Law/Court
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Updated on 12 Nov 2025, 06:09 am
Reviewed By
Satyam Jha | Whalesbook News Team

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मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै पीठ ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है जिसमें कहा गया है कि आधार डेटाबेस में नाम और जन्म तिथि को सही करने का अधिकार एक मौलिक अधिकार है। अदालत ने आधार अधिनियम और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों, जिसमें पुट्टस्वामी मामला भी शामिल है, की जांच की ताकि यह कहा जा सके कि यद्यपि अधिनियम अपडेट में विवेक का सुझाव दे सकता है, अधिकारियों का यह कर्तव्य है कि वे प्रदान की गई जानकारी की सटीकता से संतुष्ट होने पर सुधार करें। यह सुनिश्चित करता है कि आधार, सरकारी सब्सिडी और लाभ (आधार अधिनियम की धारा 7 के अनुसार) तक पहुँचने का एक महत्वपूर्ण उपकरण, सटीक बना रहे और अपने उद्देश्य को पूरा करे।
**Impact** यह फैसला डेटा सटीकता के महत्व को बढ़ाता है। व्यवसायों के लिए, विशेष रूप से भारत के नए डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 (DPDPA) के तहत, यह 'डेटा प्रिंसिपल्स' (व्यक्तियों) के लिए डेटा सुधार की सुविधा प्रदान करने के दायित्व को रेखांकित करता है। कंपनियों को ऐसे अनुरोधों को संभालने के लिए मजबूत प्रक्रियाएँ लागू करनी होंगी, क्योंकि गलत डेटा बहिष्करण, भेदभाव और सेवाओं से इनकार का कारण बन सकता है, जिससे ग्राहक विश्वास प्रभावित हो सकता है और संभावित रूप से कानूनी देनदारियाँ हो सकती हैं। डेटा सटीकता अब केवल एक अनुपालन (compliance) मुद्दा नहीं, बल्कि एक प्रतिस्पर्धात्मक लाभ (competitive advantage) भी है।
Rating: 8/10
**Difficult Terms Explained:** * **Writ Petition**: अदालत द्वारा जारी एक औपचारिक लिखित आदेश जो किसी विशेष कार्रवाई को अनिवार्य या प्रतिबंधित करता है। इसका उपयोग अक्सर तब किया जाता है जब मौलिक अधिकारों का उल्लंघन माना जाता है। * **Demographic Information**: किसी जनसंख्या के बारे में व्यक्तिगत विवरण, जैसे नाम, पता, जन्म तिथि और लिंग। * **Biometric Information**: किसी व्यक्ति की अद्वितीय शारीरिक विशेषताएँ, जैसे फिंगरप्रिंट या आईरिस स्कैन, जिनका उपयोग पहचान के लिए किया जाता है। * **CIDR (Central Identities Data Repository)**: UIDAI द्वारा प्रबंधित एक केंद्रीकृत डेटाबेस जो आधार नामांकित डेटा संग्रहीत करता है। * **Statement of Objects and Reasons**: किसी विधायी विधेयक का परिचयात्मक अनुभाग जो इसके उद्देश्य और अधिनियमन के पीछे के तर्क को स्पष्ट करता है। * **Puttaswamy case**: सुप्रीम कोर्ट के उस ऐतिहासिक फैसले (जस्टिस के.एस. पुट्टस्वामी (सेवानिवृत्त) बनाम भारत संघ) को संदर्भित करता है जिसने भारतीय संविधान के तहत निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी थी। * **Social Justice**: समाज में अवसरों और संसाधनों का निष्पक्ष और न्यायसंगत वितरण। * **Human Dignity**: प्रत्येक व्यक्ति का अंतर्निहित मूल्य और गरिमा, जिसका सम्मान और संरक्षण किया जाना चाहिए। * **Sine qua non**: एक लैटिन वाक्यांश जिसका अर्थ है "जिसके बिना कुछ नहीं"; एक आवश्यक शर्त या अपरिहार्य तत्व। * **Individual Autonomy**: बाहरी नियंत्रण से मुक्त, व्यक्तियों की अपनी सूचित निर्णय और विकल्प बनाने की क्षमता। * **Data Principal**: वह व्यक्ति जिसका व्यक्तिगत डेटा किसी संगठन द्वारा एकत्र, संसाधित या संग्रहीत किया जाता है, जैसा कि DPDPA के तहत परिभाषित है। * **Data Fiduciaries**: वे संगठन या संस्थाएँ जो व्यक्तिगत डेटा एकत्र करने, संसाधित करने और संग्रहीत करने के लिए जिम्मेदार हैं, जैसा कि DPDPA के तहत परिभाषित है।