Energy
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29th October 2025, 2:35 PM

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पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने भूमिगत कोयला गैसीकरण (UCG) से जुड़े पायलट प्रोजेक्ट्स के लिए पर्यावरणीय मंजूरी (EC) की आवश्यकता को समाप्त करने का फैसला किया है। यह नीतिगत बदलाव भारत के वर्ष 2030 तक 100 मिलियन टन कोयले को गैसीकृत करने के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। कोयला सचिव विक्रम देव दत्त ने कहा कि UCG जैसी नई तकनीकों के लिए पायलट अध्ययन (pilot studies) महत्वपूर्ण हैं, खासकर जब इसे देश में पहली बार पेश किया जा रहा है। यह छूट विशेष रूप से इन परियोजनाओं के पायलट चरण (pilot phase) पर लागू होती है। यह विकास वाणिज्यिक कोयला खदान नीलामी (commercial coal mine auction) के 14वें दौर के साथ मेल खा रहा है, जिसमें पेश किए गए 41 ब्लॉकों में से 21 UCG के लिए उपयुक्त माने गए हैं क्योंकि वे गहरे स्थित और अलाभकारी (uneconomical) हैं। भूमिगत कोयला गैसीकरण (UCG) एक इन-सीटू (in-situ) प्रक्रिया है जो गहरे, अनुपयोगी कोयला सीम (unmineable coal seams) में हवा या ऑक्सीजन जैसे ऑक्सीडाइज़र (oxidants) इंजेक्ट करके कोयले को ज्वलनशील गैस में परिवर्तित करती है। परिणामी गैस का उपयोग स्वच्छ ईंधन, हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था (hydrogen economy) का समर्थन करने और सिनगैस (syngas) व अन्य मूल्यवर्धित उत्पादों के उत्पादन के लिए किया जा सकता है। कोयला मंत्रालय एक कोयला व्यापार विनिमय (coal trading exchange) पर भी प्रगति कर रहा है और दो डिजिटल प्लेटफॉर्म लॉन्च किए हैं: भूमि अधिग्रहण प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने के लिए कोयला भूमि अधिग्रहण, प्रबंधन और भुगतान पोर्टल (CLAMP), और कोयला क्षेत्र में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाने के लिए कोयला शक्ति डैशबोर्ड (Koyla Shakti Dashboard)। प्रभाव: इस नीतिगत बदलाव से भारत में UCG तकनीक को अपनाने में तेजी आने की उम्मीद है, जिससे नए ऊर्जा स्रोतों का विकास हो सकता है और हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिल सकता है। यह कोयला खनन और ऊर्जा प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में निवेश को भी बढ़ा सकता है। रेटिंग: 7/10। कठिन शब्द: भूमिगत कोयला गैसीकरण (UCG): एक ऐसी तकनीक जो कोयले को भूमिगत रहते हुए ही एक संश्लेषण गैस (syngas) में परिवर्तित करती है। पायलट प्रोजेक्ट: किसी बड़ी परियोजना की व्यवहार्यता और क्षमता का परीक्षण करने के लिए एक छोटे पैमाने का, प्रारंभिक अध्ययन या प्रयोग। पर्यावरण मंजूरी (EC): किसी परियोजना के संभावित पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन करने के लिए परियोजना शुरू करने से पहले पर्यावरण मंत्रालय से आवश्यक अनिवार्य अनुमोदन। हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था: एक आर्थिक प्रणाली जहां हाइड्रोजन का उपयोग प्राथमिक ऊर्जा वाहक के रूप में किया जाता है, जो जीवाश्म ईंधन का एक स्वच्छ विकल्प प्रदान करता है। सिनगैस: मुख्य रूप से हाइड्रोजन, कार्बन मोनोऑक्साइड और कार्बन डाइऑक्साइड से बना एक ईंधन गैस मिश्रण, जो कोयला, प्राकृतिक गैस या बायोमास से उत्पादित होता है।