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जस्टिस अशोक भूषण NCLAT के अध्यक्ष पद पर 2026 जुलाई तक फिर से नियुक्त

Law/Court

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Updated on 07 Nov 2025, 09:03 am

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Reviewed By

Abhay Singh | Whalesbook News Team

Short Description:

पूर्व सुप्रीम कोर्ट जस्टिस अशोक भूषण को केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) का अध्यक्ष फिर से नियुक्त किया है। उनका कार्यकाल 4 जुलाई, 2026 तक बढ़ाया गया है, जब वह 70 वर्ष के हो जाएंगे। जस्टिस भूषण 8 नवंबर, 2021 से NCLAT का नेतृत्व कर रहे हैं, जो महत्वपूर्ण कॉर्पोरेट कानून और दिवाला (insolvency) मामलों को संभालता है।
जस्टिस अशोक भूषण NCLAT के अध्यक्ष पद पर 2026 जुलाई तक फिर से नियुक्त

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Detailed Coverage:

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस अशोक भूषण को राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) का अध्यक्ष फिर से नियुक्त किया गया है। केंद्र सरकार ने कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय (Ministry of Personnel, Public Grievances and Pensions) के माध्यम से इस फैसले की घोषणा की, जिसमें कैबिनेट की नियुक्ति समिति (Appointments Committee of the Cabinet) ने कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (Ministry of Corporate Affairs) के प्रस्ताव को मंजूरी दी।

जस्टिस भूषण की पुनर्नियुक्ति 4 जुलाई, 2026 तक प्रभावी है, जब वह 70 वर्ष की आयु प्राप्त कर लेंगे। वह 8 नवंबर, 2021 से NCLAT के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं, और कॉर्पोरेट कानून, दिवाला (insolvency) और प्रतिस्पर्धा कानूनों (competition statutes) से संबंधित कई महत्वपूर्ण मामलों की देखरेख कर रहे हैं। उनके पृष्ठभूमि में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश और केरल उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में एक प्रतिष्ठित करियर शामिल है।

प्रभाव यह पुनर्नियुक्ति NCLAT के नेतृत्व में स्थिरता और निरंतरता सुनिश्चित करती है, जो भारत में कॉर्पोरेट शासन, दिवाला समाधान (insolvency resolution) और दिवालियापन (bankruptcy) प्रक्रियाओं के लिए एक महत्वपूर्ण न्यायिक निकाय है। एक सुसंगत नेतृत्व जटिल कॉर्पोरेट विवादों के अधिक अनुमानित और कुशल संचालन की ओर ले जा सकता है, जो अप्रत्यक्ष रूप से निवेशकों के विश्वास और एक स्थिर कारोबारी माहौल को बढ़ावा देता है। रेटिंग: 5/10।

कठिन शब्द राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT): एक अर्ध-न्यायिक निकाय जो राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) द्वारा पारित आदेशों के खिलाफ अपील सुनता है और कॉर्पोरेट कानून, दिवाला और दिवालियापन से संबंधित मामलों का निपटारा करता है। कैबिनेट की नियुक्ति समिति: केंद्रीय मंत्रिमंडल की एक उच्च-स्तरीय समिति, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं, जो सरकार में प्रमुख नियुक्तियों के लिए जिम्मेदार है। कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय: एक सरकारी मंत्रालय जो कार्मिक मामलों, सार्वजनिक शिकायतों और पेंशन को संभालने के लिए जिम्मेदार है। दिवाला (Insolvency): एक ऐसी स्थिति जहां कोई कंपनी या व्यक्ति अपने ऋण चुकाने में असमर्थ होता है। प्रतिस्पर्धा कानून (Competition Statutes): ऐसे कानून जो एकाधिकार को रोकने और निष्पक्ष व्यापार प्रथाओं को सुनिश्चित करने के लिए बाजार में प्रतिस्पर्धा को नियंत्रित करते हैं।


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