Renewables
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Updated on 30 Oct 2025, 07:27 pm
Reviewed By
Aditi Singh | Whalesbook News Team
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केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने पवन ऊर्जा क्षेत्र, जिसमें मूल उपकरण (original equipment) और घटक निर्माता (component manufacturers) शामिल हैं, से परियोजनाओं में घरेलू स्तर पर उत्पादित सामग्री और घटकों के अनुपात को वर्तमान 64% से बढ़ाकर 85% करने का आग्रह किया है। चेन्नई में विंडरजी इंडिया के सातवें संस्करण को संबोधित करते हुए, जोशी ने भारत की स्वच्छ ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने के लिए घरेलू मूल्यवर्धन (domestic value addition) को बढ़ाने की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर प्रकाश डाला, खासकर बदलती वैश्विक गतिशीलता (global dynamics) और बढ़ती भू-राजनीतिक चुनौतियों (geopolitical challenges) के बीच। उन्होंने उल्लेख किया कि पवन ऊर्जा वर्तमान में भारत की 257 GW गैर-जीवाश्म ईंधन स्थापित क्षमता (non-fossil fuel installed capacity) का लगभग पांचवां हिस्सा (one-fifth) योगदान करती है और 'आत्मनिर्भरता' (Aatmanirbharta) तथा 'स्वदेशीकरण' (indigenisation) को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
मंत्री ने 2030 तक वैश्विक पवन आपूर्ति श्रृंखला का 10% और 2040 तक 20% तक भारत की क्षमता के बारे में आशावाद व्यक्त किया। भारत पहले से ही महत्वपूर्ण घरेलू पवन घटक निर्माण वाले शीर्ष पांच देशों में से एक है, जिसने लगभग 54 GW स्थापित पवन क्षमता हासिल की है। सरकार का अनुमान है कि भविष्य में क्षमता वृद्धि, विशेष रूप से अगले 46 GW, काफी हद तक घरेलू विनिर्माण द्वारा संचालित होगी, जिसे पवन परियोजनाओं के लिए स्वीकृत मॉडल और निर्माताओं की सूची (Approved List of Models and Manufacturers - ALMM) जैसे नीतियों का समर्थन प्राप्त होगा। अनुमान बताते हैं कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में पवन क्षमता प्रतिष्ठान (wind capacity installations) 6 GW से अधिक होने की उम्मीद है।
गिरिश टंटी, अध्यक्ष, इंडियन विंड टर्बाइन मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ने कहा कि भारत ने लगभग 64% स्थानीय सामग्री (local content) और 2,500 से अधिक MSMEs की भागीदारी के साथ एक लचीला और प्रतिस्पर्धी पवन विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र (manufacturing ecosystem) बनाया है।
प्रभाव: इस निर्देश से घरेलू विनिर्माण में उल्लेखनीय वृद्धि, अधिक रोजगार सृजन और पवन ऊर्जा परियोजनाओं के लिए आयातित घटकों पर निर्भरता में कमी आने की उम्मीद है। इससे स्थानीय उत्पादन सुविधाओं और पवन ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के लिए अनुसंधान एवं विकास (R&D) में निवेश बढ़ सकता है। स्थानीय सोर्सिंग और विनिर्माण पर ध्यान केंद्रित करने वाली कंपनियों को लाभ होगा, जबकि आयात पर अधिक निर्भर कंपनियों को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। 'आत्मनिर्भरता' पर ध्यान केंद्रित करने से भारत पवन ऊर्जा घटकों के लिए एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित हो सकता है।
रेटिंग: 8/10
परिभाषाएँ: स्थानीय सामग्री (Local Content): किसी उत्पाद या परियोजना के मूल्य का वह प्रतिशत जो एक विशिष्ट देश, इस मामले में भारत, के भीतर से प्राप्त या निर्मित किया जाता है। आत्मनिर्भरता (Aatmanirbharta): एक संस्कृत शब्द जिसका अर्थ है आत्मनिर्भरता, विभिन्न क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनने के भारत के लक्ष्य पर जोर देता है। स्वदेशीकरण (Indigenisation): विदेशी स्रोतों पर निर्भर रहने के बजाय, स्थानीय स्तर पर उत्पादों या प्रौद्योगिकियों को विकसित और निर्मित करने की प्रक्रिया। MSMEs: सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (Micro, Small and Medium Enterprises), भारतीय अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण खंड जिसमें छोटे से मध्यम आकार के व्यवसाय शामिल हैं। ALMM: स्वीकृत मॉडल और निर्माताओं की सूची (Approved List of Models and Manufacturers), सरकार द्वारा बनाए रखी गई एक नियामक सूची जो परियोजनाओं में उपयोग के लिए योग्य पवन टर्बाइन मॉडल और उनके निर्माताओं को निर्दिष्ट करती है।
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