Energy
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Updated on 05 Nov 2025, 04:33 am
Reviewed By
Akshat Lakshkar | Whalesbook News Team
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परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) ने 2047 तक 100 गीगावाट (GW) परमाणु-संचालित बिजली उत्पन्न करने का एक साहसिक लक्ष्य निर्धारित किया है। इस रणनीतिक पहल को भारत की तेजी से बढ़ती ऊर्जा मांग को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसके 2047 तक लगभग तिगुनी होकर 28,000 TWh होने की उम्मीद है, और राष्ट्र के 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन (net-zero emissions) की प्रतिबद्धता को पूरा करने में मदद करेगा। 100 GW परमाणु क्षमता के लिए DAE का दृष्टिकोण बहुआयामी है, जिसमें बड़े स्वदेशी रिएक्टरों का विकास, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना और स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टरों (SMRs) के साथ-साथ फास्ट ब्रीडर सिस्टम और थोरियम-आधारित ईंधन जैसी उन्नत तकनीकों को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ावा देना शामिल है। भारत ने पिछले दशक में अपने परमाणु बिजली उत्पादन में काफी वृद्धि देखी है, जिसमें स्थापित क्षमता 71% बढ़कर 8,880 MW हो गई है। नीतिगत सुधार, जिनमें भारतीय परमाणु बीमा पूल (Indian Nuclear Insurance Pool) और परमाणु ऊर्जा अधिनियम (Atomic Energy Act) में संशोधन शामिल हैं, सार्वजनिक क्षेत्र के संयुक्त उद्यमों को सक्षम बना रहे हैं और आगे के विस्तार के लिए निजी भागीदारी की अनुमति देने की योजना है, जिसमें SMRs के लिए ₹20,000 करोड़ के परमाणु ऊर्जा मिशन (Nuclear Energy Mission) जैसी पहलें शामिल हैं। DAE अर्धचालक निर्माण (semiconductor manufacturing) और चिकित्सा आइसोटोप (medical isotopes) का समर्थन करने वाले क्षेत्रों में महत्वपूर्ण अनुसंधान और विकास में भी संलग्न है। परमाणु ऊर्जा को भारत की व्यापक ऊर्जा रणनीति के भीतर एक भरोसेमंद बेसलोड बिजली स्रोत के रूप में स्थापित किया गया है। Impact यह योजना स्वच्छ ऊर्जा और ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में एक बड़ा कदम है, जिससे परमाणु ऊर्जा क्षेत्र और संबंधित उद्योगों जैसे भारी इंजीनियरिंग, निर्माण और विशेष घटक निर्माण में महत्वपूर्ण निवेश हो सकता है। यह भारत को परमाणु प्रौद्योगिकी अपनाने में एक अग्रणी के रूप में स्थापित करता है। Rating: 9/10