Real Estate
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31st October 2025, 1:06 PM
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कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (CII) और प्रॉपर्टी कंसल्टेंट नाइट फ्रैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय रियल एस्टेट बाजार में डेवलपर्स के फोकस में एक महत्वपूर्ण बदलाव आ रहा है। वाणिज्यिक विकास की तुलना में आवासीय परियोजनाएं तेजी से आकर्षक होती जा रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार, प्रति वर्ग फुट आवासीय पूंजीगत मूल्य (capital values) तुलनीय वाणिज्यिक परियोजनाओं की तुलना में 2-3 गुना अधिक बताए गए हैं। यह मूल्यांकन अंतर (valuation disparity), तेज कैश फ्लो और आवासीय क्षेत्र में सरल नियामक अनुमोदन (regulatory approvals) के साथ मिलकर डेवलपर्स को पूंजी आवंटित करने के लिए मजबूर कर रहा है। यह रणनीतिक कदम भारत के ऑफिस रियल एस्टेट बाजार में गंभीर अपर्याप्त आपूर्ति (undersupply) का कारण बन रहा है, जो अब पोस्ट-कोविड सावधानी से कहीं अधिक प्रोजेक्ट इकोनॉमिक्स से प्रेरित है। प्रभाव (Impact) इस प्रवृत्ति से मौजूदा वाणिज्यिक संपत्तियों के लिए किराये में वृद्धि (rental appreciation) और मूल्यांकन में बढ़ोतरी (valuation uplift) होने की संभावना है। आवासीय परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करने वाले डेवलपर्स को उच्च रिटर्न मिल सकता है, लेकिन व्यापक अर्थव्यवस्था एक मजबूत वाणिज्यिक क्षेत्र पर निर्भर करती है। रिपोर्ट बताती है कि भविष्य की मांग को पूरा करने और 2 बिलियन वर्ग फुट के ऑफिस स्टॉक के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, भारत को नई आपूर्ति सृजन में तेजी लाने और मौजूदा संपत्तियों की उत्पादकता बढ़ाने की आवश्यकता है। वर्तमान ऑफिस इन्वेंट्री का लगभग 31% रेट्रोफिटिंग के लिए उपयुक्त है, जो पुरानी इमारतों को आधुनिक बनाने का अवसर प्रदान करता है। ऑफिस स्पेस के लिए आपूर्ति-मांग अनुपात (supply-to-demand ratio) 2008 में 1.40 से घटकर 2025 के पहले नौ महीनों में 0.49 हो गया है, जो लगातार कमी (shortfall) को दर्शाता है। यह असंतुलन मुख्य व्यावसायिक जिलों (core business districts) में सबसे गंभीर है, जहाँ ग्रेड ए रिक्ति स्तर (Grade A vacancy levels) एकल अंकों में हैं।