SEBI/Exchange
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Updated on 14th November 2025, 2:19 AM
Author
Simar Singh | Whalesbook News Team
सेबी की उच्च-स्तरीय समिति ने अपने शीर्ष अधिकारियों के बीच हितों के टकराव (conflicts of interest) को दूर करने और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण सुधारों का प्रस्ताव दिया है। प्रमुख सुझावों में सेबी अध्यक्ष, पूर्णकालिक सदस्यों और वरिष्ठ कर्मचारियों की संपत्ति और देनदारियों का सार्वजनिक प्रकटीकरण शामिल है। अन्य प्रस्तावों में एकसमान निवेश प्रतिबंध, सख्त अलगाव (recusal) प्रक्रियाएं और एक मजबूत व्हिसलब्लोअर प्रणाली शामिल है, जिनका उद्देश्य बाजार की अखंडता को बढ़ाना और निवेशकों के हितों की रक्षा करना है।
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सेबी की उच्च-स्तरीय समिति ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के भीतर पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार के उद्देश्य से कई सुधारों की सिफारिश की है। प्रमुख प्रस्तावों में एक बहु-स्तरीय प्रकटीकरण व्यवस्था शामिल है, जिसमें सेबी अध्यक्ष, पूर्णकालिक सदस्यों और मुख्य महाप्रबंधक स्तर और उससे ऊपर के कर्मचारियों को अपनी संपत्ति और देनदारियों का सार्वजनिक रूप से खुलासा करना आवश्यक होगा। यह कदम महत्वपूर्ण है, खासकर पूर्व सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच के खिलाफ हितों के टकराव के पिछले आरोपों को देखते हुए। समिति ने अध्यक्ष और पूर्णकालिक सदस्यों के लिए एकसमान निवेश प्रतिबंधों का भी सुझाव दिया है, जिन्हें मौजूदा कर्मचारी नियमों के साथ संरेखित किया गया है, और उन्हें इनसाइडर ट्रेडिंग नियमों के दायरे में लाया गया है। ये प्रतिबंध भविष्यव्यापी रूप से लागू होंगे और पति-पत्नी और वित्तीय रूप से आश्रित रिश्तेदारों तक विस्तारित होंगे। अंशकालिक सदस्यों को निवेश प्रतिबंधों से छूट दी गई है, लेकिन उन्हें अभी भी हितों का खुलासा करना होगा और गैर-सार्वजनिक जानकारी पर व्यापार करने से बचना होगा। इसके अतिरिक्त, समिति ने हितों के टकराव के आकलन के लिए 'परिवार' की परिभाषा का विस्तार करने, अलगाव (recusals) की पारदर्शिता बढ़ाने के लिए सारांश प्रकाशित करने और एक सुरक्षित व्हिसलब्लोअर प्रणाली स्थापित करने का प्रस्ताव दिया है। पूर्व सदस्यों और कर्मचारियों के लिए सेवानिवृत्ति के बाद के प्रतिबंधों की भी सिफारिश की गई है, साथ ही नैतिकता और अनुपालन कार्यालय (Office of Ethics and Compliance) की स्थापना का भी प्रस्ताव है। प्रभाव: ये सुधार नियामक द्वारा उच्चतम नैतिक मानकों और पारदर्शिता के साथ काम करने को सुनिश्चित करके निवेशकों के विश्वास को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। इससे भारत में एक अधिक व्यवस्थित और भरोसेमंद प्रतिभूति बाजार बन सकता है। रेटिंग: 7/10 कठिन शब्द: * हितों का टकराव (Conflicts of Interest): ऐसी स्थितियाँ जहाँ किसी व्यक्ति के निजी हित उनके पेशेवर कर्तव्यों या निर्णयों में बाधा डाल सकते हैं। * प्रकटीकरण ढांचा (Disclosure Framework): प्रासंगिक जानकारी का खुलासा करने के लिए नियम और प्रक्रियाएं। * पूर्णकालिक सदस्य (Whole-Time Members - WTMs): सेबी के बोर्ड में नियुक्त पूर्णकालिक अधिकारी। * मुख्य महाप्रबंधक (Chief General Manager - CGM): सेबी के भीतर एक वरिष्ठ प्रबंधन पद। * व्हिसलब्लोअर प्रणाली (Whistleblower System): कदाचार या अनैतिक व्यवहार की रिपोर्ट करने के लिए एक तंत्र। * इनसाइडर ट्रेडिंग (Insider Trading): गैर-सार्वजनिक, महत्वपूर्ण जानकारी के आधार पर प्रतिभूतियों का व्यापार करना। * पूल वाहन (Pooled Vehicle): एक निवेश निधि जहाँ कई निवेशकों का पैसा एक साथ मिलाया जाता है। * अलगाव (Recusal): हितों के टकराव के कारण किसी निर्णय या मामले से पीछे हटना। * बाजार अवसंरचना संस्थान (Market Infrastructure Institutions): स्टॉक एक्सचेंज, क्लियरिंग कॉर्पोरेशन और डिपॉजिटरी जैसी संस्थाएं। * बाजार मध्यस्थ (Market Intermediaries): ब्रोकर, निवेश सलाहकार और मर्चेंट बैंकर जैसी संस्थाएं।