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गोल्डमैन सैक्स ने भारतीय इक्विटी को 'ओवरवेट' पर अपग्रेड किया, 2026 तक निफ्टी का लक्ष्य 29,000 तय किया।

Research Reports

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Updated on 08 Nov 2025, 11:39 am

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Reviewed By

Abhay Singh | Whalesbook News Team

Short Description:

गोल्डमैन सैक्स ने भारत की इक्विटी को पहले के सतर्क रुख से 'ओवरवेट' (अधिक भार) में अपग्रेड किया है, आर्थिक वृद्धि में सुधार की उम्मीद है। फर्म का अनुमान है कि निफ्टी 50 इंडेक्स 2026 के अंत तक 29,000 के स्तर पर पहुंच जाएगा, जो मजबूत आय वृद्धि (earnings growth) से 14% की संभावित वृद्धि (upside) का संकेत देता है। यह अपग्रेड विदेशी निवेशकों के बहिर्वाह (outflows) और अन्य उभरते बाजारों (emerging markets) की तुलना में पिछड़ने के बाद आया है। गोल्डमैन सैक्स वित्तीय (financials), उपभोक्ता (consumer goods), रक्षा (defense), प्रौद्योगिकी, मीडिया, दूरसंचार (TMT), और तेल विपणन कंपनियों (oil marketing companies) जैसे क्षेत्रों को प्राथमिकता देता है।
गोल्डमैन सैक्स ने भारतीय इक्विटी को 'ओवरवेट' पर अपग्रेड किया, 2026 तक निफ्टी का लक्ष्य 29,000 तय किया।

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Detailed Coverage:

गोल्डमैन सैक्स ने भारतीय इक्विटी पर अपनी रेटिंग को 'ओवरवेट' कर दिया है, आर्थिक वृद्धि में एक महत्वपूर्ण सुधार की उम्मीद के साथ। निवेश बैंक ने 2026 के अंत तक निफ्टी 50 इंडेक्स के लिए 29,000 का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है, जो मौजूदा स्तरों से 14% की वृद्धि का अनुमान लगाता है। यह आशावादी दृष्टिकोण मुख्य रूप से अगले दो वर्षों में भारतीय कंपनियों की अपेक्षित आय वृद्धि (earnings growth) से प्रेरित है। इससे पहले, पिछले साल अक्टूबर में, गोल्डमैन सैक्स ने उच्च मूल्यांकन (high valuations) और कॉर्पोरेट आय में मंदी (slowdown) की चिंताओं के कारण भारत को डाउनग्रेड किया था। हालांकि, अब फर्म को भारतीय इक्विटी में अगले वर्ष बेहतर प्रदर्शन करने का एक सम्मोहक मामला दिख रहा है। इस उलटफेर के कारणों में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और सरकार की विकास-समर्थक नीतियां (growth-supportive policies), कॉर्पोरेट आय का अनुमानित पुनरुद्धार, संस्थागत निवेशकों (institutional investors) द्वारा महत्वपूर्ण अंडर-पोजिशनिंग, और मूल्यांकन का सामान्यीकरण (normalization of valuations) शामिल हैं। गोल्डमैन सैक्स MSCI इंडिया के मुनाफे (profits) में इस साल 10% से अगले साल 14% की वृद्धि की उम्मीद करता है, जो अनुकूल नाममात्र वृद्धि (nominal growth) के माहौल से समर्थित है। रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने पिछले वर्ष लगभग $30 बिलियन के भारतीय इक्विटी बेचे हैं, जिससे विदेशी स्वामित्व लगभग दो दशक के निम्न स्तर पर आ गया है। हालांकि, हाल के संकेत बेहतर विदेशी जोखिम उठाने की क्षमता (foreign risk appetite) और पूंजी प्रवाह (capital flows) की वापसी का सुझाव देते हैं। फर्म विशेष रूप से वित्तीय (financials), उपभोक्ता क्षेत्र (consumer sectors), टिकाऊ वस्तुओं (durables), रक्षा (defence), TMT, और तेल विपणन कंपनियों (OMCs) जैसे क्षेत्रों पर तेजी (bullish) दिखा रही है। यह बैंकिंग क्षेत्र के मुनाफे में इस साल 8% से बढ़कर 2026 में 15% की वृद्धि की उम्मीद करता है, जो ऋण वृद्धि (loan growth) और स्थिर संपत्ति गुणवत्ता (stabilizing asset quality) से प्रेरित होगा। रक्षा क्षेत्र को भी इसकी मजबूत आय वृद्धि क्षमता, विशेष रूप से निजी क्षेत्र की कंपनियों के लिए, उजागर किया गया है। इसके विपरीत, गोल्डमैन सैक्स फार्मास्यूटिकल्स (pharmaceuticals), इन्फोटेक (infotech), औद्योगिक (industrials), और रसायन (chemicals) जैसे क्षेत्रों पर 'अंडरवेट' (कम भार) रुख बनाए रखता है। प्रभाव: एक प्रमुख वैश्विक निवेश बैंक द्वारा यह अपग्रेड निवेशक विश्वास को बढ़ावा देने और संभावित रूप से भारतीय बाजार में महत्वपूर्ण विदेशी पूंजी को वापस आकर्षित करने की उम्मीद है, जिससे शेयर की कीमतों और बाजार सूचकांकों पर ऊपर की ओर दबाव पड़ेगा। विशिष्ट क्षेत्रों पर अनुकूल दृष्टिकोण (favorable outlook) भी क्षेत्र-विशिष्ट रैलियों को गति दे सकता है।


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