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31st October 2025, 5:51 PM
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भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने आधार तकनीक के भविष्य के विकास को आकार देने के लिए एक प्रतिष्ठित विशेषज्ञ समिति के गठन की घोषणा की है। 'आधार विजन 2032' ढांचे के तहत यह रणनीतिक कदम, अगले दशक में आधार प्रणाली को उभरते तकनीकी परिदृश्यों और साइबर सुरक्षा चुनौतियों के प्रति अधिक मजबूत, सुरक्षित और अनुकूल बनाने का लक्ष्य रखता है। समिति की अध्यक्षता UIDAI की अध्यक्ष नीलकंठ मिश्रा कर रही हैं, जिसमें प्रौद्योगिकी, शिक्षा जगत और कानूनी क्षेत्रों के प्रमुख हस्तियां शामिल हैं। उनका प्राथमिक उद्देश्य अगली पीढ़ी की आधार वास्तुकला (architecture) के लिए एक रोडमैप तैयार करना है। यह रोडमैप सुनिश्चित करेगा कि आधार न केवल अपनी तकनीकी नेतृत्व क्षमता बनाए रखे, बल्कि भारत के लिए एक सुरक्षित, समावेशी और जन-केंद्रित डिजिटल पहचान समाधान के रूप में अपनी भूमिका को भी मजबूत करे। मुख्य फोकस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), ब्लॉकचेन, क्वांटम कंप्यूटिंग और उन्नत एन्क्रिप्शन तकनीकों जैसी उन्नत तकनीकों को एकीकृत करना होगा। यह एकीकरण मापनीयता में सुधार, डेटा सुरक्षा सुनिश्चित करने और परिष्कृत साइबर खतरों के खिलाफ लचीलापन बनाने के लिए महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, ढांचा भारत के डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (DPDP) अधिनियम और अंतरराष्ट्रीय गोपनीयता और साइबर सुरक्षा मानकों के अनुरूप विकसित किया जाएगा, जिससे अनुपालन और विश्वास सुनिश्चित होगा। प्रभाव: यह पहल भारत के डिजिटल बुनियादी ढांचे के लिए महत्वपूर्ण है। आधार की तकनीक को सक्रिय रूप से अपग्रेड करके, UIDAI यह सुनिश्चित कर रही है कि मूलभूत डिजिटल पहचान प्रणाली भविष्य के गोपनीयता नियमों के अनुसार सुरक्षित, मापनीय और अनुपालन में रहे। इससे डिजिटल सेवाओं में अधिक विश्वास पैदा होगा और सरकार के डिजिटल इंडिया विजन का समर्थन मिलेगा। अत्याधुनिक तकनीकों को अपनाने से भारत में संबंधित प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में नवाचार को भी बढ़ावा मिल सकता है। प्रभाव रेटिंग: 8/10।