Healthcare/Biotech
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Updated on 06 Nov 2025, 06:57 pm
Reviewed By
Satyam Jha | Whalesbook News Team
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भारत के राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) द्वारा कराये गए एक नए अध्ययन में आयुष्मान भारत राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना में गंभीर कमियों का खुलासा हुआ है। जहाँ यह योजना अस्पताल देखभाल तक पहुँच का विस्तार करने में सफल है, वहीं यह दवा प्रतिपूर्ति प्रदान करने में, विशेष रूप से पुरानी और दुर्लभ बीमारियों वाले रोगियों के लिए, अपर्याप्त है। परिणामस्वरूप, कई व्यक्तियों को इन उच्च-लागत उपचारों का खर्च अपनी जेब से उठाने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
ब्रिज पॉलिसी थिंक टैंक द्वारा किए गए शोध में भारत में दवा मूल्य निर्धारण विधियों में "पारदर्शिता की कमी" और दुर्लभ तथा विशेष बीमारियों के प्रबंधन के लिए "अपर्याप्त तंत्र" के लगातार मुद्दों को उजागर किया गया है। हालाँकि भारत ने सामान्य दवाओं के लिए सामर्थ्य हासिल कर ली है, चुनौती अब महंगी दवाओं तक न्यायसंगत पहुँच सुनिश्चित करने में है, न कि विनिर्माण क्षमताओं में। इस अध्ययन में, जिसने यूके, यूएस और चीन जैसे देशों की नीतियों की तुलना भारत से की, पाया गया कि वर्तमान मूल्य निर्धारण विधियाँ "अपारदर्शी" हैं, जिससे निर्माताओं के लिए अनिश्चितता पैदा होती है, खासकर नए प्रवेशकों के लिए। बाज़ार-आधारित और पिछले लागत-आधारित मूल्य निर्धारण मॉडल दोनों को अस्पष्टता और अप्रत्याशितता के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है।
**प्रभाव**: यह खबर भारतीय दवा क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है, जो विशेष और दुर्लभ बीमारी दवाओं में शामिल कंपनियों को मूल्य निर्धारण और प्रतिपूर्ति में चुनौतियों को उजागर करके प्रभावित कर सकती है। इससे दवा मूल्य निर्धारण नीतियों पर जाँच बढ़ सकती है और विशिष्ट स्वास्थ्य सेवा शेयरों के प्रति निवेशकों की भावना पर असर पड़ सकता है। भारतीय शेयर बाज़ार पर सीधा प्रभाव मध्यम है, लेकिन यह स्वास्थ्य सेवा पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर प्रणालीगत मुद्दों की ओर इशारा करता है। **प्रभाव रेटिंग**: 6/10।