Stock Investment Ideas
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Updated on 30 Oct 2025, 06:16 am
Reviewed By
Aditi Singh | Whalesbook News Team
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एमके इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर, मनीष सोंथालिया, वित्त वर्ष 2026 की दूसरी छमाही में कॉर्पोरेट आय (corporate earnings) में उल्लेखनीय वृद्धि का अनुमान लगा रहे हैं। उनका अनुमान है कि FY26 के लिए पूरे साल की प्रति शेयर आय (EPS) वृद्धि 10% के पिछले अनुमान से बढ़कर लगभग 13%-13.50% रहेगी। इस आशावाद का मुख्य कारण घटती महंगाई (inflation) और उपभोक्ता खर्च (consumer spending) में वृद्धि है, जिसमें संभावित GST कटौती से भी मदद मिल सकती है। सोंथालिया ने प्रीमियम खपत (premium consumption) को बाजार वृद्धि (market growth) के अगले चरण का मुख्य चालक बताया है। उन्होंने कहा कि शहरी मांग (urban demand) अभी भी मजबूत है और विवेकाधीन खर्च (discretionary spending) के भीतर प्रीमियम सेगमेंट में लगातार और अनुमानित मांग देखी जा रही है। बैंकिंग, वित्तीय सेवाएँ और बीमा (BFSI) क्षेत्र भी अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद है, जिसे स्थिर ऋण वृद्धि (credit growth) और बेहतर नेट इंटरेस्ट मार्जिन (net interest margins) का समर्थन मिलेगा, खासकर FY26 की तीसरी और चौथी तिमाही से, बशर्ते ब्याज दरों में और कटौती न हो। बीमा उद्योग GST समायोजन (GST adjustments) और बढ़ती प्रवेश दरों (penetration rates) से लाभान्वित होगा। एमके इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स ने चुनिंदा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSUs) में अपनी हिस्सेदारी बनाए रखी है, विशेष रूप से पावर और फाइनेंस क्षेत्रों में। इसमें कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन और सबसे बड़ी मॉर्टगेज हाउसिंग फाइनेंस कंपनी जैसी कंपनियों का उल्लेख है। सोंथालिया का मानना है कि PSU का वैल्यूएशन (valuations) अधिक उचित होता जा रहा है, और PSU व निजी क्षेत्र की कंपनियों के बीच वैल्यूएशन का अंतर कम हो रहा है। ऑयल मार्केटिंग कंपनियों (oil marketing companies) की अस्थिरता को स्वीकार करते हुए, उन्होंने कहा कि वे अपने मूल्य-से-पुस्तक (price-to-book) अनुपात और लाभांश उपज (dividend yield) के कारण आकर्षक लगती हैं। हालांकि, सोंथालिया ने शुरुआती सार्वजनिक पेशकशों (IPOs - Initial Public Offerings) की वर्तमान लहर के प्रति सतर्क रुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि भले ही कई कंपनियां अच्छी हैं, लेकिन केवल 20-25% वृद्धि के लिए 200-300 गुना आय का भुगतान उचित नहीं है।
कठिन शब्द: EPS (Earnings Per Share - प्रति शेयर आय): कंपनी का लाभ उसके बकाया शेयरों की संख्या से विभाजित, जो प्रति शेयर लाभप्रदता दर्शाता है। BFSI: बैंकिंग, वित्तीय सेवाएँ और बीमा (Banking, Financial Services, and Insurance) का संक्षिप्त रूप। PSUs (Public Sector Undertakings - सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम): सरकार के स्वामित्व वाली और प्रबंधित कंपनियाँ। Premiumisation (प्रीमियमीकरण): वह प्रवृत्ति जहाँ उपभोक्ता तेजी से उच्च-मूल्य वाले, उच्च-गुणवत्ता वाले, या अधिक सुविधा-युक्त उत्पाद या सेवाओं के संस्करण चुनते हैं। Price-to-Book (P/B) Ratio (मूल्य-से-पुस्तक अनुपात): एक मूल्यांकन मीट्रिक जो कंपनी के बाजार पूंजीकरण की तुलना उसके बुक वैल्यू से करता है। एक निचला P/B अनुपात एक अवमूल्यित (undervalued) स्टॉक का संकेत दे सकता है। Dividend Yield (लाभांश उपज): कंपनी के प्रति शेयर वार्षिक लाभांश का उसके वर्तमान शेयर मूल्य से अनुपात, प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया गया। यह दर्शाता है कि स्टॉक की कीमत के सापेक्ष लाभांश से निवेशक कितना आय प्राप्त कर सकता है। IPOs (Initial Public Offerings - शुरुआती सार्वजनिक पेशकश): वह प्रक्रिया जिसके द्वारा एक निजी कंपनी पहली बार निवेशकों को शेयर बेचकर सार्वजनिक होती है।
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