Law/Court
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30th October 2025, 2:26 PM

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सुप्रीम कोर्ट के एक महत्वपूर्ण फैसले ने प्रॉपर्टी के स्वामित्व हस्तांतरण कानूनों को स्पष्ट किया है, रजिस्टर्ड सेल डीड की सर्वोच्चता पर जोर दिया है। मामले में दिल्ली के एक घर को लेकर दो भाइयों, सुरेश और रमेश, के बीच विवाद शामिल था, जो उन्हें अपने पिता से विरासत में मिला था। सुरेश ने रजिस्टर्ड वसीयत और जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी (जी.पी.ए.), एफिडेविट, और रसीद जैसे अन्य दस्तावेजों के आधार पर एकमात्र स्वामित्व का दावा किया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालतों के फैसलों को पलट दिया जो सुरेश के पक्ष में थे। शीर्ष अदालत ने माना कि बिना वसीयत के मृत्यु (इंट Estate Succession) से विरासत में मिली संपत्ति सभी क्लास-I कानूनी वारिसों की समान रूप से थी। अदालत ने सुरेश की वसीयत को कानूनी रूप से अप्रमाणित पाया, क्योंकि यह सक्सेशन एक्ट की धारा 63 और एविडेंस एक्ट की धारा 68 की आवश्यकताओं को पूरा नहीं करती थी। नतीजतन, अदालत ने फैसला सुनाया कि अप्रमाणित वसीयत, जी.पी.ए., या बिक्री समझौता (Agreement to Sell) विशेष स्वामित्व स्थापित नहीं कर सकते। प्रभाव: इस फैसले ने इस कानूनी सिद्धांत को पुष्ट किया है कि अचल संपत्ति का वैध हस्तांतरण केवल एक रजिस्टर्ड सेल डीड द्वारा ही किया जा सकता है। यह रियल एस्टेट लेनदेन, उत्तराधिकार विवादों और संपत्ति कानून के लिए महत्वपूर्ण स्पष्टता प्रदान करता है, जिससे कानूनी निश्चितता बढ़ती है और सही वारिसों और खरीदारों के अधिकारों की रक्षा होती है। यह निर्णय भारत में प्रॉपर्टी से जुड़े सौदों में शामिल निवेशकों और व्यक्तियों के लिए महत्वपूर्ण है, जिससे अस्पष्टता और धोखाधड़ी के दावों की संभावना कम हो जाती है। रेटिंग: 8/10।