BYJU'S के सह-संस्थापक बायजू रवींद्रन ने एडटेक फर्म की अमेरिकी इकाई, BYJU'S Alpha से 533 मिलियन डॉलर के फंड के डायवर्जन के आरोपों का कड़ा खंडन किया है। उन्होंने अमेरिकी डेलावेयर बैंकरप्सी कोर्ट में लगाए गए आरोपों को "झूठा, भ्रामक और मानहानिकारक" बताया है। रवींद्रन ने कहा कि ये आरोप OCI के सीईओ ओलिवर चैपमैन की चुनिंदा और अधूरी जानकारी पर आधारित हैं और आने वाली फाइलों में सभी दावों का खंडन किया जाएगा। उन्होंने इसमें शामिल लोगों के खिलाफ मानहानि की कार्यवाही शुरू करने की भी योजना बताई।
BYJU'S के सह-संस्थापक बायजू रवींद्रन ने अमेरिकी डेलावेयर बैंकरप्सी कोर्ट में सामने आए 533 मिलियन डॉलर के कथित डायवर्जन के आरोपों का पूरी तरह से खंडन किया है, जो एडटेक कंपनी की अमेरिकी इकाई BYJU'S Alpha से संबंधित थे। रवींद्रन ने इन दावों को "झूठा, भ्रामक और मानहानिकारक" बताया, और जोर देकर कहा कि देनदारों (debtors) द्वारा प्रस्तुत तर्क OCI के सीईओ ओलिवर चैपमैन की "चुनिंदा और अधूरी" घोषणा पर आधारित हैं।
रवींद्रन ने कहा कि चैपमैन की गवाही अटकलों और इशारों से भरी है और BYJU'S के संस्थापकों द्वारा किसी भी गलत काम के दावों का समर्थन नहीं करती है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि चैपमैन की घोषणा OCI द्वारा किए गए विशिष्ट खर्चों के बारे में उनके सीमित ज्ञान को दर्शाती है और संस्थापकों द्वारा किसी भी फंड डायवर्जन को साबित नहीं करती है।
ओलिवर चैपमैन की शपथ-पत्र (sworn declaration), जो BYJU'S Alpha के लेनदार (creditor) ग्लास्स ट्रस्ट (Glas Trust) के साथ समझौते के हिस्से के रूप में दायर की गई थी, रवींद्रन के पहले के हलफनामे (affidavit) का खंडन करती है। चैपमैन ने आरोप लगाया कि फंड का उपयोग रवींद्रन द्वारा दावा किए गए खरीद (procurement) या विपणन (marketing) के लिए नहीं किया गया था। इसके बजाय, उन्होंने कहा कि "अधिकांश" पैसा सिंगापुर स्थित इकाई BYJU'S ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड को अपारदर्शी हस्तांतरण (opaque transfers) के माध्यम से स्थानांतरित कर दिया गया था, जिसके बारे में उन्होंने दावा किया कि वह रवींद्रन के व्यक्तिगत स्वामित्व में थी। यह रवींद्रन के पिछले शपथ-पत्र से विरोधाभासी है जिसमें कहा गया था कि OCI को भेजे गए फंड "वैध वाणिज्यिक उद्देश्यों" के लिए थे, जिसमें टैबलेट, आईटी उपकरण और विपणन सेवाओं की खरीद शामिल थी।
BYJU'S अपनी आगामी अमेरिकी फाइलों में प्रत्येक दावे का खंडन करने के लिए सबूत पेश करने की योजना बना रहा है। इसके अलावा, रवींद्रन इन कथित झूठे बयानों को फैलाने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं के खिलाफ मानहानि की कार्यवाही शुरू करने का इरादा रखते हैं।
यह स्थिति BYJU'S के लिए एक बड़े संकट का हिस्सा है, जो कभी एक अत्यधिक मूल्यवान भारतीय स्टार्टअप थी। कंपनी ने वर्षों से आक्रामक विस्तार, अपारदर्शी वित्तीय प्रथाओं और बढ़ते कर्ज का सामना किया है, जिससे शासन संबंधी मुद्दे, ऑडिटर इस्तीफे, छंटनी और ऋणदाताओं द्वारा मुकदमेबाजी हुई है। वर्तमान में, BYJU'S की मूल कंपनी, थिंक एंड लर्न (Think & Learn), दिवालियापन कार्यवाही (insolvency proceedings) से गुजर रही है। एडटेक फर्म अपग्रेड (upGrad) और मणिपाल एजुकेशन एंड मेडिकल ग्रुप (Manipal Education & Medical Group) ने BYJU'S की संपत्तियों को अधिग्रहित करने में रुचि व्यक्त की है।
प्रभाव
यह खबर BYJU'S की प्रतिष्ठा और उसके चल रहे कानूनी लड़ाइयों को गंभीर रूप से प्रभावित करती है, जो व्यापक भारतीय एडटेक क्षेत्र में निवेशक के विश्वास को भी प्रभावित कर सकती है। फंड डायवर्जन के आरोप और उसके बाद की कानूनी कार्रवाइयाँ, दिवालियापन कार्यवाही के साथ-साथ, महत्वपूर्ण शासन और वित्तीय चुनौतियों को उजागर करती हैं। कंपनी की भविष्य में फंडिंग सुरक्षित करने या सफल पुनर्गठन से गुजरने की क्षमता अब सवालों के घेरे में है।