SEBI/Exchange
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Updated on 11 Nov 2025, 11:03 am
Reviewed By
Aditi Singh | Whalesbook News Team
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भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने वित्तीय सेवा दिग्गज BNP Paribas के साथ एक निपटान (settlement) किया है, जिसमें ₹39.97 लाख का भुगतान शामिल है। यह निपटान BNP Paribas द्वारा भारत में फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (FPIs) के पंजीकरण प्रदान करने और पुन: वर्गीकृत करने के तरीके में हुई चूक के आरोपों से संबंधित है, जो SEBI के 2014 और 2019 के FPI विनियमों का उल्लंघन करते थे।
SEBI ने आरोप लगाया था कि BNP Paribas ने छह FPIs को गलत तरीके से कैटेगरी II (Category II) पंजीकरण प्रदान किया था जो 2014 के मानदंडों के तहत पात्र नहीं थे। इसके अलावा, फर्म ने कथित तौर पर यूके फाइनेंशियल कंडक्ट अथॉरिटी (UK Financial Conduct Authority) के साथ इन संस्थाओं की नियामक स्थिति की पर्याप्त रूप से जांच किए बिना, उन्हें कैटेगरी I (Category I) में पुन: वर्गीकृत किया था। इस साल की शुरुआत में BNP Paribas को एक औपचारिक कारण बताओ नोटिस (show cause notice) जारी किया गया था।
अधिनिर्णय कार्यवाही (adjudication proceedings) लंबित रहने के दौरान, BNP Paribas ने आरोपों को स्वीकार या अस्वीकार किए बिना समाधान का प्रस्ताव देते हुए निपटान का विकल्प चुना। SEBI की एक आंतरिक समिति ने निपटान राशि की सिफारिश की थी, जिसे बाद में उच्च-शक्तिशाली सलाहकार समिति (High Powered Advisory Committee) और पूर्णकालिक सदस्यों (Whole Time Members) द्वारा अनुमोदित किया गया था। BNP Paribas ने अक्टूबर में भुगतान किया, जिसके बाद SEBI ने अधिनिर्णय कार्यवाही को औपचारिक रूप से निपटा दिया। हालांकि, SEBI ने यदि कोई अधूरी जानकारी या निपटान की शर्तों का उल्लंघन पाया जाता है तो मामले को फिर से खोलने का अधिकार सुरक्षित रखा है।
प्रभाव: यह निपटान विदेशी निवेशों को संभालने वाले वित्तीय मध्यस्थों पर SEBI की कड़ी निगरानी को मजबूत करता है। यह FPI पंजीकरण और पुन: वर्गीकरण में उचित परिश्रम (due diligence) के महत्व पर प्रकाश डालता है। भारत में संचालित होने वाले विदेशी निवेशकों और संस्थाओं के लिए, यह नियामक अनुपालन (regulatory compliance) के लिए आवश्यक कड़ाई के पालन की याद दिलाता है, जो उनकी परिचालन रणनीतियों को प्रभावित कर सकता है और सावधानी बढ़ा सकता है। BNP Paribas जैसी वैश्विक इकाई के लिए यह अपेक्षाकृत छोटी निपटान राशि, SEBI के इस ओर ध्यान केंद्रित करने का संकेत देती है कि वह किसी बड़े संस्थान के लिए दंडात्मक जुर्माना लगाने के बजाय विशिष्ट अनुपालन चूक को संबोधित कर रहा है, लेकिन सतर्कता का संदेश स्पष्ट है।
Rating: 7/10
Difficult Terms: SEBI: Securities and Exchange Board of India, भारत में प्रतिभूति और कमोडिटी बाजारों के लिए नियामक निकाय। FPIs: Foreign Portfolio Investors, विदेश से भारतीय कंपनियों की प्रतिभूतियों में निवेश करने वाले व्यक्ति या संस्थाएं। Adjudication Proceedings: विवादों को हल करने या अपराध निर्धारित करने के लिए एक अर्ध-न्यायिक प्राधिकरण द्वारा की जाने वाली औपचारिक कानूनी प्रक्रिया। Category II Registration: कुछ मानदंडों के आधार पर SEBI विनियमों के तहत FPIs के लिए एक वर्गीकरण। Category I Registration: FPIs के लिए एक और वर्गीकरण, जिसमें अक्सर कम प्रतिबंध या विभिन्न निवेश रास्ते होते हैं। UK Financial Conduct Authority: यूनाइटेड किंगडम में वित्तीय सेवा फर्मों के लिए जिम्मेदार नियामक निकाय। Show Cause Notice: किसी प्राधिकारी द्वारा जारी किया गया नोटिस जिसमें किसी पक्ष से पूछा जाता है कि उनके खिलाफ विशेष कार्रवाई क्यों न की जाए। Settlement Application: पूर्ण मुकदमे या अधिनिर्णय के बजाय आपसी सहमति से तय किए गए निपटान के माध्यम से मामले को हल करने का औपचारिक अनुरोध। High Powered Advisory Committee: SEBI को महत्वपूर्ण नीतिगत मामलों पर सलाह देने वाली समिति। Whole Time Members: SEBI में नियुक्त पूर्णकालिक सदस्य जिनके पास निर्णय लेने की शक्तियां होती हैं।