Whalesbook Logo

Whalesbook

  • Home
  • About Us
  • Contact Us
  • News
  • Stocks
  • Premium
Back

एक्स कॉर्प का बड़ा कदम! कंटेंट हटाने के मामले में भारत में कोर्ट की लड़ाई तेज - आपके लिए इसका क्या मतलब है!

Tech

|

Updated on 15th November 2025, 8:07 AM

Whalesbook Logo

Author

Simar Singh | Whalesbook News Team

alert-banner
Get it on Google PlayDownload on App Store

Crux:

एक्स कॉर्प (पूर्व में ट्विटर) ने भारत सरकार के 'सहयोग' पोर्टल के माध्यम से कंटेंट हटाने के आदेश जारी करने की वैधता को बरकरार रखने वाले फैसले के खिलाफ कर्नाटक उच्च न्यायालय में अपील दायर की है। एक्स कॉर्प का तर्क है कि यह पोर्टल कानूनी उचित प्रक्रिया (due process) और संवैधानिक सुरक्षा उपायों को दरकिनार करता है। अदालत ने पहले एक्स कॉर्प की याचिका खारिज कर दी थी, यह कहते हुए कि अनुच्छेद 19 के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता केवल भारतीय नागरिकों के लिए है और कंपनी की भारतीय कानूनों का पालन न करने की आलोचना की थी। एक्स कॉर्प इस फैसले को चुनौती देने की योजना बना रही है, जिसमें मनमाने ढंग से कंटेंट हटाने के आदेशों पर चिंता जताई गई है।

एक्स कॉर्प का बड़ा कदम! कंटेंट हटाने के मामले में भारत में कोर्ट की लड़ाई तेज - आपके लिए इसका क्या मतलब है!

▶

Detailed Coverage:

एक्स कॉर्प, जिसे पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता था, ने कर्नाटक उच्च न्यायालय की एक डिवीजन बेंच के समक्ष एक रिट अपील दायर की है। यह कानूनी कार्रवाई एक एकल-न्यायाधीश बेंच के हालिया फैसले को चुनौती देती है जिसने भारतीय सरकार के 'सहयोग' पोर्टल की वैधता की पुष्टि की थी। सहयोग पोर्टल एक ऑनलाइन प्रणाली है जिसे सरकारी संस्थाओं को एक्स कॉर्प जैसे ऑनलाइन मध्यस्थों को कंटेंट हटाने के आदेश जारी करने की अनुमति देने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

एक्स कॉर्प ने शुरू में सहयोग पोर्टल की कार्यप्रणाली को चुनौती दी थी, यह दावा करते हुए कि यह सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (आईटी अधिनियम) में उल्लिखित आवश्यक उचित प्रक्रिया की आवश्यकताओं को दरकिनार करता है और ऑनलाइन सामग्री को विनियमित करने के संबंध में श्रेया सिंघल मामले द्वारा स्थापित सुरक्षा उपायों का उल्लंघन करता है। कंपनी ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ के संबंध में केंद्रीय रेल मंत्रालय से कई कंटेंट हटाने के नोटिस प्राप्त करने के बाद अपनी याचिका दायर की थी। एक्स कॉर्प ने कानूनी घोषणा मांगी थी कि आईटी अधिनियम की धारा 79(3)(b) ऐसे पोर्टल के माध्यम से सामग्री को ब्लॉक करने के लिए सशक्त नहीं करती है।

हालांकि, 24 सितंबर को, न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली एकल-न्यायाधीश बेंच ने एक्स कॉर्प की याचिका खारिज कर दी। न्यायाधीश ने राय दी कि एक्स कॉर्प संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के किसी भी उल्लंघन का दावा नहीं कर सकता क्योंकि ये अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को दिए गए हैं, विदेशी संस्थाओं को नहीं। अदालत ने एक्स कॉर्प के आचरण पर भी असंतोष व्यक्त किया था, जो कथित तौर पर संयुक्त राज्य अमेरिका में अपने घरेलू क्षेत्राधिकार में नियमों का पालन कर रहा था, जबकि भारतीय कानूनों का पालन करने से इनकार कर रहा था। फैसले में कहा गया था कि सोशल मीडिया को 'अराजक स्वतंत्रता' की स्थिति में अस्तित्व में रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती है और गरिमा की रक्षा करने और अपराधों को रोकने के लिए सामग्री विनियमन के महत्व पर जोर दिया गया।

एक्स कॉर्प ने इस फैसले को चुनौती देने के अपने इरादे को व्यक्त किया है, यह गंभीर चिंता जताते हुए कि यह निर्णय 'लाखों पुलिस अधिकारियों' को 'गुप्त ऑनलाइन पोर्टल' के माध्यम से मनमाने ढंग से कंटेंट हटाने के आदेश जारी करने की अनुमति दे सकता है।

प्रभाव: यह कानूनी लड़ाई वैश्विक तकनीकी प्लेटफार्मों और भारतीय नियामक अधिकारियों के बीच संबंधों में एक महत्वपूर्ण मोड़ का संकेत देती है। यह भारत में एक्स कॉर्प के परिचालन ढांचे को प्रभावित करती है, जिससे अनुपालन बोझ और नियामक जांच बढ़ने की संभावना है। व्यापक भारतीय तकनीकी क्षेत्र और विदेशी निवेशकों के लिए, यह विकसित हो रहे नियामक परिदृश्य और ऑनलाइन सामग्री और मंच प्रशासन से संबंधित कानूनी चुनौतियों की क्षमता को उजागर करता है। परिणाम भविष्य की नीति-निर्माण को प्रभावित कर सकता है और यह भी कि अंतरराष्ट्रीय प्रौद्योगिकी कंपनियां भारतीय बाजार में कैसे नेविगेट करती हैं।

प्रभाव रेटिंग: 7/10

कठिन शब्दों की व्याख्या: * **रिट अपील (Writ Appeal)**: किसी निचली अदालत के फैसले की समीक्षा के लिए उच्च न्यायालय से किया गया एक औपचारिक अनुरोध। * **डिवीजन बेंच (Division Bench)**: उच्च न्यायालय के भीतर दो या अधिक न्यायाधीशों का एक पैनल जो एकल न्यायाधीश के फैसलों की अपील सुनता है। * **सहयोग पोर्टल (Sahyog Portal)**: भारतीय सरकार द्वारा बनाया गया एक ऑनलाइन मंच जो ऑनलाइन मध्यस्थों को कंटेंट हटाने के निर्देश जारी करने के लिए है। * **ऑनलाइन मध्यस्थ (Online Intermediaries)**: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, सर्च इंजन या क्लाउड सेवा प्रदाताओं जैसी संस्थाएं जो उपयोगकर्ता-जनित सामग्री को होस्ट या प्रसारित करती हैं। * **उचित प्रक्रिया (Due Process)**: कानूनी कार्यवाही में व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा के लिए पालन की जाने वाली कानूनी प्रक्रियाएं, जो निष्पक्षता सुनिश्चित करती हैं। * **सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (IT Act)**: भारत में साइबर अपराध, इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स और ऑनलाइन मध्यस्थों के विनियमन से संबंधित प्राथमिक कानून। * **श्रेया सिंघल मामला (Shreya Singhal case)**: 2015 का एक ऐतिहासिक सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय जिसने ऑनलाइन भाषण की स्वतंत्रता को संबोधित किया, आईटी अधिनियम की धारा 66A को रद्द कर दिया। * **अनुच्छेद 19 (Article 19)**: भारतीय संविधान के तहत भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से संबंधित एक मौलिक अधिकार। * **अराजक स्वतंत्रता (Anarchic Freedom)**: पूर्ण अव्यवस्था या अराजकता की स्थिति, बिना किसी शासी नियमों या प्राधिकरण के।


Agriculture Sector

भारत का छिपा हुआ पावरहाउस: कैसे सहकारी समितियाँ आर्थिक विकास और वैश्विक प्रभुत्व को बढ़ावा दे रही हैं!

भारत का छिपा हुआ पावरहाउस: कैसे सहकारी समितियाँ आर्थिक विकास और वैश्विक प्रभुत्व को बढ़ावा दे रही हैं!


Startups/VC Sector

भारत की स्टार्टअप फंडिंग गिरी, लेकिन IPO की धूम ने मचाया दलाल स्ट्रीट पर धमाल!

भारत की स्टार्टअप फंडिंग गिरी, लेकिन IPO की धूम ने मचाया दलाल स्ट्रीट पर धमाल!