वित्तीय विशेषज्ञों की चेतावनी है कि पारंपरिक रिटायरमेंट प्लानिंग, जो फिक्स्ड डिपॉजिट और डेट फंड पर बहुत ज़्यादा निर्भर करती है, महंगाई (inflation) के कारण वास्तव में क्रय शक्ति (purchasing power) को कम कर सकती है। ट्रस्टलाइन होल्डिंग्स के सीईओ एन. अरुणागिरी का सुझाव है कि रिटायर होने वाले लोग अपनी ज़रूरी खर्चों के लिए केवल 3-4 साल की राशि कम जोखिम वाली संपत्तियों (low-risk assets) में रखें, और बाकी को इक्विटी जैसे ग्रोथ-उन्मुख संपत्तियों में निवेश करें। इस रणनीति का उद्देश्य नज़दीकी ज़रूरतों को सुरक्षित करना है, साथ ही लंबी अवधि के कंपाउंडिंग (long-term compounding) को भी सक्षम करना है, जिससे रिटायरमेंट की बचत ज़्यादा लचीली (resilient) बन सके।