भारत ने इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग स्कीम (ECMS) के तहत ₹7,172 करोड़ की 17 नई परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इस पहल का उद्देश्य घरेलू क्षमताओं को मजबूत करना और लचीली आपूर्ति श्रृंखलाएँ (resilient supply chains) बनाना है, जिससे ₹65,000 करोड़ से अधिक के संचयी उत्पादन (cumulative production) की उम्मीद है। स्वीकृत परियोजनाओं में स्मार्टफोन और ऑटोमोटिव जैसे उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण घटक शामिल हैं, जो भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स मूल्य श्रृंखला (electronics value chain) में आगे बढ़ने का संकेत देते हैं।
भारत ने वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण केंद्र बनने के अपने लक्ष्य को महत्वपूर्ण रूप से आगे बढ़ाया है, इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग स्कीम (ECMS) के तहत ₹7,172 करोड़ की 17 नई परियोजनाओं को मंजूरी देकर। इस कदम से ₹65,111 करोड़ के संचयी उत्पादन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, जिससे घरेलू क्षमताओं और आपूर्ति श्रृंखला लचीलेपन (supply chain resilience) में वृद्धि होगी। ECMS के तहत कुल स्वीकृत परियोजनाओं की संख्या अब 24 हो गई है, जो स्मार्टफोन, ऑटोमोटिव और औद्योगिक इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए आवश्यक छह श्रेणियों के घटकों को कवर करती है।
प्रमुख खिलाड़ी और सरकारी दृष्टिकोण:
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस बात पर प्रकाश डाला कि ये निवेश भारत की एक प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण केंद्र के रूप में क्षमता को रेखांकित करते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भविष्य की प्रतिस्पर्धात्मकता मजबूत डिजाइन टीमों के विकास, सिक्स सिग्मा जैसे कड़े गुणवत्ता मानकों के पालन और भारतीय भागीदारों के साथ मजबूत आपूर्ति श्रृंखलाएँ बनाने पर निर्भर करती है। गुणवत्ता आश्वासन (Quality assurance) परियोजना मूल्यांकनों में एक महत्वपूर्ण कारक होगा।
रणनीतिक महत्व:
स्वीकृत घटक, जैसे कैमरा मॉड्यूल और मल्टी-लेयर पीसीबी (Multi-layer PCBs), अक्सर आयात किए जाते हैं और आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। यह पहल विकसित होती वैश्विक भू-राजनीति और भू-अर्थव्यवस्था (geo-economics) द्वारा प्रस्तुत संभावित भविष्य की चुनौतियों का समाधान करती है, जहाँ आपूर्ति श्रृंखला नियंत्रण (supply chain control) व्यावसायिक लचीलेपन के लिए सर्वोपरि होगा।
कौशल विकास और मूल्य श्रृंखला:
सरकार जटिल घटक विनिर्माण और डिज़ाइन-संचालित प्रणालियों के लिए आवश्यक विशेष प्रतिभा के साथ कार्यबल को सुसज्जित करने के लिए एक नया कौशल ढांचा (skilling framework) भी विकसित कर रही है। इस रणनीतिक कदम का उद्देश्य भारत को एक बुनियादी असेंबली बेस से उच्च-सटीकता, मूल्य-वर्धित उत्पादन के केंद्र के रूप में ऊपर उठाना है, जिससे भारतीय फर्मों को मांग वाले वैश्विक बाजारों में प्रभावी ढंग से प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम बनाया जा सके।
प्रभाव:
इस पहल से भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र को बढ़ावा मिलने, और अधिक निवेश आकर्षित होने, रोजगार सृजित होने और आयात पर निर्भरता कम होने की उम्मीद है। यह आत्मनिर्भरता और विनिर्माण उत्कृष्टता की दिशा में एक मजबूत प्रयास का संकेत देता है। स्टॉक मार्केट पर सीधा प्रभाव इलेक्ट्रॉनिक्स घटक विनिर्माण में शामिल कंपनियों और उनकी आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए सकारात्मक हो सकता है।
Impact Rating: 8/10
Difficult Terms: