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कोर्ट प्रेडिक्टिबिलिटी: वादियों के लिए न्यायिक प्रणाली की दक्षता मापने के नए मेट्रिक्स

Law/Court

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Updated on 30 Oct 2025, 09:35 am

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Reviewed By

Aditi Singh | Whalesbook News Team

Short Description :

यह लेख केवल दक्षता से परे, अदालती कार्यवाही में पूर्वानुमेयता (predictability) की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर चर्चा करता है। यह बताता है कि कैसे अप्रत्याशित सुनवाई कार्यक्रम और गैर-सारभूत (non-substantive) सुनवाई वादियों के समय और धन की बर्बादी करती हैं। दो प्रमुख मेट्रिक्स प्रस्तावित हैं: 'सुनवाई के बीच का समय' (Time between hearings) और 'सारभूत सुनवाई का प्रतिशत' (Percentage of substantive hearings), जो वादियों को उनकी कानूनी रणनीतियों के बारे में सूचित निर्णय लेने में मदद कर सकते हैं।
कोर्ट प्रेडिक्टिबिलिटी: वादियों के लिए न्यायिक प्रणाली की दक्षता मापने के नए मेट्रिक्स

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Detailed Coverage :

लेख इस बात पर जोर देता है कि जब तक अदालत की दक्षता (एक मामला कितना समय लेता है) महत्वपूर्ण है, वादियों के लिए पूर्वानुमेयता (predictability) भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। यहाँ पूर्वानुमेयता का अर्थ है कि क्या अदालतें निर्धारित सुनवाई की तारीखों का पालन करती हैं और क्या प्रत्येक उपस्थिति मामले को सार्थक रूप से आगे बढ़ाती है, न कि परिणाम की भविष्यवाणी करना। पूर्वानुमेयता की कमी न्याय प्रणाली को मनमाना और अविश्वसनीय बना सकती है, ठीक वैसे ही जैसे डॉक्टर की नियुक्ति को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया जाए।

वकीलों और वादियों के लिए, अप्रत्याशित अदालत के कार्यक्रम वास्तविक आर्थिक और व्यक्तिगत लागतों को जन्म देते हैं, जिनमें यात्रा का नुकसान, खोई हुई मजदूरी और बढ़ी हुई अनिश्चितता शामिल है। लेख पूर्वानुमेयता को मापने के लिए दो मापने योग्य मेट्रिक्स प्रस्तावित करता है:

1. **सुनवाई के बीच का समय (Time Between Hearings):** यह मीट्रिक किसी मामले के लिए क्रमिक सुनवाई के बीच मध्यवर्ती अंतराल की गणना करता है। इस आवृत्ति को जानने से वादियों को लागत (जैसे यात्रा) की योजना बनाने और अपने समय का प्रभावी ढंग से प्रबंधन करने में मदद मिलती है। 2. **सारभूत सुनवाई का प्रतिशत (Percentage of Substantive Hearings):** यह मीट्रिक उन सुनवाईयों का अनुपात मापता है जिनसे मामले में वास्तविक प्रगति होती है, न कि उन सुनवाईयों के विपरीत जो प्रक्रियात्मक कारणों या समय की कमी के कारण स्थगन (adjournments) में समाप्त होती हैं। कम प्रतिशत महत्वपूर्ण व्यर्थ प्रयास को इंगित करता है।

साथ में, ये मेट्रिक्स मामले की 'वास्तविक' प्रगति में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं, जिससे वादी निपटान (settlement) का विकल्प चुनने या मुकदमेबाजी के दृष्टिकोण को समायोजित करने जैसे रणनीतिक निर्णय लेने में सशक्त होते हैं। लेख 'वास्तविक' बनाम 'निर्धारित' सुनवाई तिथियों की तुलना करने में डेटा अंतराल को नोट करता है और XKDR फोरम के ऐसे डेटा अंतर्दृष्टि प्रदान करने के कार्य का भी उल्लेख करता है, जिसमें '24x7 ON Courts initiative' पर उनका सहयोग भी शामिल है।

प्रभाव यह समाचार भारतीय न्यायिक प्रणाली और इसके भीतर काम करने वाले व्यवसायों के लिए अत्यधिक प्रासंगिक है, क्योंकि यह उन अक्षमताओं को संबोधित करता है जो कानूनी प्रक्रियाओं और व्यावसायिक निश्चितता को प्रभावित करती हैं। रेटिंग: 7/10।

कठिन शब्दों की व्याख्या: * **पूर्वानुमेयता (अदालती संदर्भ में):** यह निश्चितता कि अदालत निर्धारित तारीख पर सुनवाई के साथ आगे बढ़ेगी और सुनवाई मामले की प्रगति में सार्थक योगदान देगी। * **दक्षता (Efficiency):** अदालत प्रणाली के माध्यम से कितनी जल्दी और प्रभावी ढंग से कोई मामला संसाधित होता है, इसका माप। * **वादी (Litigants):** मुकदमा या कानूनी विवाद में शामिल व्यक्ति या पक्ष। * **सारभूत सुनवाई (Substantive Hearings):** अदालत के सत्र जहाँ न्यायाधीश मामले के गुणों या सारभूत प्रक्रियात्मक पहलुओं पर विचार करते हैं, जिससे समाधान की दिशा में ठोस प्रगति होती है। * **गैर-सारभूत सुनवाई (Non-substantive Hearings):** ऐसी सुनवाई जिनसे महत्वपूर्ण प्रगति नहीं होती है, जो अक्सर स्थगन या प्रशासनिक मामलों में समाप्त होती हैं। * **स्थगन (Adjournments):** निर्धारित अदालत की सुनवाई को बाद की तारीख में स्थगित करना। * **कारण सूची (Cause List):** किसी विशेष अदालत द्वारा सुनी जाने वाली सूचीबद्ध मामलों की दैनिक सूची।

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