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भारत का एपीआई बाज़ार मजबूत वृद्धि के लिए तैयार, लॉरस लैब्स, ज़ाइडस लाइफसाइंसेज और बायोकॉन पर विशेष ध्यान।

Healthcare/Biotech

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Updated on 06 Nov 2025, 12:34 am

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Reviewed By

Simar Singh | Whalesbook News Team

Short Description:

भारतीय एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट्स (एपीआई) बाज़ार के 2025 में 14.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2030 तक 21.46 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। यह वृद्धि जेनेरिक्स और पुरानी बीमारियों के उपचार की वैश्विक मांग से प्रेरित है। पीएलआई (PLI) योजना के माध्यम से भारत के प्रतिस्पर्धी फायदे और सरकारी सहायता प्रमुख हैं। लेख लॉरस लैब्स, ज़ाइडस लाइफसाइंसेज और बायोकॉन जैसी कंपनियों को इस विस्तार का लाभ उठाने के लिए अच्छी स्थिति में बताता है, साथ ही उनके हालिया प्रदर्शन, रणनीतिक निवेश और उत्पाद पाइपलाइन का विवरण भी देता है।
भारत का एपीआई बाज़ार मजबूत वृद्धि के लिए तैयार, लॉरस लैब्स, ज़ाइडस लाइफसाइंसेज और बायोकॉन पर विशेष ध्यान।

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Stocks Mentioned:

Laurus Labs Limited
Zydus Lifesciences Limited

Detailed Coverage:

भारतीय एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट्स (एपीआई) बाज़ार महत्वपूर्ण वृद्धि के लिए तैयार है, जिसका अनुमान 2025 में 14.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2030 तक 21.46 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक होने का है, जिसमें 8.5% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) होगी। यह वृद्धि वैश्विक एपीआई बाज़ार की अनुमानित 6.6% CAGR से अधिक है। प्रमुख चालकों में पुरानी बीमारियों का बढ़ना, वैश्विक आबादी का बुढ़ापा और जेनेरिक दवाओं की बढ़ती मांग शामिल है, जिसमें अमेरिका और यूरोप जैसे प्रमुख बाज़ार आयात पर बहुत अधिक निर्भर हैं। भारत अपनी प्रतिस्पर्धी श्रम लागत, मजबूत रासायनिक संश्लेषण क्षमताओं और बड़े पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं के कारण इस प्रवृत्ति का लाभ उठाने के लिए अच्छी स्थिति में है। भारतीय सरकार घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए ₹6,940 करोड़ की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना जैसी पहलों के माध्यम से इस क्षेत्र का और समर्थन कर रही है।

यह लेख तीन कंपनियों पर प्रकाश डालता है जिनसे इस एपीआई बूम से लाभ होने की उम्मीद है: लॉरस लैब्स, ज़ाइडस लाइफसाइंसेज और बायोकॉन। लॉरस लैब्स, जो एपीआई और कॉन्ट्रैक्ट डेवलपमेंट एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑर्गनाइजेशन (CDMO) सेवाओं में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी है, पर्याप्त पूंजीगत व्यय कर रही है और अपनी सुविधाओं का विस्तार कर रही है। ज़ाइडस लाइफसाइंसेज, जो वर्तमान में एपीआई से राजस्व का एक छोटा हिस्सा प्राप्त करती है, इस सेगमेंट में महत्वपूर्ण विस्तार की योजना बना रही है और उसके पास नए दवा अनुमोदन की एक मजबूत पाइपलाइन है। बायोकॉन, जो बायोसिमिलर में एक वैश्विक नेता है, उसके पास जेनेरिक्स का आधार भी है और वह आर एंड डी (R&D) में निवेश कर रही है और अपनी विनिर्माण उपस्थिति का विस्तार कर रही है। मूल्यांकन में भिन्नता है, बायोकॉन आकर्षक पी/बी (P/B) अनुपात दिखा रही है, ज़ाइडस लाइफसाइंसेज उचित रूप से कारोबार कर रही है, और लॉरस लैब्स मजबूत भविष्य के प्रदर्शन को मूल्य निर्धारण में शामिल करती दिख रही है।

प्रभाव इस खबर का भारतीय दवा क्षेत्र पर महत्वपूर्ण सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। एपीआई में अनुमानित वृद्धि निर्यात राजस्व को बढ़ाएगी, घरेलू विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ावा देगी और रोजगार के अवसर पैदा करेगी। पीएलआई (PLI) जैसी योजनाओं के माध्यम से सरकारी सहायता क्षेत्र के दृष्टिकोण को और मजबूत करती है, जिससे यह भारत के बढ़ते दवा और स्वास्थ्य सेवा उद्योगों में निवेश की तलाश करने वाले निवेशकों के लिए आकर्षक बन जाती है। आर एंड डी (R&D) और विनिर्माण उत्कृष्टता पर ध्यान केंद्रित करने से भारतीय कंपनियाँ वैश्विक एपीआई बाज़ार का एक बड़ा हिस्सा हासिल करने की स्थिति में हैं। प्रभाव रेटिंग: 9/10.


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