Healthcare/Biotech
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30th October 2025, 3:18 AM

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यूनाइटेड स्टेट्स फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (USFDA) ने बायोसिमिलर दवाओं के विकास और अनुमोदन की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के उद्देश्य से नए मसौदा दिशानिर्देश पेश किए हैं। इस पहल का प्राथमिक उद्देश्य बायोसिमिलर को महंगी बायोलॉजिक दवाओं (biologic medications) का अधिक लागत प्रभावी विकल्प बनाना है, ताकि वे तेजी से और कम लागत पर उपलब्ध हो सकें। इस नियामक बदलाव से बायोकॉन लिमिटेड, डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरीज लिमिटेड, ल्यूपिन लिमिटेड और सन फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज लिमिटेड जैसी प्रमुख भारतीय दवा निर्माताओं के लिए अत्यधिक लाभकारी होने की उम्मीद है, जिनकी अमेरिकी बायोसिमिलर बाजार में काफी उपस्थिति है।
मसौदा नियमों में महंगे और अक्सर कम उपज वाले तुलनात्मक प्रभावकारिता अध्ययनों (comparative efficacy studies) की आवश्यकता को कम करने का प्रस्ताव है। इसके बजाय, USFDA उन्नत विश्लेषणात्मक परीक्षण (advanced analytical testing) पर अधिक निर्भरता की अनुमति देता है और बड़े, महंगे नैदानिक परीक्षणों (clinical trials) का बोझ कम कर सकता है। इसके अतिरिक्त, मसौदा दिशानिर्देश इंटरचेंजेबल बायोसिमिलर (interchangeable biosimilars) के लिए 'स्विचिंग अध्ययन' (Switching studies) की आवश्यकता को समाप्त करने की सलाह देते हैं। बायोलॉजिक्स, अमेरिकी प्रिस्क्रिप्शन्स का केवल 5% होने के बावजूद, 2024 में कुल दवा खर्च का 51% था। यद्यपि USFDA द्वारा 76 बायोसिमिलर स्वीकृत किए गए हैं, फिर भी उनका बाजार हिस्सा 20% से कम है। यह कदम बायोसिमिलर के विकास और अंगीकरण को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ावा दे सकता है।
प्रभाव यह विकास बायोसिमिलर उत्पादन में शामिल भारतीय दवा कंपनियों के लिए अत्यधिक सकारात्मक है, जिससे उन्हें आकर्षक अमेरिकी बाजार से अपना बाजार हिस्सा और राजस्व बढ़ाने का अवसर मिल सकता है। विकास संबंधी बाधाओं को कम करने से उत्पादों का तेजी से लॉन्च और बेहतर लाभप्रदता हो सकती है। रेटिंग: 9/10।