Renewables
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Updated on 11 Nov 2025, 09:41 am
Reviewed By
Simar Singh | Whalesbook News Team
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अडानी समूह ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है, जो बैटरी ऊर्जा भंडारण (battery energy storage) क्षेत्र में उसके प्रवेश को चिह्नित करती है। यह समूह गुजरात के खावडा में 1,126 मेगावाट (MW) और 3,530 मेगावाट-घंटा (MWh) क्षमता वाली भारत की सबसे बड़ी बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) विकसित करने की योजना बना रहा है। यह महत्वाकांक्षी परियोजना दुनिया की सबसे बड़ी एकल-स्थान ऊर्जा भंडारण सुविधाओं में से एक होगी और इसके मार्च 2026 तक चालू होने की उम्मीद है।
यह सुविधा खावडा नवीकरणीय ऊर्जा परिसर (Khavda renewable energy complex) का एक अभिन्न अंग होगी, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्र (renewable energy plant) विकसित किया जा रहा है। सौर और पवन जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के लिए बैटरी स्टोरेज महत्वपूर्ण है, जिससे वे चरम समय (peak times) के दौरान उत्पन्न ऊर्जा को संग्रहीत करके और कम उत्पादन अवधि (low generation periods) जैसे रात में या शांत हवाओं के दौरान उपयोग करके एक सुसंगत बिजली आपूर्ति प्रदान कर सकें। यह ग्रिड स्थिरता (grid stability) को बढ़ाता है, जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करता है, और बिजली की लागत को कम कर सकता है।
अडानी समूह की परियोजना का लक्ष्य ग्रिड की विश्वसनीयता में सुधार करना, चरम बिजली मांग (peak power demand) का प्रबंधन करना, ट्रांसमिशन की भीड़भाड़ को कम करना और चौबीसों घंटे स्वच्छ ऊर्जा की आपूर्ति को सुविधाजनक बनाना है। इसमें इष्टतम प्रदर्शन (optimal performance) के लिए परिष्कृत ऊर्जा प्रबंधन प्रणालियों (sophisticated energy management systems) के साथ एकीकृत उन्नत लिथियम-आयन बैटरी तकनीक का उपयोग किया जाएगा। परियोजना की क्षमता का मतलब है कि यह 3,530 MWh ऊर्जा संग्रहीत कर सकती है, जो लगभग तीन घंटे तक 1,126 MW बिजली क्षमता को बनाए रखने के लिए पर्याप्त है।
**प्रभाव (Impact)** यह खबर भारतीय शेयर बाजार (Indian stock market) के लिए अत्यधिक प्रभावशाली है, खासकर उन कंपनियों के लिए जो नवीकरणीय ऊर्जा और बुनियादी ढांचा विकास (infrastructure development) में शामिल हैं। यह एक प्रमुख समूह द्वारा ऊर्जा परिवर्तन (energy transition) के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र में एक बड़ी रणनीतिक चाल का संकेत देता है, जो संभावित रूप से निवेश और नवाचार को बढ़ावा दे सकता है। परियोजना के पैमाने और महत्वाकांक्षा से भारत के स्वच्छ ऊर्जा भविष्य और अडानी समूह की विकास संभावनाओं में निवेशक विश्वास (investor confidence) बढ़ सकता है। रेटिंग: 8/10।
**कठिन शब्दावली (Difficult Terms)** * **बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS)**: एक ऐसी प्रणाली जिसे विभिन्न स्रोतों, आमतौर पर नवीकरणीय स्रोतों से उत्पन्न विद्युत ऊर्जा को संग्रहीत करने और आवश्यकता पड़ने पर उसे डिस्चार्ज करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें बैटरी, पावर कन्वर्जन सिस्टम और कंट्रोल सिस्टम शामिल होते हैं। * **MW (मेगावाट)**: विद्युत शक्ति की एक इकाई। यह उस दर को मापता है जिस पर ऊर्जा का उत्पादन या उपभोग किया जाता है। * **MWh (मेगावाट-घंटा)**: विद्युत ऊर्जा की एक इकाई। यह एक अवधि में उत्पादित या उपभोग की गई कुल ऊर्जा की मात्रा को मापता है। उदाहरण के लिए, 1 घंटे तक चलने वाला 1 MW का पावर स्रोत 1 MWh ऊर्जा का उपभोग या उत्पादन करता है। MWh आंकड़ा इंगित करता है कि संग्रहीत ऊर्जा को निर्दिष्ट MW क्षमता पर कितनी देर तक आपूर्ति की जा सकती है। * **ग्रिड स्थिरता (Grid Stability)**: एक विद्युत ग्रिड की स्थिर रहने और ठीक से कार्य करने की क्षमता, जिसका अर्थ है कि वोल्टेज और आवृत्ति स्वीकार्य सीमाओं के भीतर बनाए रखी जाती है, भले ही लोड या उत्पादन में गड़बड़ी या परिवर्तन हुए हों। * **पीक लोड (Peak Load)**: किसी दी गई अवधि (जैसे, एक दिन या एक वर्ष) के भीतर बिजली की मांग का अधिकतम स्तर। ऊर्जा भंडारण इस मांग को पूरा करने में मदद करता है, बिना ऐसे बिजली संयंत्रों के निर्माण की आवश्यकता के जो केवल चरम समय के दौरान संचालित होते हैं। * **डीकार्बोनाइजिंग (Decarbonising)**: कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) उत्सर्जन को कम करने की प्रक्रिया। बिजली क्षेत्र के संदर्भ में, इसका मतलब जीवाश्म ईंधन से हटकर स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों की ओर संक्रमण करना है।