Startups/VC
|
Updated on 11 Nov 2025, 03:41 pm
Reviewed By
Abhay Singh | Whalesbook News Team
▶
कुल वेंचर कैपिटल (वीसी) डील्स, जिनमें फंडिंग की राशि का खुलासा हुआ है, 2025 के पहले नौ महीनों में 2024 की समान अवधि की तुलना में 2% कम हो गई हैं, जो 7,807 से घटकर 7,666 डील्स हो गई हैं। यह गिरावट निवेशकों की जोखिम लेने की क्षमता (risk appetite) में एक पुनर्मूल्यांकन को दर्शाती है।
इस प्रवृत्ति के भीतर, शुरुआती चरण की फंडिंग राउंड्स, जिनमें सीड और सीरीज़ ए शामिल हैं, में 3% का संकुचन देखा गया, जो पिछले वर्ष के 6,082 डील्स से घटकर 2025 की पहली-तीसरी तिमाही (Q1-Q3) में 5,871 डील्स हो गईं। इसके विपरीत, ग्रोथ और लेट-स्टेज राउंड्स (सीरीज़ बी और उसके बाद) में 4% की वृद्धि हुई, जो इसी अवधि में 1,725 से बढ़कर 1,795 डील्स हो गईं।
प्रभाव यह खबर भारतीय शेयर बाजार पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है, क्योंकि यह निवेश रणनीतियों में एक बदलाव का संकेत देती है जो स्टार्टअप्स और स्थापित कंपनियों के विकास पथ को प्रभावित कर सकती है, और भविष्य के आईपीओ (IPOs) और बाजार के मूल्यांकन (valuations) को भी प्रभावित कर सकती है। यह प्रवृत्ति साबित व्यावसायिक मॉडल और लाभप्रदता वाली कंपनियों को प्राथमिकता दर्शाती है, जिससे उभरते क्षेत्रों में अधिक चयनात्मक निवेश हो सकता है और स्थापित खिलाड़ियों पर ध्यान केंद्रित हो सकता है।
कठिन शब्दावली: * वेंचर कैपिटल (VC): निवेशकों द्वारा स्टार्टअप्स और छोटे व्यवसायों को दिया जाने वाला धन, जिनके बारे में माना जाता है कि उनमें दीर्घकालिक विकास की क्षमता है। * घोषित फंडिंग राउंड्स: वे निवेश सौदे जिनमें निवेश की गई राशि सार्वजनिक रूप से घोषित की जाती है। * सीड स्टेज: स्टार्टअप के विकास का सबसे प्रारंभिक चरण, जिसमें अक्सर प्रारंभिक उत्पाद विकास और बाजार अनुसंधान शामिल होता है। * सीरीज़ ए: एक स्टार्टअप के लिए वेंचर कैपिटल फाइनेंसिंग का पहला महत्वपूर्ण दौर, जिसका उपयोग संचालन को बढ़ाने के लिए किया जाता है। * सीरीज़ बी और उसके बाद (ग्रोथ और लेट-स्टेज): उन कंपनियों के लिए बाद के दौर की फंडिंग, जिन्होंने पहले ही बाजार में अपनी जगह बना ली है और विस्तार करना चाहते हैं। * जोखिम क्षमता (Risk Appetite): वह स्तर का जोखिम जिसे निवेशक संभावित रिटर्न के बदले लेने को तैयार होता है। * स्पष्ट मेट्रिक्स (Demonstrable Metrics): मापने योग्य संकेतक जो किसी कंपनी के प्रदर्शन को दर्शाते हैं, जैसे राजस्व वृद्धि, ग्राहक अधिग्रहण लागत और लाभ मार्जिन। * लाभप्रदता (Profitability): किसी कंपनी की आय या लाभ उत्पन्न करने की क्षमता।