Personal Finance
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Updated on 13 Nov 2025, 06:53 am
Reviewed By
Aditi Singh | Whalesbook News Team
भारतीय घरों में एक नया चलन देखा जा रहा है जहाँ नौ और ग्यारह साल की उम्र के बच्चे भी स्कूल में वित्तीय अवधारणाओं को सीख रहे हैं। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने छठी कक्षा से आगे के छात्रों के लिए एक वित्तीय साक्षरता पाठ्यक्रम शुरू किया है, जिसमें जरूरतों बनाम चाहतों, ब्याज, मुद्रास्फीति, बजटिंग और विभिन्न निवेश विकल्पों जैसे विषयों को शामिल किया गया है। इस शैक्षिक प्रयास को ब्राइटचैंप्स, बियॉन्ड स्कूल और फिनस्टार्ट सहित कई एडटेक कंपनियां समर्थन दे रही हैं। ये फर्में वित्तीय शिक्षा को इंटरैक्टिव गेम और संरचित पाठ्यक्रम में बदल रही हैं, जिसमें अक्सर स्टॉक मार्केट सिम्युलेटर, बॉन्ड और म्यूचुअल फंड में वर्चुअल निवेश, और यहां तक कि मॉक स्टार्ट-अप वेंचर भी शामिल होते हैं। यह दृष्टिकोण सीखने को आकर्षक और व्यावहारिक बनाकर बच्चों की निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ाता है। वित्तीय अवधारणाओं के इस शुरुआती संपर्क का बच्चों के व्यवहार पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। कई लोग आवेगपूर्ण खर्च से सचेत बचतकर्ता बन रहे हैं। ऐसी कई कहानियां हैं जहां बच्चे ईएमआई जैसी अवधारणाओं को समझ रहे हैं और आवेगपूर्ण खरीद के बजाय बड़ी चीजों के लिए बचत करने का निर्णय ले रहे हैं। यह शुरुआती शुरुआत चक्रवृद्धि (compounding) की शक्ति को भी स्पष्ट कर रही है, जिससे बच्चों को धन सृजन के लिए दीर्घकालिक सोचने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्रभाव: यह प्रवृत्ति भारत में वित्तीय रूप से साक्षर व्यक्तियों की एक पीढ़ी को बढ़ावा देगी, जिससे संभावित रूप से बचत दर बढ़ेगी, अधिक सूचित निवेश निर्णय लिए जाएंगे, और देश के आर्थिक विकास और उपभोक्ता बाजार पर सकारात्मक दीर्घकालिक प्रभाव पड़ेगा। रेटिंग: 8/10। कठिन शब्द: मुद्रास्फीति (Inflation), बजटिंग (Budgeting), निवेश (Investment), एडटेक (Edtech), क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency), डीप फेक (Deep Fake), ईएमआई (EMIs), चक्रवृद्धि (Compounding)।