार और डेटा सुरक्षा उपायों के पक्ष में हो सकते हैं।


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