Energy
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Updated on 05 Nov 2025, 05:45 pm
Reviewed By
Simar Singh | Whalesbook News Team
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अक्टूबर में भारत के ईंधन निर्यात में 21% की बड़ी गिरावट दर्ज की गई, जो सितंबर के 1.58 मिलियन बैरल प्रतिदिन (mbd) से घटकर 1.25 मिलियन बैरल प्रतिदिन (bpd) पर आ गया। इस कमी का मुख्य कारण यह था कि रिफाइनरियों ने त्योहारी मौसम में बढ़ी हुई घरेलू मांग को पूरा करने के लिए अधिक ईंधन घरेलू बाजार में भेजा। इसके अलावा, परिचालन संबंधी चुनौतियों, विशेष रूप से हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) की मुंबई रिफाइनरी में दूषित कच्चे माल (contaminated crude) के कारण आई समस्या ने घरेलू आपूर्ति की स्थिति को और तंग कर दिया। पेट्रोल, डीजल और एविएशन टर्बाइन ईंधन (ATF) सहित प्रमुख ईंधनों का निर्यात कम हुआ। डीजल, जो भारत के ईंधन निर्यात का एक प्रमुख घटक है, में 12.5% की गिरावट आई।
नायरा एनर्जी, एक निजी रिफाइनर, ने भी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण महत्वपूर्ण निर्यात चुनौतियों का सामना किया, जिससे उसे भारत के भीतर अपनी आपूर्ति पर ध्यान केंद्रित करना पड़ा। भारतीय सरकार ने नायरा को स्थानीय मांग को पूरा करने में मदद के लिए बढ़ी हुई रेल परिवहन क्षमता सहित सहायता प्रदान की।
घरेलू ईंधन की खपत में मिश्रित रुझान दिखे, जिसमें पेट्रोल की बिक्री में साल-दर-साल 7% की वृद्धि हुई और एलपीजी (LPG) की बिक्री में 5.4% की वृद्धि हुई, जबकि डीजल की बिक्री में 0.5% की मामूली गिरावट आई। विश्लेषकों का सुझाव है कि नवंबर और दिसंबर में निर्यात में फिर से वृद्धि हो सकती है, क्योंकि घरेलू मांग स्थिर हो जाती है और रिफाइनरी परिचालन सामान्य हो जाते हैं।
प्रभाव: निर्यात में इस गिरावट से भारतीय रिफाइनिंग कंपनियों की लाभप्रदता (profitability) प्रभावित हो सकती है और यदि आपूर्ति का प्रभावी ढंग से प्रबंधन नहीं किया गया तो घरेलू ईंधन की कीमतों में वृद्धि हो सकती है। यह भारत के ऊर्जा क्षेत्र की घरेलू मांग में उतार-चढ़ाव और अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीतिक कारकों के प्रति संवेदनशीलता को उजागर करता है। रेटिंग: 6/10।