भारत का निर्यात रहस्य: ज़्यादा आयात से बड़ी ग्लोबल बिक्री क्यों?
Overview
ICEA के चेयरमैन पंकज महेंद्राे ने कहा कि भारत को बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात बढ़ाने के लिए कंपोनेंट आयात (component imports) बढ़ाने होंगे, चीन के मॉडल का हवाला देते हुए। उन्होंने भारत की मानवशक्ति (manpower) की ताकत पर प्रकाश डाला, लेकिन चीन और वियतनाम जैसे प्रतिस्पर्धियों की तुलना में "आंतरिक नीतियों" (inward-looking policies) और "पूंजी लागत" (capital costs) में नुकसान का उल्लेख किया। महेंद्राे ने उत्तर प्रदेश की इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण संभावनाओं के बारे में आशावाद व्यक्त किया, और राज्य के नेताओं से रोडशो (roadshows) के माध्यम से सक्रिय रूप से निवेश आकर्षित करने का आग्रह किया।
इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) के चेयरमैन पंकज महेंद्राे ने राष्ट्र के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीति पर जोर दिया है: कंपोनेंट आयात को बढ़ाना। यूपी टेक नेक्स्ट इलेक्ट्रॉनिक्स एंड सेमीकंडक्टर समिट में बोलते हुए, उन्होंने तर्क दिया कि बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात करने के लिए, भारत को पहले प्रमुख कंपोनेंट्स का आयात करना होगा, जो चीन जैसे सफल मॉडलों का अनुकरण करता है।
आयात-निर्यात विरोधाभास (Import-Export Paradox)
- पंकज महेंद्राे ने बताया कि चीन $700 बिलियन के कंपोनेंट्स का आयात करता है ताकि $1 ट्रिलियन के इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात हासिल कर सके।
- यह दर्शाता है कि बड़े पैमाने पर विनिर्माण और निर्यात क्षमताओं के लिए कच्चे माल और मध्यवर्ती वस्तुओं का महत्वपूर्ण आयात आवश्यक है।
- महेंद्राे ने इस बात पर जोर दिया कि भारत को सकारात्मक व्यापार संतुलन हासिल करने और एक मजबूत विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए जितना आयात करता है, उससे अधिक निर्यात करना होगा।
चुनौतियाँ और भारत की ताकतें (Challenges and India's Strengths)
- चीन और वियतनाम जैसे विनिर्माण केंद्रों की तुलना में भारत को "पूंजी लागत" (capital costs) और "ब्याज दर" (interest rates) में नुकसान का सामना करना पड़ता है।
- भारत के लिए एक महत्वपूर्ण "फॉल्ट लाइन" (fault line) उसका अक्सर "आंतरिक-दृष्टिकोण" (inward-looking) वाला दृष्टिकोण है, जिसे महेंद्राे मानते हैं कि यह उसके माल निर्यात की क्षमता को बाधित करता है।
- इसके विपरीत, भारत की मुख्य ताकत उसकी विशाल और सक्षम "मानवशक्ति" (manpower) में निहित है, एक ऐसा संसाधन जिसका प्रभावी ढंग से लाभ उठाया जाना चाहिए।
सरकार और नीति पर्यावरण (Government and Policy Environment)
- महेंद्राे ने सरकार की "खुलेपन" (openness) की धारणा को संबोधित किया, यह बताते हुए कि सरकार, जिसमें उत्तर प्रदेश राज्य सरकार भी शामिल है, "रचनात्मक प्रतिक्रिया" (constructive feedback) को सकारात्मक रूप से प्राप्त कर रही है।
- उन्होंने सलाह दी कि आलोचना व्यावहारिक होनी चाहिए, जो सरकार को उद्यमियों और उद्योग के विकास का समर्थन करने के विशिष्ट तरीकों पर मार्गदर्शन करे।
- उन्होंने उत्तर प्रदेश में निवेश के संबंध में एक पिछला "चिल फैक्टर" (chill factor) नोट किया, लेकिन अब सकारात्मक विकास देख रहे हैं।
उत्तर प्रदेश पर ध्यान केंद्रित (Focus on Uttar Pradesh)
- महेंद्राे ने मजबूत आशावाद व्यक्त किया, यह कहते हुए कि वह "यूपी पर लंबी दौड़" ("go long on UP") करेंगे, जो राज्य के इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र के लिए एक "तेजीवादी दृष्टिकोण" (bullish outlook) का संकेत देता है।
- उन्होंने विकसित उत्तर प्रदेश को एक "राष्ट्रीय अनिवार्यता" (national imperative) बताया।
- उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके मंत्रियों से आवश्यक निवेश आकर्षित करने के लिए अधिक "रोड शो" (roadshows) आयोजित करने का आग्रह किया, यह ध्यान में रखते हुए कि यूपी के पास अब दिखाने के लिए ठोस प्रगति है।
- पहचानी गई एक मुख्य कमजोरी यूपी नेताओं और नौकरशाहों द्वारा निवेश खोजने के लिए यात्रा की कमी थी।
विशेषज्ञ पैनल चर्चा (Expert Panel Discussion)
- सम्मेलन में मीआईटी (MeitY) में संयुक्त सचिव सुशील पाल; यूपी के आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स के प्रधान सचिव अनुराग यादव; कौशल: द स्किल यूनिवर्सिटी के निदेशक और वरिष्ठ प्रोफेसर मनीष गुप्ता; और माइक्रोमैक्स और भगवती प्रोडक्ट्स के सह-संस्थापक राजेश अग्रवाल जैसे अन्य प्रमुख हस्तियों ने भाग लिया।
- उनकी चर्चाओं ने संभवतः उत्तर प्रदेश में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण, सेमीकंडक्टर विकास और निवेश संवर्धन के विभिन्न पहलुओं को कवर किया होगा।
प्रभाव (Impact)
- यह रणनीति भारत के कंपोनेंट विनिर्माण क्षेत्र में निवेश वृद्धि को बढ़ावा दे सकती है, रोजगार पैदा कर सकती है और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ा सकती है।
- कंपोनेंट्स के अधिक आयात से शुरू में व्यापार घाटा बढ़ सकता है, लेकिन लंबी अवधि में उच्च मूल्य वाले निर्यात को बढ़ावा देने की उम्मीद है।
- यदि राज्य सरकार की पहलें सफल होती हैं, तो उत्तर प्रदेश विनिर्माण सुविधाओं और संबंधित आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि देख सकता है।
- प्रभाव रेटिंग: 7/10
कठिन शब्दों की व्याख्या (Difficult Terms Explained)
- कंपोनेंट्स (Components): एक बड़े उत्पाद को बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले भाग या तत्व।
- स्केल (Scale): संचालन का आकार या सीमा, बड़े पैमाने पर उत्पादन या निर्यात को संदर्भित करता है।
- पूंजी लागत (Capital Cost): भवनों और मशीनरी जैसी भौतिक संपत्तियों को प्राप्त करने या अपग्रेड करने के लिए किया गया खर्च।
- ब्याज दर (Interest Rate): उधारकर्ता द्वारा उधारदाता को पैसा उपयोग करने के लिए चुकाई जाने वाली प्रतिशत राशि।
- मानवशक्ति (Manpower): किसी विशेष कार्य या उद्योग के लिए उपलब्ध मानव कार्यबल।
- आंतरिक-दृष्टिकोण (Inward-looking): घरेलू मुद्दों पर केंद्रित और अंतर्राष्ट्रीय जुड़ाव या व्यापार पर कम ध्यान देने वाला।
- माल निर्यात (Merchandise Exports): वे माल जिन्हें भौतिक रूप से दूसरे देशों में भेजा जाता है।
- जोखिम पूंजी (Risk Capital): नए उद्यमों या व्यवसायों में निवेश किया गया धन जिसमें नुकसान की उच्च क्षमता हो, लेकिन लाभ की भी उच्च क्षमता हो।
- प्रतिक्रिया (Feedback): किसी उत्पाद या किसी व्यक्ति के प्रदर्शन के बारे में जानकारी, सुधार के आधार के रूप में उपयोग की जाती है।
- रोड शो (Roadshows): निवेशकों या ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए कंपनी या सरकार द्वारा आयोजित प्रचार कार्यक्रम।
- तेजीवादी (Bullish): यह उम्मीद करना या भविष्यवाणी करना कि कीमतें बढ़ेंगी या कोई विशेष निवेश अच्छा प्रदर्शन करेगा।

