Whalesbook Logo

Whalesbook

  • Home
  • About Us
  • Contact Us
  • News

भारत ने बढ़ाई ड्रग अप्रूवल की सख्ती, झूठे डेटा वाली कंपनियों पर रोक; बच्चों की मौत के मामले में एक्शन।

Healthcare/Biotech

|

29th October 2025, 6:59 PM

भारत ने बढ़ाई ड्रग अप्रूवल की सख्ती, झूठे डेटा वाली कंपनियों पर रोक; बच्चों की मौत के मामले में एक्शन।

▶

Short Description :

भारतीय सरकार ने दवा निर्माताओं के लिए नए नियम पेश किए हैं, जो नियामक अनुमोदन प्राप्त करने के लिए झूठी जानकारी प्रस्तुत करने या गलत लेबल वाले उत्पादों के लिए उन्हें दंडित करेंगे। यह सख्त उपाय मिलावटी खांसी की दवाईयों से जुड़ी कई बच्चों की मौतों के बाद आया है और इसका उद्देश्य गैर-अनुपालन वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई में तेजी लाना है, लंबी कानूनी प्रक्रियाओं को सीधे डीबारमेंट दंड से बदलना है।

Detailed Coverage :

भारतीय सरकार नए कड़े नियम लागू कर रही है, जिसके तहत जो दवा निर्माता नियामक अनुमोदन प्राप्त करने के लिए झूठी या भ्रामक जानकारी देंगे, या जिनके ब्रांड गलत तरीके से लेबल किए गए पाए जाएंगे, उन्हें अपने उत्पाद बेचने से रोक दिया जाएगा। यह कार्रवाई मिलावटी कफ सिरप से हुई कई बच्चों की दुखद मौतों के जवाब में की गई है। अपडेटेड ड्रग्स रूल्स के तहत, "भ्रामक, या नकली, या मनगढ़ंत दस्तावेज/जानकारी" प्रस्तुत करने वाली कंपनियों को पहले एक 'शो-कॉज नोटिस' का 30-दिन का मौका दिया जाएगा। यदि इस प्रक्रिया के बाद उन्हें दोषी पाया जाता है, तो लाइसेंसिंग प्राधिकरण उन्हें एक निर्धारित अवधि के लिए संचालन से प्रतिबंधित (debar) कर सकता है। पहले, ड्रग्स रूल्स, 1945 में, अनुमोदन के दौरान ऐसे फर्जी जानकारी के मामलों को संभालने के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं था। कार्रवाई में आमतौर पर भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तहत एफआईआर (FIR) दर्ज करना शामिल था, जो एक धीमी और बोझिल प्रक्रिया थी। इस नई व्यवस्था से ड्रग रेगुलेटर की कार्रवाई करने की क्षमता को सुव्यवस्थित और तेज करने की उम्मीद है।

**प्रभाव** इस खबर का फार्मास्युटिकल सेक्टर पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा, जिससे दवा अनुमोदन के लिए जवाबदेही और जांच बढ़ेगी। कंपनियों को गैर-अनुपालन के लिए सख्त दंड का सामना करना पड़ेगा, जिससे गुणवत्ता नियंत्रण और डेटा अखंडता में अधिक निवेश हो सकता है। शुरुआत में कंपनियों को सख्त मानकों के अनुकूल होने में अधिक समय लग सकता है, लेकिन अंततः रोगी सुरक्षा में सुधार करना इसका लक्ष्य है। प्रभाव रेटिंग: 8/10

**परिभाषाएँ** नियामक अनुमोदन: सरकारी एजेंसी (जैसे ड्रग रेगुलेटर) द्वारा दवा की सुरक्षा और प्रभावकारिता को सत्यापित करने के बाद निर्माण और बेचने की अनुमति। मिलावटी: किसी हानिकारक या निम्न गुणवत्ता वाले पदार्थ से दूषित या मिश्रित उत्पाद। कफ सिरप: खांसी के लक्षणों से राहत के लिए उपयोग की जाने वाली तरल दवाएं। भ्रामक, नकली, या मनगढ़ंत दस्तावेज/जानकारी: अधिकारियों को प्रस्तुत किया गया झूठा, असत्य, या जानबूझकर भ्रामक डेटा या कागज। शो-कॉज नोटिस: किसी व्यक्ति या संगठन से यह समझाने के लिए जारी किया गया एक औपचारिक दस्तावेज कि उनके खिलाफ जुर्माना या कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए। डीबार: किसी व्यक्ति या कंपनी को किसी विशेष गतिविधि या उद्योग में भाग लेने से रोकना या प्रतिबंधित करना। लाइसेंसिंग प्राधिकरण: संचालित करने के लिए लाइसेंस देने और रद्द करने के लिए जिम्मेदार सरकारी निकाय, इस मामले में, दवा निर्माताओं के लिए। DTAB (ड्रग्स टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड): भारत का सर्वोच्च दवा सलाहकार निकाय जो दवाओं से संबंधित तकनीकी मामलों पर सरकार को सलाह देता है। FIR (फर्स्ट इंफॉर्मेशन रिपोर्ट): पुलिस में दर्ज की गई रिपोर्ट, जो आपराधिक जांच शुरू करती है। भारतीय दंड संहिता: भारत का प्राथमिक आपराधिक संहिता, जो विभिन्न अपराधों और उनके दंडों की रूपरेखा तैयार करती है। ड्रग्स रूल्स, 1945: भारत में दवाओं के निर्माण, बिक्री और वितरण को नियंत्रित करने वाले नियमों का एक सेट।