Real Estate
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Updated on 10 Nov 2025, 10:34 am
Reviewed By
Abhay Singh | Whalesbook News Team
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भारत में रियल एस्टेट को अब लंबी अवधि के धन-सृजन के लिए एक रणनीतिक निवेश के रूप में देखा जा रहा है, जो वित्तीय स्थिरता की अपनी पारंपरिक भूमिका से आगे बढ़ गया है। उभरता हुआ डेटा इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण रिकवरी और वृद्धि दर्शा रहा है, जिससे यह भारतीय निवेशकों के पोर्टफोलियो का एक प्रमुख घटक बन गया है, विशेष रूप से टियर 2 और टियर 3 शहरों में। प्रखर अग्रवाल जैसे विशेषज्ञ (रमा ग्रुप से) बताते हैं कि कैसे इंफ्रास्ट्रक्चर विकास और बेहतर कनेक्टिविटी क्षमता को अनलॉक कर रहे हैं, जिससे न केवल स्वामित्व के लिए बल्कि पोर्टफोलियो विविधीकरण (diversification) के लिए भी निवेश को बढ़ावा मिल रहा है। हालिया रिपोर्टें भी इस प्रवृत्ति की पुष्टि करती हैं। एक ANAROCK रिपोर्ट में बताया गया कि दिल्ली एनसीआर में आवासीय कीमतों में साल-दर-साल 24% की प्रभावशाली वृद्धि देखी गई, जिसमें Q1 2020 और Q1 2025 के बीच घर के मूल्य 81% बढ़े। किराये की आय (rental yields) भी सुधर रही है, ग्लोबल प्रॉपर्टी गाइड के अनुसार, Q2 2025 में भारत की औसत सकल किराये की आय (gross rental yield) 4.84% तक पहुंच गई, जो एक साल पहले 4.39% थी। अजय मलिक (RISE Infraventures) बताते हैं कि निवेशक मुद्रास्फीति के खिलाफ बचाव (hedge) के रूप में दिल्ली एनसीआर में पारंपरिक फिक्स्ड डिपॉजिट से रियल एस्टेट की ओर रुख कर रहे हैं, जो मूल्य वृद्धि और स्थिर आय दोनों प्रदान करता है। दिल्ली एनसीआर में आवासीय मूल्यों में पांच वर्षों में 13.7% सीएजीआर (CAGR) की वृद्धि हुई है। सलिल कुमार (CRC Group) इस बदलाव को RERA सुधारों और बढ़ी हुई पारदर्शिता के साथ-साथ युवा निवेशकों के लिए आंशिक स्वामित्व (fractional ownership) और आरईआईटी (REITs) की बढ़ती अपील का श्रेय देते हैं। प्रभाव: यह प्रवृत्ति रियल एस्टेट क्षेत्र में मजबूत विकास क्षमता का संकेत देती है, जो निर्माण, भवन सामग्री और वित्तीय सेवाओं जैसे संबंधित उद्योगों को बढ़ावा दे सकती है। यह निवेशकों को पोर्टफोलियो विविधीकरण और मुद्रास्फीति से बचाव के लिए एक मूर्त संपत्ति वर्ग (tangible asset class) भी प्रदान करती है। रेटिंग: 8/10।