Environment
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30th October 2025, 10:04 AM

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28 अक्टूबर 2025 को प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में दिल्ली (एनसीटी), मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु और चेन्नई जैसे पांच तेजी से बढ़ते भारतीय महानगरों को प्रभावित करने वाले भू-धंसाव के गंभीर मुद्दे पर प्रकाश डाला गया है। 2015-2023 के आंकड़ों का उपयोग करते हुए विश्लेषण में पाया गया कि शहरी भूमि के 878 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में धंसाव हो रहा है, और लगभग 19 लाख लोग सालाना चार मिलीमीटर से अधिक की धंसाव दर के संपर्क में हैं। सभी शहरों में व्यापक धंसाव देखा गया, जिसमें दिल्ली में सबसे अधिक दर (51.0 मिमी/वर्ष तक) देखी गई, इसके बाद चेन्नई (31.7 मिमी/वर्ष) और मुंबई (26.1 मिमी/वर्ष) का स्थान रहा। मुख्य कारण अत्यधिक भूजल निकासी पाया गया है, जिससे नीचे की मिट्टी और चट्टानी परतें, विशेष रूप से जलोढ़ जमाव संकुचित हो रहे हैं। दिल्ली के द्वारका जैसे कुछ क्षेत्रों में, सफल एक्वीफर रिचार्ज पहलों के कारण स्थानीय उत्थान देखा गया है। हालांकि, अध्ययन का अनुमान है कि अगले 30 से 50 वर्षों में भू-धंसाव के कारण हजारों इमारतों को उच्च से बहुत उच्च क्षति का खतरा है, जिसमें चेन्नई विशेष रूप से उच्च भविष्य का जोखिम दिखा रहा है। शमन रणनीतियों में भूजल निकासी पर नए नियम, बेहतर सतही जल प्रबंधन और भूजल पुनर्भरण के प्रयास शामिल हैं।
Impact: इस खबर का भारतीय शेयर बाजार पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है, खासकर रियल एस्टेट, निर्माण, अवसंरचना विकास और बीमा जैसे क्षेत्रों पर। भू-धंसाव से बढ़े जोखिम से निर्माण लागत, बीमा प्रीमियम बढ़ सकते हैं और प्रभावित क्षेत्रों में संपत्तियों का संभावित अवमूल्यन हो सकता है। शहरी नियोजन और सरकारी अवसंरचना व्यय को भी इन चुनौतियों से निपटने के लिए पुनर्निर्देशित किया जा सकता है। रेटिंग: 8/10।