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सेबी IPO वैल्यूएशन के लिए 'गार्डरेल्स' पर विचार कर रहा है, खुदरा निवेशकों को बचाने के लिए।

IPO

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Updated on 07 Nov 2025, 09:39 am

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Reviewed By

Akshat Lakshkar | Whalesbook News Team

Short Description:

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के सदस्य कमलेश वार्ष्णेय ने कहा कि खुदरा निवेशकों (retail investors) को संभावित रूप से बढ़ी हुई आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (IPO) वैल्यूएशन से बचाने के लिए मजबूत 'गार्डरेल्स' की आवश्यकता है। हालांकि यह एक नियामक कमी (regulatory gap) नहीं है, सेबी एंकर निवेश वैल्यूएशन की प्रभावशीलता में सुधार करना चाहता है। वार्ष्णेय ने कॉर्पोरेट व्यवस्थाओं (corporate arrangements) में वैल्यूएशन को एक संभावित नियामक कमी के रूप में पहचाना है, जिसके लिए भविष्य में दिशानिर्देशों की आवश्यकता हो सकती है, संभवतः भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (IBBI) के साथ मिलकर। यह सेबी के अध्यक्ष तुहिन कांता पांडे के इस दोहराव के बाद आया है कि नियामक IPO मूल्य निर्धारण में हस्तक्षेप नहीं करता है।
सेबी IPO वैल्यूएशन के लिए 'गार्डरेल्स' पर विचार कर रहा है, खुदरा निवेशकों को बचाने के लिए।

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Detailed Coverage:

सेबी के पूर्णकालिक सदस्य कमलेश वार्ष्णेय ने कहा कि बाजार नियामक पूंजी निर्गम वैल्यूएशन को नियंत्रित करने से दूर जा रहा है, लेकिन खुदरा निवेशकों की सुरक्षा के लिए 'गार्डरेल्स' लागू करने की आवश्यकता है। उन्होंने नोट किया कि खुदरा निवेशकों ने अक्सर IPO वैल्यूएशन को चुनौती दी है, यह सुझाव देते हुए कि हालांकि यह एक नियामक कमी नहीं है, एंकर निवेश वैल्यूएशन को ठीक से, प्रभावी ढंग से और कुशलता से निष्पादित किया जाए, यह सुनिश्चित करने के लिए उन्नत तंत्र की आवश्यकता है। यह सेबी के अध्यक्ष तुहिन कांता पांडे के हालिया बयानों के अनुरूप है कि नियामक IPO वैल्यूएशन तय नहीं करेगा, जो अंततः निवेशकों द्वारा तय किए जाते हैं। वार्ष्णेय ने 'कॉर्पोरेट व्यवस्थाओं के दौरान वैल्यूएशन' में एक संभावित नियामक कमी की ओर भी इशारा किया, जहां प्रमोटर शेयरधारकों को अल्पसंख्यक शेयरधारकों के लिए हानिकारक बढ़ी हुई कीमतें मिल सकती हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि सेबी को ऐसे वैल्यूएशन के लिए दिशानिर्देश विकसित करने की आवश्यकता हो सकती है, संभवतः एक अन्य नियामक, IBBI (भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड) के साथ मिलकर, ट्रांसफर प्राइसिंग दिशानिर्देशों के समान। प्रभाव: यह खबर IPO मूल्य निर्धारण की निष्पक्षता पर नियामक फोकस बढ़ने का सुझाव देती है। इससे अधिक रूढ़िवादी IPO मूल्य निर्धारण या बढ़ी हुई प्रकटीकरण आवश्यकताओं की ओर ले जाया जा सकता है, जो आगामी IPOs की मात्रा और गति को प्रभावित कर सकता है। खुदरा निवेशकों के लिए, यह अत्यधिक मूल्यवान कंपनियों में निवेश करने के जोखिम को कम करने के प्रयास का प्रतीक है। कॉर्पोरेट व्यवस्था वैल्यूएशन के लिए नए दिशानिर्देश विलय और अधिग्रहण को प्रभावित कर सकते हैं। रेटिंग: 7/10

कठिन शब्द: IPO (आरंभिक सार्वजनिक पेशकश), गार्डरेल्स (सुरक्षा उपाय), खुदरा निवेशक (Retail Investors), एंकर निवेश (Anchor Investments), कॉर्पोरेट व्यवस्था (Corporate Arrangements), ट्रांसफर प्राइसिंग (Transfer Pricing), IBBI (भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड)।


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