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AI-संचालित पहचान खतरों के बीच भारतीय संगठन साइबर सुरक्षा में हायरिंग बढ़ा रहे हैं

Tech

|

Updated on 16 Nov 2025, 04:58 pm

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Reviewed By

Abhay Singh | Whalesbook News Team

Short Description:

अगले साल लगभग 90% भारतीय संगठन डिजिटल पहचान प्रबंधन, इंफ्रास्ट्रक्चर और साइबर सुरक्षा में विशेष पेशेवरों को नियुक्त करने की तैयारी कर रहे हैं। यह वृद्धि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को तेजी से अपनाने के कारण हो रही है, जिससे AI एजेंटों और 'एजेंटिक' पहचानों का उपयोग बढ़ रहा है, और पहचान-आधारित कमजोरियों और रिकवरी की तैयारी पर ध्यान केंद्रित हो रहा है।
AI-संचालित पहचान खतरों के बीच भारतीय संगठन साइबर सुरक्षा में हायरिंग बढ़ा रहे हैं

Detailed Coverage:

हालिया रुब्रिक ज़ीरो लैब्स (Rubrik Zero Labs) की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 90% भारतीय संगठन अगले साल अपने डिजिटल पहचान प्रबंधन, इंफ्रास्ट्रक्चर और साइबर सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने के लिए विशेष पेशेवरों की हायरिंग बढ़ाने की योजना बना रहे हैं।

इस महत्वपूर्ण हायरिंग पुश का मुख्य कारण आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का तेजी से अपनाया जाना है। रिपोर्ट में बताया गया है कि AI का तेजी से एकीकरण AI एजेंटों और 'एजेंटिक' पहचानों में वृद्धि कर रहा है, जो अनिवार्य रूप से स्वचालित सॉफ्टवेयर प्रोग्राम हैं जो स्वतंत्र रूप से कार्य करते हैं। गैर-मानव पहचानों (non-human identities) के इस प्रसार से नई सुरक्षा चुनौतियाँ पैदा होती हैं और पहचान-आधारित कमजोरियों (identity-based vulnerabilities) पर ध्यान केंद्रित होता है, साथ ही यह मुख्य सूचना अधिकारियों (CIOs) और मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारियों (CISOs) के लिए ऐसी खतरों से रिकवरी की तैयारी (recovery preparedness) को भी महत्वपूर्ण बनाता है।

रुब्रिक में इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर और इंजीनियरिंग हेड, आशीष गुप्ता ने कहा कि हमलावर मानव और गैर-मानव दोनों पहचानों को निशाना बना रहे हैं क्योंकि यह महत्वपूर्ण सिस्टम और डेटा तक पहुँचने का सबसे तेज़ मार्ग है, जिससे भारत में साइबर रक्षा का परिदृश्य मौलिक रूप से बदल गया है।

ये निष्कर्ष वेकफील्ड रिसर्च (Wakefield Research) द्वारा 18-29 सितंबर, 2025 के बीच अमेरिका, ईएमईए (EMEA) और एपीएसी (APAC) (भारत सहित) के 1,625 बड़े संगठनों (500+ कर्मचारी) के आईटी सुरक्षा निर्णय निर्माताओं से किए गए एक सर्वेक्षण पर आधारित हैं।

प्रभाव यह खबर भारतीय व्यवसायों द्वारा साइबर सुरक्षा और आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर में महत्वपूर्ण निवेश और फोकस में वृद्धि का संकेत देती है। यह आईटी सेवाओं, साइबर सुरक्षा समाधानों और क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्रों में काम करने वाली कंपनियों के लिए मजबूत विकास क्षमता का संकेत देता है। यह प्रवृत्ति डिजिटल जोखिमों के प्रति बढ़ी हुई जागरूकता को भी इंगित करती है, जिससे उन्नत सुरक्षा प्रौद्योगिकियों और सेवाओं की मांग बढ़ सकती है।

रेटिंग: 6/10

कठिन शब्द: AI एजेंट: स्वचालित सॉफ्टवेयर प्रोग्राम जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित होते हैं और न्यूनतम मानव हस्तक्षेप के साथ स्वायत्त रूप से कार्य कर सकते हैं। एजेंटिक पहचान: AI एजेंटों को सौंपी गई अनूठी डिजिटल पहचान, जो आईटी सिस्टम में मानव उपयोगकर्ताओं की तरह पहचाने जाने, प्रमाणित होने और प्रबंधित होने की अनुमति देती है। पहचान-आधारित कमजोरियाँ: किसी संगठन के सिस्टम में ऐसी कमजोरियाँ जिनका फायदा हमलावर समझौता किए गए (compromised) या दुरुपयोग किए गए उपयोगकर्ता खातों या सिस्टम पहचानों के माध्यम से अनधिकृत पहुँच प्राप्त करके उठा सकते हैं। रिकवरी की तैयारी: साइबर हमले जैसी विघटनकारी घटना के बाद आवश्यक व्यावसायिक कार्यों और आईटी सिस्टम को जल्दी और प्रभावी ढंग से बहाल करने के लिए तैयार रहने की स्थिति। CIOs (मुख्य सूचना अधिकारी): वरिष्ठ कार्यकारी जो किसी संगठन के सूचना प्रौद्योगिकी संचालन और रणनीति के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार होते हैं। CISOs (मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारी): वरिष्ठ कार्यकारी जो किसी संगठन की सूचना संपत्तियों और आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होते हैं।


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