Energy
|
Updated on 10 Nov 2025, 08:55 am
Reviewed By
Aditi Singh | Whalesbook News Team
▶
भारत का पावर ग्रिड सौर ऊर्जा उत्पादन में तेजी से हो रही वृद्धि को एकीकृत करने में महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना कर रहा है। अक्टूबर में, सौर ऊर्जा की कटौती दर (curtailment rate) लगभग 12% तक पहुँच गई, जिसका अर्थ है कि ग्रिड की सीमाओं के कारण उत्पन्न हुई पर्याप्त सौर बिजली को ग्राहकों तक नहीं पहुँचाया जा सका। कुछ दिनों में तो लगभग 40% सौर उत्पादन को काटा गया। इस वृद्धि से बिजली की आपूर्ति और मांग के बीच बेमेल हो रहा है। सौर ऊर्जा दिन के दौरान चरम पर होती है, लेकिन पारंपरिक कोयला बिजली संयंत्र, जो सूर्यास्त के बाद की मांग को पूरा करने के लिए आवश्यक हैं, अतिरिक्त सौर ऊर्जा को समायोजित करने के लिए इतनी जल्दी बंद नहीं किए जा सकते। इससे सौर ऊर्जा बर्बाद (curtailed) हो जाती है जबकि कोयला संयंत्रों को संचालित रखना पड़ता है। यह समस्या केवल सौर ऊर्जा तक सीमित नहीं है; पवन ऊर्जा में भी दुर्लभ कटौती देखी गई है, जो नवीकरणीय स्रोतों की रुक-रुक कर चलने वाली प्रकृति को रेखांकित करती है। यह स्थिति ऊर्जा भंडारण समाधानों (energy storage solutions) की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर जोर देती है, जैसे ग्रिड-स्केल बैटरी (grid-scale batteries), ताकि दिन के दौरान उत्पन्न अतिरिक्त सौर और पवन ऊर्जा को शाम की चरम मांग के लिए संग्रहीत किया जा सके। प्रभाव: नवीकरणीय ऊर्जा को एकीकृत करने में असमर्थता भारत के 2030 तक 500 गीगावाट स्वच्छ ऊर्जा क्षमता प्राप्त करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के लिए एक खतरा है। लगभग 44 गीगावाट हरित परियोजनाओं को वर्तमान में राज्य की उपयोगिताओं (state utilities) को खोजने में कठिनाई हो रही है जो उनकी बिजली खरीदने को तैयार हैं। सरकार न्यूनतम ऑफटेक (offtake) संभावना वाली परियोजनाओं को रद्द करने पर विचार कर रही है, जो उसकी नवीकरणीय ऊर्जा विस्तार योजनाओं को पटरी से उतार सकता है।