Law/Court
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Updated on 31 Oct 2025, 01:08 pm
Reviewed By
Aditi Singh | Whalesbook News Team
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भारत के सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में यह स्पष्ट किया है कि निगमों द्वारा नियुक्त इन-हाउस काउंसिल, अटॉर्नी-क्लाइंट प्रिविलेज के उद्देश्य के लिए "वकीलों" (advocates) की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आते हैं। इसका मतलब है कि वे भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) की धारा 132 के तहत उपलब्ध वैधानिक सुरक्षा का दावा नहीं कर सकते। भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि यह विशेषाधिकार स्वतंत्र रूप से कानून का अभ्यास करने वाले वकीलों के लिए आरक्षित है, न कि उन वकीलों के लिए जो कंपनियों के पूर्णकालिक वेतनभोगी कर्मचारी हैं। अदालत ने तर्क दिया कि स्वतंत्रता कानूनी पेशे के लिए मौलिक है। इन-हाउस काउंसिल, जो कंपनी के प्रबंधन में एकीकृत होते हैं और उसके व्यावसायिक हितों से प्रभावित होते हैं, उनमें यह महत्वपूर्ण स्वतंत्रता का अभाव होता है। हालांकि वे नियोक्ताओं को कानूनी मामलों पर सलाह देते हैं, उनका प्राथमिक दायित्व नियोक्ता के हितों की रक्षा करना है। अदालत ने भारतीय बार काउंसिल के नियमों का भी उल्लेख किया, जो पूर्णकालिक वेतनभोगी कर्मचारियों को वकील के रूप में अभ्यास करने से रोकते हैं। हालांकि, यह फैसला ऐसे कानूनी सलाहकारों को किसी भी सुरक्षा के बिना नहीं छोड़ता है। अदालत ने स्पष्ट किया कि इन-हाउस काउंसिल, BSA की धारा 134 के तहत सीमित गोपनीयता का दावा कर सकते हैं। यह धारा आम तौर पर कानूनी सलाहकार के साथ गोपनीय संचार के प्रकटीकरण को मजबूर करने से रोकती है, लेकिन वकीलों से जुड़ी व्यापक पेशेवर विशेषाधिकार प्रदान नहीं करती है। प्रभाव: यह निर्णय जांच के दौरान संवेदनशील जानकारी को संभालने के तरीके को काफी प्रभावित करेगा। कंपनियों को अपनी आंतरिक कानूनी प्रक्रियाओं और दस्तावेज़ प्रबंधन का पुनर्मूल्यांकन करने की आवश्यकता हो सकती है। इससे इन-हाउस काउंसिल से जुड़े संचार की अधिक जांच हो सकती है, जो कॉर्पोरेट गवर्नेंस और अनुपालन रणनीतियों को प्रभावित कर सकती है। यह निर्णय स्वतंत्र कानूनी अभ्यास और इन-हाउस सलाहकार भूमिकाओं के बीच अंतर को पुष्ट करता है, जो कॉर्पोरेट कानूनी विभागों की अपेक्षाओं और कानूनी स्थिति को प्रभावित करता है। रेटिंग: 8/10। परिभाषाएँ: "इन-हाउस काउंसिल (In-house Counsel)": ऐसे वकील जो सीधे किसी कंपनी या संगठन द्वारा उस संगठन को कानूनी सलाह और सेवाएं प्रदान करने के लिए नियोजित होते हैं। "वकील (Advocate)": एक वकील जो अदालत में मामलों की पैरवी करता है या कानूनी सलाह प्रदान करता है, जिसे आम तौर पर स्वतंत्र रूप से कानून का अभ्यास करने वाला समझा जाता है। "अटॉर्नी-क्लाइंट प्रिविलेज (Attorney-Client Privilege)": एक कानूनी नियम जो किसी मुवक्किल और उनके वकील के बीच संचार को प्रकटीकरण से बचाता है, गोपनीयता सुनिश्चित करता है। "भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA)": भारतीय साक्ष्य अधिनियम, जिसे हाल ही में नया नाम दिया गया है और संशोधित किया गया है, जो अदालती कार्यवाही में साक्ष्य की स्वीकार्यता को नियंत्रित करता है। "Suo Motu": लैटिन शब्द जिसका अर्थ है "अपने आप"। यह पार्टियों के औपचारिक अनुरोध के बिना अदालत द्वारा कार्रवाई करने या कार्यवाही शुरू करने को संदर्भित करता है। "भारतीय बार काउंसिल के नियम": भारतीय बार काउंसिल द्वारा निर्धारित नियम जो भारत में वकीलों के आचरण और अभ्यास को नियंत्रित करते हैं। "गोपनीयता (Confidentiality)": किसी चीज़ को गुप्त या निजी रखने की स्थिति।
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