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28th October 2025, 6:10 PM

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भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने द वाशिंगटन पोस्ट अखबार द्वारा लगाए गए आरोपों का अपना खंडन दोहराया है। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि अडानी समूह की कंपनियों में एलआईसी के निवेश निर्णयों पर बाहरी पक्षों और सरकारी निकायों, जिनमें वित्तीय सेवा विभाग, वित्त मंत्रालय और नीति आयोग शामिल हैं, का प्रभाव था। द वाशिंगटन पोस्ट ने आंतरिक दस्तावेजों का हवाला देते हुए सुझाव दिया था कि एलआईसी से अडानी समूह में लगभग 3.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर (32,000 करोड़ रुपये) को निवेश करने का एक प्रस्ताव था।
एलआईसी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि रिपोर्ट में उल्लिखित दस्तावेज न तो एलआईसी द्वारा जारी किए गए थे और न ही एलआईसी को प्राप्त हुए थे। इसके अलावा, बीमाकर्ता ने स्पष्ट किया कि उसे अडानी समूह की किसी भी इकाई में निवेश के संबंध में सरकार से कोई निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है। यह एलआईसी की दूसरी सार्वजनिक प्रतिक्रिया है, क्योंकि उन्होंने पहले शनिवार को आरोपों को "सच्चाई से कोसों दूर" और निराधार बताकर खारिज कर दिया था।
एलआईसी ने इस बात पर जोर दिया कि उसके निवेश निर्णय स्वतंत्र रूप से, बोर्ड-अनुमोदित नीतियों और कठोर ड्यू डिलिजेंस प्रक्रियाओं का पालन करते हुए लिए जाते हैं। कंपनी ने स्पष्ट किया कि वित्तीय सेवा विभाग जैसे निकाय इन निवेश निर्णयों में कोई भूमिका नहीं निभाते हैं। एलआईसी का दावा है कि वह सभी प्रासंगिक अधिनियमों और नियामक दिशानिर्देशों के अनुपालन में ड्यू डिलिजेंस के उच्चतम मानकों को बनाए रखती है, अपने हितधारकों के सर्वोत्तम हित में काम करती है। एलआईसी का मानना है कि वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट उसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने का प्रयास करती है।
प्रभाव यह खबर सीधे तौर पर कॉर्पोरेट गवर्नेंस और महत्वपूर्ण भारतीय संस्थाओं से जुड़े संभावित बाजार हेरफेर (Market Manipulation) के बारे में चिंताओं को संबोधित करती है। हालांकि एलआईसी ने दावों का खंडन किया है, ये आरोप खुद एलआईसी और अडानी समूह दोनों के शेयरों के प्रति निवेशकों की सावधानी पैदा कर सकते हैं, जिससे अस्थिरता (Volatility) पैदा हो सकती है। हालांकि, एलआईसी के मजबूत खंडन और उसकी स्वतंत्र प्रक्रिया के स्पष्टीकरण का उद्देश्य विश्वास बहाल करना है।
रेटिंग: 7/10।
कठिन शब्द: * ड्यू डिलिजेंस (Due diligence): किसी संभावित निवेश या उत्पाद की गहन जांच या ऑडिट ताकि सभी तथ्यों, जैसे वित्तीय रिकॉर्ड, की पुष्टि हो सके और यह सुनिश्चित हो सके कि यह सुदृढ़ है। * हितधारकों (Stakeholders): व्यक्ति या समूह जिनका कंपनी में हित होता है, जैसे शेयरधारक, कर्मचारी, ग्राहक और ऋणदाता। * सार्वजनिक क्षेत्र का बीमाकर्ता (Public sector insurer): एक बीमा कंपनी जिसका स्वामित्व और संचालन सरकार द्वारा किया जाता है। * समूह (Conglomerate): एक बड़ी कंपनी जो कई अलग-अलग कंपनियों और गतिविधियों से बनी होती है।