Energy
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29th October 2025, 9:56 AM

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रूसी कच्चे तेल पर मिलने वाली आकर्षक छूट हाल के महीनों में भारतीय रिफाइनरों के लिए काफी कम हो गई है। हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन के पूर्व चेयरमैन और प्रबंध निदेशक, एमके सुराना ने बताया कि छूट डबल डिजिट से घटकर लगभग $2 प्रति बैरल रह गई है, जिससे बड़े पैमाने पर खरीद के लिए आर्थिक प्रोत्साहन मामूली हो गया है। सुराना ने संकेत दिया कि इस कमी का मतलब है कि रूसी तेल खरीदना जारी रखने के निर्णय से "कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा"। भारत की कच्चे तेल की सोर्सिंग रणनीति मुख्य रूप से टेक्नो-इकोनॉमिक विश्लेषण (techno-economic analysis) पर आधारित है, जिसमें कीमत के अलावा कई कारकों पर विचार किया जाता है। इनमें कच्चे तेल की गुणवत्ता, उससे प्राप्त सकल उत्पाद मूल्य (gross product value), परिवहन व्यय और रिफाइनरी की विशिष्ट विन्यास (refinery configuration) शामिल हैं। भारत पहले से ही एक लचीली और विविध सोर्सिंग रणनीति अपनाता है, जिसमें रूस के अलावा अफ्रीका, मध्य पूर्व, लैटिन अमेरिका और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे क्षेत्रों से भी कच्चा तेल खरीदा जाता है। यह अनुकूलन क्षमता रिफाइनरियों को प्रचलित बाजार की गतिशीलता के आधार पर विभिन्न प्रकार के कच्चे तेल को संसाधित करने की अनुमति देती है। सुराना ने इस बात पर जोर दिया कि रूसी कच्चे तेल पर निर्भरता बढ़ाने या घटाने का कोई भी निर्णय विशुद्ध रूप से आर्थिक तर्क पर आधारित होगा, जैसे कि कच्चे तेल की गुणवत्ता, परिवहन, बीमा लागत और उत्पाद स्प्रेड (product spreads) से प्रभावित लाभप्रदता, न कि राजनीतिक विचारों पर।
Impact: यह विकास भारत की तेल आयात रणनीति में संभावित बदलाव का सुझाव देता है, जहां आर्थिक लाभ कम होने पर रियायती रूसी कच्चे तेल से दूरी बन सकती है। यह राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता के लिए विविध ऊर्जा सोर्सिंग के महत्व को उजागर करता है। भारतीय रिफाइनर अन्य आपूर्ति विकल्पों का पता लगा सकते हैं या शर्तों पर फिर से बातचीत कर सकते हैं, जिससे वैश्विक कच्चे तेल के व्यापार प्रवाह और अन्य आपूर्तिकर्ताओं के लिए मूल्य निर्धारण की गतिशीलता पर असर पड़ सकता है। यह खबर भारत के ऊर्जा क्षेत्र और आर्थिक दृष्टिकोण के लिए अत्यधिक प्रासंगिक है। Rating: 7/10
Difficult Terms Explained: Techno-economic analysis (टेक्नो-इकोनॉमिक विश्लेषण): यह एक मूल्यांकन प्रक्रिया है जो निर्णय लेने से पहले तकनीकी व्यवहार्यता और आर्थिक व्यवहार्यता दोनों पर विचार करती है। Gross product value (सकल उत्पाद मूल्य): कच्चे तेल के एक बैरल से प्राप्त सभी परिष्कृत उत्पादों (जैसे पेट्रोल, डीजल, केरोसिन, आदि) को बेचने से उत्पन्न कुल राजस्व। Refinery configuration (रिफाइनरी विन्यास): एक तेल रिफाइनरी के भीतर विशिष्ट सेटअप और प्रसंस्करण इकाइयां, जो यह निर्धारित करती हैं कि रिफाइनरी किस प्रकार के कच्चे तेल को कुशलतापूर्वक संसाधित कर सकती है और किन उत्पादों की श्रृंखला का उत्पादन कर सकती है। Crude quality (कच्चे तेल की गुणवत्ता): कच्चे तेल की विशिष्ट विशेषताओं को संदर्भित करता है, जैसे इसका घनत्व, सल्फर सामग्री और चिपचिपाहट, जो इसकी कीमत और इसे मूल्यवान उत्पादों में परिष्कृत करने में आसानी को प्रभावित करते हैं। Product spreads (उत्पाद स्प्रेड): परिष्कृत उत्पादों (जैसे गैसोलीन और डीजल) की कीमत और कच्चे तेल की लागत के बीच का अंतर। यह रिफाइनरी की लाभप्रदता को इंगित करता है।