दिल्ली की एक कोर्ट ने अनिल अंबानी की कंपनियों पर ₹41,000 करोड़ की धोखाधड़ी के आरोपों के बारे में मीडिया में छपने वाली खबरों पर तत्काल रोक लगाने के लिए दाखिल की गई याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट अंबानी द्वारा दायर मानहानि के मामले में सम्मन जारी करते हुए, अंतरिम आदेश पर फैसला लेने से पहले संबंधित मीडिया पक्षों को सुनेगी।
दिल्ली की एक कोर्ट ने व्यवसायी अनिल अंबानी की कंपनियों के खिलाफ ₹41,000 करोड़ से अधिक की धोखाधड़ी के गंभीर आरोपों पर रिपोर्टिंग को रोकने के लिए तत्काल एकतरफा अंतरिम निषेधाज्ञा (ex parte interim injunction) जारी करने से मना कर दिया है। कार<!-- -->क<!-- -->र<!-- -->ड<!-- -->ू<!-- -->म<!-- -->ा<!-- --> ज<!-- -->ज<!-- --> Vivek Beniwal ने कहा कि कोर्ट किसी भी ऑर्डर पास करने से पहले इनवॉल्व मीडिया ऑर्गनाइजेशन्स की सुनना चाहती है।
इसका मतलब है कि फिलहाल अनिल अंबानी की मीडिया रिपोर्टिंग रोकने की इमीडिएट रिलीफ की प्ली को डिनाई कर दिया गया है। कोर्ट ने अंबानी द्वारा दायर डिफेमेशन सूट में समन जारी कर दिए हैं और उनकी इंटिरिम इंजंक्शन एप्लीकेशन पर डिफेंडेंट्स को नोटिस भी सर्व किए हैं। जज ने कहा कि अंबानी का केस, इस स्टेज पर, एक्स-पार्टे प्रोटेक्शन के लिए वारंटेड नहीं था।
अनिल अंबानी की तरफ से पेश एडवोकेट विजय अग्रवाल ने कोर्ट का स्टैंड एकनॉलेज किया और कहा कि वह फिलहाल एक्स-पार्टे ऑर्डर के लिए प्रेस नहीं कर रहे हैं, और कोर्ट दोनों पार्टीज को सुने, इस पर एग्री हुए।
केस की अगली सुनवाई दिसंबर 5 को सेट की गई है। अनिल अंबानी ने यह डिफेमेशन एक्शन Cobrapost.com, Bennett Coleman and Company Limited (The Economic Times et The Times of India के पब्लिशर्स), Live Media & Publishers Pvt Ltd, और अनजान 'John Doe' डिफेंडेंट्स के खिलाफ शुरू किया था।
यह डिफेमेशन सूट 30th October को पब्लिश हुई एक Cobrapost रिपोर्ट से रिलेटेड है, जिसमें ऐलिज्ड था कि अंबानी के रिलायंस ग्रुप ने 2006 से ग्रुप कंपनियों से फंड्स डाइवर्ट करके ₹41,921 करोड़ से ज्यादा का फाइनेंशियल फ्रॉड किया है। ये ऐलिगेशन्स बाद में The Economic Times समेत अन्य पब्लिकेशन द्वारा रिपोर्ट की गयी। अंबानी का कहना है कि ये रिपोर्ट्स उन्हें कंटीन्यूअसली डिफेम कर रही हैं।