भारत में, एक नॉमिनी केवल एक संरक्षक (custodian) होता है, न कि आपके बैंक खातों, म्यूचुअल फंड या बीमा जैसी संपत्तियों का वास्तविक मालिक। सुप्रीम कोर्ट के फैसलों से यह पुष्टि होती है कि कानूनी उत्तराधिकारी ही संपत्ति के वारिस होते हैं, और एक वैध वसीयत (Will) हमेशा किसी भी नामांकन (nomination) पर हावी रहती है। इस महत्वपूर्ण अंतर को न समझने से महंगी पारिवारिक विवाद और मुकदमेबाजी हो सकती है। सच्ची वित्तीय सुरक्षा और मानसिक शांति के लिए अपनी संपत्तियों की योजना (estate plan) के साथ अपने नामांकनों को संरेखित करना महत्वपूर्ण है।