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30th October 2025, 7:18 PM

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टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) डेटा सेंटरों के लिए क्षमताएं विकसित करने पर केंद्रित $6.5 बिलियन की एक महत्वाकांक्षी पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) योजना का खुलासा किया है। TCS के सीईओ के. कृतिवासन ने कहा कि कंपनी का उद्देश्य दुनिया की सबसे बड़ी AI-आधारित सेवा कंपनी बनना है, जो वैश्विक ग्राहकों के अवसरों और मजबूत घरेलू विकास की संभावनाओं दोनों का लाभ उठाएगी। इस वित्तपोषण रणनीति में इक्विटी और ऋण का संयोजन शामिल है, जिसमें TCS अपने विस्तार पर लचीलेपन और रणनीतिक नियंत्रण को सुनिश्चित करने के लिए एक वित्तीय निवेशक के साथ साझेदारी कर रहा है। यह पहल भारतीय फर्मों द्वारा अपने परिचालन को बढ़ाने और बढ़ती डिजिटल मांग को पूरा करने के लिए निजी पूंजी का तेजी से उपयोग करने की व्यापक प्रवृत्ति के अनुरूप है। उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि अपोलो, ब्लैकस्टोन और सीपीपी इन्वेस्टमेंट्स जैसे संस्थागत निवेशक प्रमुख क्लाउड प्रदाताओं (हाइपरस्केलर्स) से अनुमानित राजस्व के बदले में पर्याप्त, दीर्घकालिक ऋण प्रदान कर रहे हैं। यह एक प्रतिमान बदलाव का संकेत देता है, जहां डेटा सेंटरों को अब केवल प्रौद्योगिकी रियल एस्टेट के बजाय मुख्य इंफ्रास्ट्रक्चर संपत्ति के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि उनकी मांग की विशेषताएं मजबूत हैं। भारत की डेटा सेंटर क्षमता अगले दो वर्षों के भीतर 2,000 मेगावाट (MW) से अधिक होने की उम्मीद है, जिसके लिए अनुमानित $3.5 बिलियन के अतिरिक्त निवेश की आवश्यकता होगी। AdaniConneX, Yotta Data, और CapitaLand जैसे प्रमुख भारतीय ऑपरेटरों ने पहले ही विशाल हाइपरस्केल सुविधाओं को विकसित करने के लिए लगभग $2 बिलियन सुरक्षित कर लिए हैं। इस क्षेत्र में प्रवाहित होने वाली पूंजी की प्रकृति विकसित हो रही है, जिसमें लचीले निजी ऋण और लंबी अवधि के इंफ्रास्ट्रक्चर फंड अधिक प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। बार्कलेज की एक रिपोर्ट का अनुमान है कि भारत 2030 तक डेटा सेंटर निवेश में लगभग $19 बिलियन आकर्षित कर सकता है, जो पिछले साल के $12 बिलियन से काफी अधिक है। मांग हाइपरस्केलर्स और बैंकों व स्टॉक एक्सचेंजों जैसे बड़े उद्यमों दोनों से आ रही है, जिसमें हाइपरस्केलर्स अपनी व्यापक AI योजनाओं के कारण तेजी से वृद्धि कर रहे हैं। प्रभाव: TCS द्वारा यह महत्वपूर्ण निवेश, व्यापक उद्योग प्रवृत्तियों के साथ मिलकर, भारत के डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और AI क्षमताओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ावा देगा। इससे और अधिक घरेलू और अंतरराष्ट्रीय निवेश आकर्षित होने की उम्मीद है, वैश्विक प्रौद्योगिकी हब के रूप में भारत की स्थिति मजबूत होगी, और आईटी और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्रों में रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा। AI पर रणनीतिक ध्यान राष्ट्र की तकनीकी आत्मनिर्भरता और आर्थिक प्रतिस्पर्धात्मकता को मजबूत करता है। रेटिंग: 8/10.