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Updated on 10 Nov 2025, 07:02 pm
Reviewed By
Satyam Jha | Whalesbook News Team
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भारत का स्मार्टफोन बाजार अनुमान से कहीं अधिक धीमी गति से गुजर रहा है। रिसर्च फर्म IDC इंडिया ने 2025 के लिए अपने पूर्वानुमान को घटाकर 150 मिलियन यूनिट से भी नीचे कर दिया है, जो पहले 151 मिलियन यूनिट था, और उम्मीद है कि यह नकारात्मक प्रवृत्ति 2026 तक जारी रहेगी। IDC इंडिया की उपासना जोशी ने कहा कि तीसरी तिमाही (Q3) में त्योहारी सीजन (festival season) की वृद्धि एक अल्पकालिक प्रभाव था, जबकि अंतर्निहित प्रवृत्ति नकारात्मक है। इस गिरावट के मुख्य कारण बढ़ती कंपोनेंट लागत, प्रतिकूल विनिमय दरें और त्योहारी सीजन की छूट के बाद कंपनियों द्वारा अपने मार्जिन को बहाल करने की आवश्यकता हैं। ये कारक स्मार्टफोन निर्माताओं को कीमतें बढ़ाने के लिए मजबूर कर रहे हैं, जिससे उपभोक्ता मांग "गंभीर रूप से सीमित" होने का अनुमान है। काउंटरपॉइंट रिसर्च ने भी तीसरी तिमाही (Q3) में 5% की साल-दर-साल वृद्धि के बावजूद, 2025 के लिए अपने पूर्वानुमान को 156 मिलियन से घटाकर 155 मिलियन यूनिट से कम कर दिया है। काउंटरपॉइंट रिसर्च के प्राचिर सिंह ने त्योहारी सीजन के बाद की सामान्य मंदी का उल्लेख किया, जिसे मूल्य वृद्धि ने और बढ़ा दिया है, जिससे मांग और विवेकाधीन खर्च (discretionary spending) कम हुआ है। सबसे कमजोर सेगमेंट एंट्री-लेवल और मिड-रेंज स्मार्टफोन हैं, जहां 5-7% की मूल्य वृद्धि की उम्मीद है, जो मूल्य संवेदनशीलता (price sensitivity) के कारण वॉल्यूम ग्रोथ को नुकसान पहुंचाएगी। विश्लेषकों को उम्मीद है कि कीमतें 2026 की दूसरी तिमाही (Q2) तक बढ़ती रहेंगी, और वर्ष के उत्तरार्ध में सुधार की संभावना है। प्रभाव: इस खबर का भारतीय शेयर बाजार (stock market) पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। यह सीधे तौर पर उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों, उनके आपूर्तिकर्ताओं (suppliers) और खुदरा विक्रेताओं (retailers) को प्रभावित करता है। स्मार्टफोन की बिक्री में निरंतर गिरावट व्यापक उपभोक्ता खर्च में कमजोरी का संकेत दे सकती है, जिससे प्रौद्योगिकी और खुदरा क्षेत्रों में निवेशक भावना (investor sentiment) और कॉर्पोरेट आय (corporate earnings) प्रभावित हो सकती है। बढ़ी हुई कीमतें मुद्रास्फीति (inflation) के आंकड़ों को भी प्रभावित कर सकती हैं। रेटिंग: 8/10. शब्द (Terms): कंपोनेंट लागत (Component costs): स्मार्टफोन बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले कच्चे माल और पुर्जों (जैसे चिप्स, स्क्रीन, बैटरी) की कीमत। विनिमय दरें (Exchange rates / forex headwinds): एक मुद्रा का दूसरी मुद्रा की तुलना में मूल्य। जब भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर जैसी मुद्राओं के मुकाबले कमजोर होता है, तो भारतीय कंपनियों के लिए घटकों का आयात करना महंगा हो जाता है, जिससे उनकी लागत बढ़ जाती है। ASP (Average Selling Price): वह औसत मूल्य जिस पर कोई उत्पाद बेचा जाता है। बढ़ती ASP का मतलब है कि फोन औसतन अधिक महंगे हो रहे हैं। एंट्री-लेवल और मिड-रेंज सेगमेंट (Entry-level and mid-range segments): बाजार के निचले और मध्य मूल्य श्रेणियों में स्मार्टफोन श्रेणियां, जो आम तौर पर अधिकांश उपभोक्ताओं को लक्षित करती हैं।