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हिंदुजा ग्रुप की इकाई के विलय को 'अस्वीकार्य कर परिहार' माना गया; 1,203 करोड़ रुपये के टैक्स सेट-ऑफ पर रोक।

Law/Court

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31st October 2025, 8:29 AM

हिंदुजा ग्रुप की इकाई के विलय को 'अस्वीकार्य कर परिहार' माना गया; 1,203 करोड़ रुपये के टैक्स सेट-ऑफ पर रोक।

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Stocks Mentioned :

Hinduja Global Solutions Ltd.
NxtDigital Ltd.

Short Description :

अप्रूविंग पैनल ने भारत के जनरल एंटी-अवॉइडेंस रूल्स (GAAR) के तहत हिंदुजा ग्लोबल सॉल्यूशंस लिमिटेड और नेक्स्टडिजिटल लिमिटेड के विलय को 'अस्वीकार्य परिहार व्यवस्था' (impermissible avoidance arrangement) करार दिया है। हिंदुजा ग्लोबल सॉल्यूशंस लिमिटेड अब 1,203 करोड़ रुपये के टैक्स सेट-ऑफ का दावा नहीं कर पाएगी। पैनल ने पाया कि विलय का मुख्य उद्देश्य वास्तविक व्यावसायिक विकास के बजाय कर लाभ प्राप्त करना था, जो कर लाभ के लिए कॉर्पोरेट पुनर्गठन के खिलाफ एक सख्त रुख दर्शाता है।

Detailed Coverage :

अप्रूविंग पैनल ने हिंदुजा ग्लोबल सॉल्यूशंस लिमिटेड (HGSL) और नेक्स्टडिजिटल लिमिटेड के बीच हुए विलय को भारत के जनरल एंटी-अवॉइडेंस रूल्स (GAAR) के तहत 'अस्वीकार्य परिहार व्यवस्था' (impermissible avoidance arrangement) करार दिया है, जो हिंदुजा ग्रुप की इकाई के लिए एक बड़ा झटका है। HGSL को 1,203 करोड़ रुपये के टैक्स सेट-ऑफ का दावा करने से रोक दिया गया है और अब उसे ब्याज और जुर्माने के साथ पूरी कर राशि वसूलनी होगी। पैनल ने यह निर्धारित किया कि विलय का मुख्य उद्देश्य कर लाभ प्राप्त करना था, न कि वास्तविक व्यावसायिक या परिचालन विकास। इस फैसले में कहा गया है कि HGSL ने 8,000 करोड़ रुपये में अपने स्वास्थ्य सेवा डिवीजन को बेचा था, जिससे 3,059 करोड़ रुपये का पूंजीगत लाभ (capital gains) हुआ, और बाद में उसने घाटे वाली नेक्स्टडिजिटल के साथ विलय किया, जिसके पास 1,500 करोड़ रुपये का संचित घाटा (accumulated losses) था। इससे HGSL अपने मुनाफे के विरुद्ध इन हानियों को समायोजित (offset) कर पाई, जिससे उसकी कर देनदारी लगभग 281 करोड़ रुपये कम हो गई। पैनल के निष्कर्ष: आंतरिक संचार से विलय के पीछे 'कर बचत' (tax savings) को मुख्य उद्देश्य बताया गया। पैनल ने पाया कि लेनदेन में व्यावसायिक सार (commercial substance) और व्यावसायिक तालमेल (business synergy) का अभाव था। इसने यह भी फैसला सुनाया कि आयकर अधिनियम (Income Tax Act) के वे प्रावधान जिनका उद्देश्य वास्तविक व्यावसायिक पुनर्गठन था, उनका दुरुपयोग किया गया था। यदि कर परिहार स्पष्ट हो तो नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) की मंजूरी GAAR केInvocation को नहीं रोकती है। कानूनी संदर्भ: सुप्रीम कोर्ट के 'मैकडॉवेल एंड कंपनी' (McDowell & Co.) के फैसले का हवाला देते हुए, पैनल ने पुष्टि की कि कृत्रिम कर व्यवस्था वैध कर नियोजन (tax planning) के रूप में योग्य नहीं हो सकती। यह आदेश कॉर्पोरेट पुनर्गठन के माध्यम से कर परिहार पर सरकार के सख्त रुख को मजबूत करता है। प्रभाव: यह फैसला केवल कर लाभ के उद्देश्य से किए जाने वाले इसी तरह के कॉर्पोरेट पुनर्गठन युद्धाभ्यास को हतोत्साहित कर सकता है, और बड़े कॉर्पोरेट समूहों पर जांच बढ़ा सकता है। यह GAAR प्रावधानों के अधिकार को मजबूत करता है और यदि कंपनियां आक्रामक कर योजना का प्रयास करती हैं तो अधिक कर मुकदमेबाजी का कारण बन सकता है।