भारत और बहरीन ने अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक न्यायालय (International Commercial Court) लॉन्च किया, सीमा पार व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए।

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Updated on 09 Nov 2025, 07:39 am

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Simar Singh | Whalesbook News Team

Short Description:

केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बहरीन अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक न्यायालय (BICC) का उद्घाटन किया, इस बात पर जोर देते हुए कि मजबूत विवाद समाधान प्रणाली (dispute resolution systems) निवेशक विश्वास और सीमा पार वाणिज्य (cross-border commerce) के लिए महत्वपूर्ण हैं। इस पहल का उद्देश्य भारत और बहरीन के बीच व्यापार और निवेश का समर्थन करने वाला एक साझा कानूनी ढाँचा (legal architecture) बनाना है, जिनका व्यापार लगभग 1.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर है। भारत की वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR) में प्रगति और प्रस्तावित न्यायिक सहयोग (judicial cooperation) को उजागर किया गया।
भारत और बहरीन ने अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक न्यायालय (International Commercial Court) लॉन्च किया, सीमा पार व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए।

Detailed Coverage:

कानून और न्याय राज्य मंत्री, अर्जुन राम मेघवाल, ने मंगलवार को बहरीन अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक न्यायालय (BICC) लॉन्च किया, जो सीमा पार वाणिज्य के लिए वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR) प्रणालियों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि "निवेशक का विश्वास केवल बाजार के अवसर पर ही नहीं, बल्कि पूर्वानुमेय (predictable) और मजबूत विवाद-समाधान प्रणालियों पर भी निर्भर करता है," आधुनिक वाणिज्यिक संबंधों में विशेषज्ञता, गति और निश्चितता की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए।

मेघवाल ने BICC को एक "दूरदर्शी कदम" (visionary step) बताया, जो भारत और बहरीन के बीच व्यापार और निवेश के लिए एक साझा कानूनी ढाँचा विकसित करेगा। उन्होंने भारत की वाणिज्यिक विवाद समाधान तंत्रों (commercial dispute resolution mechanisms) को विकसित करने की प्रतिबद्धता पर बल दिया, जिसमें मध्यस्थता और सुलह अधिनियम (Arbitration and Conciliation Act), वाणिज्यिक न्यायालयों (commercial courts) और 2023 के मध्यस्थता अधिनियम (Mediation Act) का उल्लेख किया। भारत के कानूनी ढांचे ने पक्षकारों की स्वायत्तता (party autonomy), प्रक्रियात्मक अखंडता (procedural integrity) और दक्षता को मजबूत किया है। उन्होंने लाखों मामलों को लागत प्रभावी ढंग से हल करने में लोक अदालतों (Lok Adalats) की सफलता का भी उल्लेख किया।

5,000 साल पुराने सभ्यतागत संबंधों और लगभग 1.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर के व्यापार की मात्रा को याद करते हुए, मेघवाल ने न्यायाधीश विनिमय कार्यक्रमों (judge exchange programs) और प्रौद्योगिकी-सक्षम प्लेटफार्मों (technology-enabled platforms) सहित गहरी संस्थागत सहयोग का प्रस्ताव रखा, ताकि एक "निर्बाध कानूनी गलियारा" (seamless legal corridor) बनाया जा सके। वरिष्ठ अधिवक्ता और BICC न्यायाधीश, पिंकी आनंद, ने भारत द्वारा अपना अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक न्यायालय स्थापित करने के विचार का समर्थन किया, इसे "एक विचार जिसका समय आ गया है" (an idea whose time has come) कहा। उन्होंने BICC को, जो बहरीन-सिंगापुर संधि ढांचे (Bahrain–Singapore treaty framework) पर बनाया गया है, "अंतर्राष्ट्रीय न्यायनिर्णयन का स्वर्ण मानक" (gold standard of international adjudication) बताया क्योंकि इसका आधुनिक प्रणाली वैश्विक न्यायविदों (global jurists), प्रौद्योगिकी और एक संधि-आधारित अपीलीय संरचना (treaty-based appellate structure) को जोड़ती है।

प्रभाव: यह विकास अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में शामिल भारतीय व्यवसायों के लिए, विशेष रूप से बहरीन और व्यापक खाड़ी क्षेत्र के साथ, अत्यंत महत्वपूर्ण है। एक अच्छी तरह से परिभाषित और कुशल विवाद समाधान तंत्र जोखिमों को कम करता है, कानूनी निश्चितता बढ़ाता है, और परिणामस्वरूप अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करता है। इन द्विपक्षीय कानूनी संबंधों को मजबूत करने से व्यापार की मात्रा बढ़ सकती है, आर्थिक विकास को बढ़ावा मिल सकता है, और एक प्रमुख व्यापारिक भागीदार के रूप में भारत की स्थिति मजबूत हो सकती है। रेटिंग: 7