Industrial Goods/Services
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2nd November 2025, 7:36 PM
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युगांडा स्थित माधवानी ग्रुप से जुड़ी कंपनी, इंडिपेंडेंट शुगर कॉर्पोरेशन (INSCO), ने भारत में एक प्रमुख ग्लास पैकेजिंग निर्माता, हिंडाल्को नेशनल ग्लास (HNG), का अधिग्रहण पूरा कर लिया है। यह विकास HNG की व्यापक दिवालियापन कार्यवाही को समाप्त करता है, जो अक्टूबर 2021 में शुरू हुई थी।\n\nINSCO ने HNG के लेनदारों को ₹1,851 करोड़ हस्तांतरित करके और कंपनी में 5% इक्विटी हिस्सेदारी प्रदान करके अपनी जिम्मेदारियों को पूरा किया है। कुल समाधान मूल्य ₹2,207 करोड़ अनुमानित है, जिसमें भविष्य के नकदी प्रवाह प्रतिबद्धताओं और इक्विटी शेयर शामिल हैं। यह व्यापक योजना लेनदारों को उनके स्वीकृत दावों पर लगभग 58% की वसूली प्रदान करने के लिए डिज़ाइन की गई है, जिसमें इक्विटी हिस्सेदारी से अतिरिक्त 49% की वसूली की भी उम्मीद है।\n\nइस अधिग्रहण का मार्ग कानूनी चुनौतियों से भरा था। जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने AGI ग्रीनपैक के लिए लेनदारों की समिति (CoC) द्वारा अनुमोदित एक पूर्व समाधान योजना को पलट दिया था, जिसमें भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) से समय पर मंजूरी न मिलने का हवाला दिया गया था। इसके बाद, CCI ने AGI ग्रीनपैक द्वारा INSCO के अधिग्रहण पर की गई आपत्तियों को भी खारिज कर दिया, जिससे INSCO के लिए निर्धारित 90-दिन की अवधि के भीतर भुगतान को अंतिम रूप देने का रास्ता साफ हो गया।\n\nप्रमुख लेनदारों, जिनमें भारतीय स्टेट बैंक, जिसके पास स्वीकृत दावों का 38% है, और एडलवाइस एआरसी शामिल हैं, से उनकी बकाया राशि की पर्याप्त वसूली की उम्मीद है।\n\nप्रभाव: एक बड़े दिवालियापन मामले का यह सफल समाधान भारत के कॉर्पोरेट दिवालियापन ढांचे के लिए सकारात्मक है। यह कई लेनदारों के लिए वित्तीय समापन प्रदान करता है और हिंडाल्को नेशनल ग्लास को नई नेतृत्व के तहत पुनर्जीवित करने का वादा करता है, जिसका ग्लास विनिर्माण और पैकेजिंग क्षेत्र पर संभावित प्रभाव पड़ सकता है। यह संकटग्रस्त संपत्तियों के समाधान प्रक्रिया में निवेशक विश्वास को भी बढ़ा सकता है।\n\nImpact Rating: 7/10\n\nDifficult Terms: दिवालियापन (Bankruptcy), समाधान योजना (Resolution Plan), लेनदार (Creditors), लेनदारों की समिति (Committee of Creditors - CoC), राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT), भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI), स्वीकृत दावे (Admitted Claims), वसूली प्रतिशत (Recovery Percentage)।